जंक फूड का इतना खराब असर एक ही बीमारी लेकर एम्स दिल्ली में आईं 600 लड़कियां
जंक फूड का इतना खराब असर एक ही बीमारी लेकर एम्स दिल्ली में आईं 600 लड़कियां
जंक फूड कितना खराब हो सकता है, इसका अंदाजा आप एम्स दिल्ली के गायनेकोलॉजी विभाग में दिखाने आई 600 लड़कियों की बीमारी को जानकर लगा सकते हैं. इन सभी को कंसीव करने में दिक्कत आ रही थी और ये जंक फूड की वजह से पीसीओएस और ओबेसिटी से जूझ रही थीं.
‘आज घर का खाना खाने का मन नहीं है, तो चलो बाहर से ऑर्डर कर देते हैं. फोन में फटाक से स्विगी, जोमेटो, डोमिनोज खोला और 20 मिनट में डिलिवरी के साथ पिज्जा, बर्गर, नूडल्स कुछ भी जंक फूड ऑर्डर कर दिया’… आज की भागदौड़ भरी लाइफ में ऑनलाइन जंक फूड ऑर्डर करना कॉमन हो गया है. लड़के हों या लड़कियां, सभी से जंक फूड बस एक फोन क्लिक की दूरी पर है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जंक फूड खाने की आदत खासतौर पर लड़कियों के भविष्य को खराब कर रही है. एम्स दिल्ली की फर्टिलिटी ओपीडी में ऐसी ही 600 लड़कियां इलाज के लिए पहुंची हैं, जो अक्सर फास्ट फूड्स खाती हैं और अब गंभीर हेल्थ इश्यूज से जूझ रही हैं.
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली में डिपार्टमेंट ऑफ गायनेकॉलोजी एंड ओब्टेट्रिक्स में इलाज के लिए आई इन लड़कियों की एक ही परेशानी थी कि बच्चे नहीं हो रहे. इनमें ज्यादातर 28 से 35 साल की लड़कियां थीं. डॉक्टरों के मुताबिक जब इन महिलाओं की हिस्ट्री देखी गई तो इनके भोजन में जंक फूड का सेवन ज्यादा मिला था. जिसकी वजह से इन्हें ओबेसिटी और पीसीओएस की परेशानी हुई और फिर कंसीव करने में दिक्कतें आ रही थीं.
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एम्स के इनफर्टिलिटी डॉक्टर और गायनेकॉलोजिस्ट डॉ. जेबी शर्मा बताते हैं, ‘भारतीय लड़कियों में पॉलिसिस्टक ओवरी सिंड्रोम इतना कॉमन हो गया है कि देश की करीब 30 फीसदी नए उम्र की लड़कियां इससे पीड़ित हैं और इस वजह से उन्हें कंसीव करने में परेशानियां हो रही हैं. मेरे पास ही ऐसी 600-700 लड़कियां इलाज के लिए आईं जो अच्छे परिवारों से हैं, खान-पान की कोई कमी नहीं है लेकिन इन्होंने जंक फूड बहुत ज्यादा खाया था. सहज उपलब्ध फास्ट फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, मैदा से बनीं ऐसी चीजें जो काफी दिनों तक प्रिजर्व हो जाती हैं, इन लड़कियों ने फ्रीक्वेंटली खाईं.’
डॉ. शर्मा कहते हैं कि इन लड़कियों की हिस्ट्री में देखा गया कि जंक फूड तो इन्होंने ज्यादा मात्रा में खाया ही, उसकी टाइमिंग भी अक्सर गड़बड़ थी. अक्सर रात या देर रात में ये फूड्स ज्यादा खाए गए. यही वजह रही कि जंक फूड्स की वजह से इनका वजन तेजी से बढ़ा और फिर पीसीओएस की समस्या हुई. पीसीओएस भी इनफर्टिलिटी का बड़ा कारण है.
पीसीओएस में लड़कियों को पीरियड्स आने कम हो जाते हैं, अनियमित हो जाते हैं या अन्य पीरियड संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं. यह एक हार्मोनल समस्या है जो बच्चे पैदा करने में अड़चन बन जाती है. ऐसे में जिन्हें पीसीओएस की बीमारी है और वे बच्चे पैदा करना चाहती हैं तो सबसे पहले इस बीमारी को ठीक करना जरूरी है.
कितना जंक फूड है सेफ?
डॉ. शर्मा बताते हैं कि फास्ट या जंक फूड को सुरक्षित फूड नहीं कहा जा सकता. यह नुकसान ही करता है लेकिन फिर भी अगर कोई नहीं मानता है या कभी कभी मजबूरी में जंक फूड खाना पड़ता है तो महीने में एक या दो मील से ज्यादा जंक फूड न लें. लड़कियां महीने में दो बार से ज्यादा बिल्कुल न खाएं और जब भी खा रही हैं तो समय का विशेष ध्यान रखें. जंक फूड खाकर सो जाने के कई नुकसान हैं. पेरेंट्स को बचपन से ही जंक फूड को लेकर बच्चों को भी जागरुक करना चाहिए और एक बेरियर लगाना चाहिए कि इतने से ज्यादा बार उन्हें जंक फूड खाने को नहीं मिलेगा.
लड़कियां करें ये काम
. जंक फूड न खाएं.
. शरीर का वजन न बढ़ने दें.
. फिजिकल एक्टिविटी रोजाना जरूर करें.
. घर का बना खाना खाएं. फल और सब्जियां खाएं.
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Tags: Aiims delhi, Food, Health News, India Fertility rate, Male FertilityFIRST PUBLISHED : April 27, 2024, 12:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed