यूट्यूब से मिला आइडियाकिसान ने शुरू की यह खेती बदल गई तकदीर कमा रहा लाखों
यूट्यूब से मिला आइडियाकिसान ने शुरू की यह खेती बदल गई तकदीर कमा रहा लाखों
प्रगतिशील किसान रामनरेश लोधी बताते हैं कि एक दिन वह अपने परिवार के साथ घर पर बैठकर यूट्यूब पर खेती किसानी से संबंधित वीडियो देख रहे थे. वहीं से उन्हें काहू की खेती करने का आइडिया मिला. उसके बाद इन्होंने काहू की खेती शुरू कर दी.
रायबरेली: डिजिटल क्रांति के इस दौर में मोबाइल लोगों की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है. बड़े हो या बच्चे, हर कोई अपना अधिकतर समय मोबाइल में सोशल मीडिया पर ही व्यतीत कर रहे हैं. इस सोशल मीडिया को कुछ लोग अपने मनोरंजन का साधन समझते हैं, तो वहीं सोशल मीडिया कुछ लोगों को रातों-रात फेमस बना देता है. वहीं कुछ लोग इसके जरिए अपनी तकदीर भी बदल रहे हैं. जी हां, आज हम आपको एक ऐसे शख्स से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसकी जिंदगी में बदलाव लाने के लिए यूट्यूब का अहम योगदान रहा.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं रायबरेली जनपद के शिवगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत लालपुर गांव के रहने वाले रामनरेश लोधी की, जो आठवीं तक ही पढ़े हुए हैं और सामान्य लोगों की तरह ही वह भी अपनी पुश्तैनी जमीन पर धान, गेहूं की फसलों की खेती करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. लेकिन डिजिटल क्रांति के इस युग में सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब से मिले एक आइडिया ने उनकी तकदीर ही बदल दी. अब वह कम लागत में बेहद अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
यूट्यूब से मिला आइडिया
प्रगतिशील किसान रामनरेश लोधी बताते हैं कि एक दिन वह अपने परिवार के साथ घर पर बैठकर यूट्यूब पर खेती किसानी से संबंधित वीडियो देख रहे थे. वहीं से उन्हें काहू की खेती करने का आइडिया मिला. उसके बाद इन्होंने काहू की खेती शुरू कर दी. वह बीते 3 वर्षों से डेढ़ बीघा जमीन पर काहू की खेती कर रहे हैं.
अक्टूबर में नर्सरी नवंबर में रोपाई
वह बताते हैं कि अक्टूबर माह में काहू की नर्सरी की जाती है. उसके 30 से 35 दिन बाद नर्सरी तैयार होने पर नवंबर महीने में आलू की तरह नालियां तैयार करके उनमें पौधे की रोपाई कर दी जाती है. रोपाई के 145 से 150 दिन बाद यानी कि अप्रैल माह में इसकी कटाई शुरू हो जाती है. इसके बाद तैयार फसल को बाराबंकी जिले के बाजारों में बिक्री के लिए भेजते हैं, जहां से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल जाता है.
अन्य फसलों की तुलना में लागत कम मुनाफा ज्यादा
लोकल 18 से बात करते हुए वह बताते हैं कि अन्य फसलों की अपेक्षा काहू की खेती करने में लागत भी कम आती है. इसमें डेढ़ बीघा जमीन में 15 से 20 हजार रुपए की लागत आती है, तो वहीं लागत के सापेक्ष सीजन मंे एक लाख रुपए तक आसानी से कमाई हो जाती है. वह बताते हैं कि फसल अच्छी होने पर दो से ढाई कुंतल तक उत्पादन हो जाता है. जिसकी बाजार में कीमत 50 से 60 हजार रुपए प्रति कुंतल होती है.
मुनाफे वाली है यह फसल
काहू के बारे में जानकारी देते हुए रायबरेली के जिला उद्यान अधिकारी जयराम वर्मा बताते हैं कि इसकी खेती के लिए विशेष मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है. किंतु ध्यान रहे कि खेत में जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए और पीएच मान भी सामान्य होना चाहिए. यह बेहद मुनाफे वाली खेती है, जो अन्य फसलों की तुलना में किसानों को बेहतर मुनाफा देती है. जिले में कुछ ही किसान हैं, जो इसकी खेती कर रहे हैं. साथ ही वह बताते हैं कि इसके बीज सफेद रंग के जीरा की तरह होते हैं. जिनका उपयोग आयुर्वेदिक औषधियां बनाने में किया जाता है.
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Tags: Hindi news, Local18, Success StoryFIRST PUBLISHED : May 1, 2024, 15:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed