ये मंजूर नहीं कांग्रेस मेनिफेस्टो पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा
ये मंजूर नहीं कांग्रेस मेनिफेस्टो पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को लेकर बड़ी बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घोषणापत्र के वादों को चुनाव के नियमों के अनुसार भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं शामिल किया जा सकता है. दरअसल कर्नाटक के चमराजपेट लोकसभा क्षेत्र के एक मतदाता ने कांग्रेस विधायक के खिलाफ याचिका दायर की थी.
नई दिल्ली: देश में इस समय लोकसभा चुनाव 2024 का माहौल है. चुनाव से पहले तमाम राजनीतिक पार्टियां लोकलुभावन वादे करती है. साथ ही चुनावी घोषणापत्र जारी करती है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को लेकर बड़ी बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घोषणापत्र के वादों को चुनाव के नियमों के अनुसार भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं शामिल किया जा सकता है.
बार वेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कर्नाटक के चमराजपेट लोकसभा क्षेत्र के एक मतदाता की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया. बेंच ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा अपने चुनाव घोषणापत्रों में की गई प्रतिबद्धताएं, जो अंततः बड़े पैमाने पर जनता को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती हैं, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत ‘भ्रष्ट आचरण’ की श्रेणी में नहीं आएंगी.
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याचिका में क्या कहा गया था?
कर्नाटक के चमराजपेट लोकसभा क्षेत्र के एक मतदाता ने दी थी. याचिका में कहा गया था कि साल 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनता को आर्थिक लाभ पहुंचाने का वादा किया था और यह भ्रष्ट आचरण का हिस्सा है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ‘याचिकाकर्ता का कहना है कि किसी राजनीतिक दल के उम्मीदवार का अपने घोषणापत्र में जनता को बड़े स्तर पर आर्थिक लाभ पहुंचाने की बात करना भ्रष्ट आचरण का हिस्सा है. यह मामले को बहुत खींचने वाली बात है और ये मंजूर नहीं किया जा सकता. ऐसे मामलों में हमें विस्तार से जाकर चर्चा करनी होती है. इस वजह से याचिका खारिज की जाती है.’
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका शशांक श्रीधर नाम के एक मतदाता ने कांग्रेस विधायक जमीर अहमद खान के खिलाफ लगाई थी. याचिका में शशांक ने कहा था कि कांग्रेस के घोषणापत्र की पांच बातें भ्रष्ट आचरण का हिस्सा हैं. अदालत ने कहा कि लोकप्रतिनिधि नियम की धारा 123 के तहत अगर कोई पार्टी यह बताती है कि सत्ता में आने पर वह क्या योजनाएं चलाएगी और लोगों को इससे कैसे फायदा होगा तो यह भ्रष्ट आचरण नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा
शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए अपने चुनाव घोषणापत्र में कांग्रेस द्वारा किए गए चुनावी वादे जनता को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय मदद थी. जो भ्रष्ट चुनावी अभ्यास के बराबर थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में, कानून के इस सवाल पर विचार करने की जरूरत नहीं है कि क्या घोषणापत्र का वादा भ्रष्ट आचरण के समान होगा.
Tags: Congress, Karnataka, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : May 28, 2024, 10:11 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed