सुपरबग ने मचाया दुनिया भर में कहर साल भर में एक करोड़ लोग गंवा देंगे अपनी जान! दवा बेअसर
सुपरबग ने मचाया दुनिया भर में कहर साल भर में एक करोड़ लोग गंवा देंगे अपनी जान! दवा बेअसर
लांसेट में छपे एक रिसर्च पेपर के अनुसार ब्रिटेन में हुई एक स्टडी बताती है कि सुपरबग हर साल करीब 1 करोड़ लोगों की मौत का कारण बनेगा. अनुमान के लिए, कोरोना के कारण अब तक तीन सालों में लगभग 65 लाख लोगों की मृत्यु हो गई है लेकिन सुपरबग अकेले एक साल में एक करोड़ लोगों की जान ले सकता है.
हाइलाइट्समेडिकल जर्नल लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल दुनियाभर में सुपरबग 50 लाख लोगों की जान ले रहा हैCDC के मुताबिक अकेले अमेरिका में सुपरबग हर साल 50 हजार लोगों को मार देता हैभारत में फिलहाल सुपरबग से होने वाली मृत्यु दर 13 प्रतिशत हैअस्पतालों से लगातार निकल रही लाशों ने सुपरपावर के माथे पर चिंता की लकीरे खींच दी हैं
नई दिल्ली. अमेरिका को डरा रहा सुपरबग अब दुनिया में सबसे घातक बीमारी के रूप में सामने आने लगा है. कोरोना महामारी के बाद अब सुपर बग ने दुनिया में कहर बरपाना शुरू कर दिया है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन डिपार्टमेंट (CDC) की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीमारी पर किसी दवाई का कोई असर नहीं होता है. एशिया में यह बीमारी व्यापक रूप से सबसे अधिक जान भारत में ही ले रही है. मेडिकल जर्नल लांसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन के एक शोधकर्ता ने बताया कि आने वाले समय में हर वर्ष एक करोड़ लोग इस बीमारी की वजह से अपनी जान गंवा देंगे. तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों इतना घातक है सुपरबग.
क्या है सुपरबग बीमारी
सुपरबग बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट का एक स्ट्रेन है जोकि एंटीबायोटिक के दुरुपयोग के कारण पैदा होता है. सुपरबग बनने के बाद यह मौजूद किसी भी प्रकार की दवाइयों से मरता नहीं है और कई मौकों पर लोगों की जान ले लेता है. CDC के मुताबिक अकेले अमेरिका में सुपरबग हर साल 50 हजार लोगों की जान ले लेता है. तुलना के लिए, हर 10 मिनट में सुपरबग अमेरिका में एक व्यक्ति की जान ले रहा है. अमेरिका जैसे उन्नत देश में यह आंकड़ा बेहद डराने वाला है. अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सुपरबग किसी भी अन्य बीमारी के मुकाबले अमेरिकियों की मौत का अधिक कारण बन रहा है. सुपर बग को मेडिकल क्षेत्र में एंटी माइक्रोबियल-रेसिस्टेंट के नाम से भी जाना जाता है.
कैसे बनता है सुपरबग
सुपरबग एक विशेष रूप से बनने वाली बीमारी है जिसे धीमा किया जा सकता है, लेकिन रोका नहीं जा सकता. समय के साथ, बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी जैसे रोगाणु उन दवाओं के अनुकूल हो जाते हैं जो उन्हें मारने के लिए डिजाइन की जाती हैं. यह कुछ संक्रमणों के लिए पहले के मानक उपचारों को कम प्रभावी और कभी-कभी अप्रभावी बना देता है. सुपरबग किसी भी एंटीबायोटिक दवा के अधिक इस्तेमाल और बिना कारण ही इस्तेमाल करने से पैदा होते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक फ्लू जैसे वायरल संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक लेने पर सुपरबग बनने के अधिक आसार रहते हैं जो धीरे धीरे अन्य मानवों को संक्रमित कर देते हैं.
2050 तक हर साल 1 करोड़ लोगों की जाएगी जान
लांसेट में छपे एक रिसर्च पेपर के अनुसार ब्रिटेन में हुई एक स्टडी बताती है कि सुपरबग हर साल करीब 1 करोड़ लोगों की मौत का कारण बनेगा. अनुमान के लिए, कोरोना के कारण अब तक तीन सालों में लगभग 65 लाख लोगों की मृत्यु हो गई है लेकिन सुपरबग अकेले एक साल में एक करोड़ लोगों की जान ले सकता हैं. भारत में फिलहाल सुपरबग से होने वाली मृत्यु दर 13 प्रतिशत है जोकि कोरोना से 13 गुना अधिक है. सुपरबग से हर दस मिनट पर एक अमेरिकी की जान जाने से चिंतित अमेरिका ने इस पर एक टास्क फोर्स ‘US नेशनल स्ट्रेटेजी फॉर कॉम्बेटिंग एंटीबायोटिक-रेसिस्टेंट बैक्टीरिया’ को गठित किया है.
अमेरिका को हर साल सुपर बग से हो रहा है लगभग 5 बिलियन डॉलर का नुकसान
सुपरबग के कारण अमेरिका को हर साल भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है. इस बीमारी के चलते अमेरिका को लगभग 5 बिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ता है जो भारत के कुल स्वास्थ्य बजट का आधा है. अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक कोरोना के कारण बढ़े एंटीबायोटिक के इस्तेमाल के कारण सुपरबग से होने वाली मृत्यु में 15 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है. डेटा के अनुसार मार्च 2020 से अक्टूबर 2020 तक, COVID-19 के साथ अस्पताल में भर्ती लगभग 80% रोगियों को एंटीबायोटिक दिया गया था जिसने सुपरबग के मामलों को तेजी से बढ़ा दिया. सुपरबग के प्रकोप को देखते हुए अमेरिका में कोरोना के लिए बनाये गए कई अस्पतालों को सुपरबग के इलाज के लिए बदलना पड़ गया. अब इन अस्पतालों में सुपरबग की रोकथाम और मरीजों का उपचार किया जा रहा है, लेकिन अस्पतालों से लगातार निकल रही लाशों ने सुपरपावर के माथे पर चिंता की लकीरे खींच दी हैं.
सुपरबग से अनजान दुनिया, हर साल 50 लाख लोगों की जा रही है जान
मेडिकल जर्नल लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल दुनियाभर में सुपरबग 50 लाख लोगों की जान ले रहा है. सुपर बग अन्य बीमारियों के मुकाबले तेजी से लोगों में फैलता है. रिपोर्ट में अनुसार सुपरबग के कारण सबसे अधिक मौत वेस्ट अफ्रीका में दर्ज की गई थी. वहीं मृत्यु दर सबसे अधिक भारत में दर्ज हुई. सुपर बग पर किसी दवाई का न के बराबर असर होना इतनी अधिक मौतों का कारण बना है. अमेरिका के अनुसार शरीर में मौजूद बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाइयों के अधिक इस्तेमाल के कारण खुद सुपरबग में बदल जाते है जो लोगों में मौत का कारण बनते हैं. मरीज से फैलकर यह सुपरबग अन्य स्वस्थ लोगों को भी अपना शिकार बनाते हैं.
सिर्फ 7 सुपरबग बनते है 70 प्रतिशत मौत का कारण
लांसेट की रिसर्च बताती है कि 88 मौजूद पैथोजन्स में से सिर्फ 7 तरह के सुपरबग्स 70 प्रतिशत से अधिक मौतों का कारण बन रहे हैं. CDC ने भी इन्ही 7 सुपरबग्स को बेहद खतरनाक माना है. निराशाजनक बात है कि यही सात सुपरबग आम तौर पर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. सुपरबग से रेस्पिरेटरी संक्रमण, छाती में संक्रमण, ब्लड स्ट्रीम संक्रमण और पेट के अंदर होने वाले संक्रमण करीब 80 प्रतिशत मौतों का कारण बनते हैं. सुपरबग के कारण होने वाला यह रेस्पिरेटरी संक्रमण दुनियाभर में हर वर्ष 15 लाख लोगों की जान ले लेता है. डॉक्टरों का मानना है कि बड़ी मात्रा में एंटीबायोटिक देने से बने सुपरबग ने कोरोना के दौरान हुई मौतों में अपना अधिक योगदान दिया था जिन्हें कोरोना से जुड़ी मौत मान लिया गया.
कैसे फैलता है सुपरबग
सुपरबग बनने के बाद यह स्किन टू स्किन टच, घाव लगने, सलाइवा और यौन संबंध बनाने से लोगों में फैलता है. सुपरबग बीमारी हो जाने के बाद दवाएं मरीजों पर काम नहीं करती हैं ऐसे में मरीज को बेहद पीड़ा से गुजरना पड़ता है. फिलहाल सुपरबग की कोई दवाई मौजूद नहीं है लेकिन उचित रोकथाम करके हम इसे रोक सकते हैं.
ऐसे बचें सुपरबग के प्रकोप से अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं, या अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें भोजन को ठीक से रखना, जैसे कच्चे और पके हुए भोजन को अलग करना, भोजन को अच्छी तरह से पकाना और साफ पानी का उपयोग करना जो लोग बीमार हैं उनके साथ निकट संपर्क से बचें डॉक्टर की सलाह पर ही एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करना एंटीबायोटिक दवाओं को दूसरों के साथ साझा नहीं करना
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FIRST PUBLISHED : September 13, 2022, 11:39 IST