Punjab News: पराली जलाने के मामले में हॉटस्पॉट बने पंजाब के ये 3 जिले AQI बिगाड़ने के लिए हैं जिम्मेदार
Punjab News: पराली जलाने के मामले में हॉटस्पॉट बने पंजाब के ये 3 जिले AQI बिगाड़ने के लिए हैं जिम्मेदार
पंजाब में 15 सितंबर से 22 अक्टूबर के बीच लगभग 3,700 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं और इनमें से लगभग 60 प्रतिशत माझा क्षेत्र के तीन जिलों - तरनतारन, अमृतसर और गुरदासपुर में हुईं. लुधियाना स्थित पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार , तरनतारन में 1,034 पराली जलाने की घटनाएं हुईं, जो राज्य में सबसे अधिक हैं, इसके बाद अमृतसर में 895 और गुरदासपुर में 324 हैं. इस अवधि के दौरान राज्य में कुल मिलाकर 3,696 पराली जलाने की घटनाएं हुईं.
चंडीगढ़. पंजाब में 15 सितंबर से 22 अक्टूबर के बीच लगभग 3,700 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं और इनमें से लगभग 60 प्रतिशत माझा क्षेत्र के तीन जिलों – तरनतारन, अमृतसर और गुरदासपुर में हुईं. लुधियाना स्थित पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, तरनतारन में 1,034 पराली जलाने की घटनाएं हुईं, जो राज्य में सबसे अधिक हैं, इसके बाद अमृतसर में 895 और गुरदासपुर में 324 हैं. इस अवधि के दौरान राज्य में कुल मिलाकर 3,696 पराली जलाने की घटनाएं हुईं.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अक्टूबर और नवंबर में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाना एक कारण है और दिवाली के आसपास पटाखे फोड़ने से अक्सर स्थिति और विकट हो जाती है. राज्य के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पंजाब में कुल खेती वाले क्षेत्र के 35 प्रतिशत हिस्से में धान की फसल पूरी हो चुकी है और एक या दो दिन में धान की कटाई शुरू हो जाएगी.
सितंबर में बेमौसम बारिश के कारण फसल कटाई में कम से कम 10 दिनों की देरी हुई. इस खरीफ सीजन में पंजाब में लगभग 30.84 लाख हेक्टेयर धान का क्षेत्र है. जिन अन्य जिलों में अबतक पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं, उनमें पटियाला (246), कपूरथला (214), फिरोजपुर (187), जालंधर (169) और लुधियाना (131) शामिल हैं. पठानकोट राज्य का एकमात्र जिला है, जहां इस सीजन में अब तक एक भी पराली जलाने की घटना नहीं हुई है.
खेत में आग की घटनाओं में तेजी आई है क्योंकि राज्य में 10 अक्टूबर से ऐसे मामलों में चार गुना वृद्धि देखी गई है. 10 अक्टूबर तक, राज्य में 718 पराली जलाने की घटनाएं हुई थीं. हालांकि, पिछले दो वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं की तुलना में इस साल अभी की स्थिति थोड़ी बेहतर है. पंजाब में 2020 और 2021 में 22 अक्टूबर तक 10,785 और 5,438 ऐसी घटनाएं हुई थीं. 22 अक्टूबर को, पंजाब में 582 सक्रिय कृषि आग की घटनाएं देखी गईं. हालांकि, आंकड़ों के मुताबिक, 2020 और 2021 में एक ही दिन में राज्य में ऐसी 1,341 और 1,111 घटनाएं हुई थीं.
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राज्य सरकार द्वारा अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों का आश्वासन देने और पराली जलाने के खिलाफ बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने के बावजूद खेत में आग लगी रही है. किसानों ने फसल अवशेषों को जल्दी से हटाने के लिए अपने खेतों में आग लगाना शुरू कर दिया है. पंजाब सालाना लगभग 180 लाख टन धान की पुआल पैदा करता है. राज्य ने 2021 में 71,304 आग की घटनाएं दर्ज कीं, 2020 में 76,590, 2019 में 55,210, और 2018 में 50,590, संगरूर, मानसा , बठिंडा और अमृतसर सहित कई जिलों में बड़े पैमाने पर पराली जलाई गई. (पीटीआई से इनपुट के साथ)
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Tags: Air pollution, Punjab, Stubble BurningFIRST PUBLISHED : October 24, 2022, 11:46 IST