नवजात शिशु के स्तनपान में नहीं होगी परेशानीडॉक्टर ने खोज निकाली यह तकनीक
नवजात शिशु के स्तनपान में नहीं होगी परेशानीडॉक्टर ने खोज निकाली यह तकनीक
डॉ. ओम शंकर चौरसिया ने सप्लीमेंट्री सकलिंग तकनीक को खोजा है. इस तकनीक के तहत एक फीडिंग ट्यूब को मां के स्तन के निपल पर चिपकाया जाता है और ट्यूब के दूसरे हिस्से को दूध की एक कटोरी में डाला जाता है. इसके बाद बच्चे को दूध पिलाया जाता है.
शाश्वत सिंह/ झांसी: नवजात बच्चे के लिए मां का दूध ही अमृत जैसा होता है. लेकिन बहुत बार चाहकर भी महिलाएं अपने बेबी को स्तनपान नहीं करवा पाती हैं. इसी परेशानी का इलाज ढूंढ निकाला है झांसी के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ ओम शंकर चौरसिया ने. डॉक्टर ने झांसी में सप्लीमेंट्री सकलिंग तकनीक की शुरुआत की है. इस तकनीक की मदद से आर्टिफिशियल तरीके से नवजात बच्चे को मां का दूध दिया जा सकता है.
यह है खास तकनीक
डॉ. ओम शंकर चौरसिया ने सप्लीमेंट्री सकलिंग तकनीक को खोजा है. इस तकनीक के तहत एक फीडिंग ट्यूब को मां के स्तन के निपल पर चिपकाया जाता है और ट्यूब के दूसरे हिस्से को दूध की एक कटोरी में डाला जाता है. इसके बाद बच्चे को दूध पिलाया जाता है. इस पूरे प्रोसेस के दौरान नन्हे बच्चे को ऐसा लगता है कि वो अपनी मां का दूध पी रहा है. इससे बच्चे को पोषण भी मिलता है और मां का एहसास भी.
कई बार स्तन में नहीं आता है दूध
डॉक्टर ने बताया कि लगभग हर मां के स्तन में दूध जरूर बनता है. लेकिन कुछ कारणों के चलते कई महिलाओं के स्तन से दूध निकलता नहीं है. इसका एक कारण स्टीमुलेशन भी होता है. स्तन में स्टीमुलेशन ना होने की वजह से दूध बच्चे तक नहीं पहुंच पाता है. ऐसी स्थिति में सप्लीमेंट्री सकलिंग टेक्निक काम आती है. जब बच्चा बार-बार स्तनपान का प्रयास करता है, तो स्तन से दूध अवश्य निकलता है. इस प्रक्रिया की वजह से मां के स्तन में स्टीमुलेशन की प्रोसेस शुरू हो जाती है.
60 प्रतिशत महिलाओं को हुआ फायदा
डॉक्टर ने बताया कि अभी तक 60 प्रतिशत महिलाओं को इस प्रोसेस का फायदा मिल चुका है. वो कहते हैं कि नवजात बच्चों के लिए मां का दूध कई मायनों में जरूरी होता है. यह एक प्रकार से पहले वैक्सीन की तरह होता है. किसी भी स्थिति में बच्चे को मां का दूध पीने से नहीं रोका जाता है. शारीरिक ताकत के साथ इससे बच्चों का मानसिक डेवलपमेंट भी होता है. डॉक्टर ने बताया कि रिसर्च में भी यह बात सामने आई है कि जो बच्चे मां का दूध पीते हैं, उनका 10 परसेंट अधिक मानसिक विकास होता है. साथ ही मां का भी ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर जैसी बीमारी से बचाव होता है. डॉक्टर कहते हैं.
25 साल दे रहे सेवाएं
बता दें कि डॉ. ओम शंकर चौरसिया झांसी समेत पूरे बुंदेलखंड के जाने माने बाल रोग विशेषज्ञ हैं. इस क्षेत्र में उन्हें 25 साल से अधिक का एक्सपीरियंस है. एमबीबीएस और एमडी कर चुके डॉ. चौरसिया वर्तमान में झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष हैं.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 14:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed