त्वचा के लिए संजीवनी है यह पौधा फोड़े-फुंसी से लेकर चर्म रोग तक के लिए रामबाण

नीम के पत्ते को उबालकर उसके गुनगुने पानी को चाय की मात्रा में सेवन किया जा सकता है. इसके पत्ते, बीज और छाल को पीसकर और फोड़े, फुंसी, दाद, खाज, खुजली और घाव पर लगाने से जल्द राहत मिलती है.

त्वचा के लिए संजीवनी है यह पौधा फोड़े-फुंसी से लेकर चर्म रोग तक के लिए रामबाण
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: बारिश के मौसम में त्वचा संबंधित तमाम बीमारियां हावी हो जाती हैं. ऐसे में फोड़े फुंसी फंगल इन्फेक्शन खुजली इत्यादि चर्म रोग प्रभावी हो जाते हैं. यह समय ऐसा होता है कि हर कोई अपनी स्क्रीन को सुरक्षित रखने का तरकीब खोजता है. ऐसे में एक साधारण पौधा है, जो कहीं भी मिल जाता है. इसे संजीवनी बूटी कहें तो कोई गलत नहीं होगा. बिल्कुल सही सुना है. आपने गांव देहात में बड़े ही आसानी के साथ लगभग सभी घरों के बाहर यह अदभुत पेड़ देखने को मिल जाता है. दरअसल इसका स्वाद तो बहुत कड़वा होता है, लेकिन इसके गुण जीवन में मिठास ही मिठास भर देते हैं. हम बात कर रहे हैं नीम के पेड़ की. जो त्वचा के लिए किसी वरदान से काम नहीं है. यह न केवल फोड़े फुंसी घाव को भरने में सहायता प्रदान करता है, बल्कि स्किन को भी सुंदर बनाता है. आइए विस्तार से जानते हैं… राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया के 20 साल से अधिक अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. सर्वेश कुमार बताते हैं कि नीम के पेड़ की जड़ से लेकर पत्तियां, फल, फूल, बीज, छाल और लकड़ी सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. इसे संजीवनी बूटी कहें, तो कोई गलत नहीं होगा. चर्म रोग के लिए तो यह एकदम रामबाण है. ये है साधारण पेड़ के जबरदस्त फायदे नीम के पत्ते सहित इसका सभी भाग विशेष रूप से त्वचा से संबंधित अनेकों रोगों में रामबाण साबित होता है. इसके अलावा नीम के पत्ते कार्बोहाइड्रेट, फैट, अमीनो एसिड, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन सी, फाइबर, टैनिक एसिड जैसे तमाम पोषक तत्वों से भरपुर होते हैं. तासीर में नीम ठंडा होता है. इसलिए यह एसिडिटी, सीने में जलन और पाचन तंत्र के लिए भी बेहद फायदेमंद है. ऐसे करें प्रयोग… नीम के पत्ते को उबालकर उसके गुनगुने पानी को चाय की मात्रा में सेवन किया जा सकता है. इसके पत्ते, बीज और छाल को पीसकर और फोड़े, फुंसी, दाद, खाज, खुजली और घाव पर लगाने से जल्द राहत मिलती है. इसके पत्तों को पानी में उबालकर स्नान करने से भी चर्म रोग की समस्या काफी हद तक दूर होती है. बहुत प्राचीन काल से ही इसकी टूसे यानी ताजी कोमल पत्तियों को सुबह खाली पेट खाकर पानी पीने की परंपरा चली आ रही है. हकीकत में ऐसा करने से रक्त शोधन यानी खून शुद्ध होता है और त्वचा से जुड़ी समस्याएं जड़ से खत्म हो जाती हैं. बरतें ये सावधानी…  तमाम लाभकारी औषधि उस स्थिति में हानिकारक बन जाती हैं, जब बिन एक्सपर्ट के मुताबिक प्रयोग किया जाता है. इसलिए किसी भी औषधि का प्रयोग आयुर्वेद के चिकित्सक से राय लेकर ही करें. क्योंकि बीमारी और उम्र के हिसाब से सही मात्रा एक एक्सपर्ट ही तय कर सकता है. Tags: Health benefit, Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 08:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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