बार-बार फुल हो जाता है सेफ्टी टैंक तो अपनाएं यह तरीका 50 साल रहेंगे निश्चिंत

सेफ्टी टैंक निर्माणकर्ता अजीत ने बताया कि तीन टैंक वाले इस सेफ्टी वॉल में दो टैंक, जिसमें एक की ऊंचाई 4 फीट तथा दूसरे की ऊंचाई 2 फीट होती है और यह फिल्टर का काम करता है. जबकि एक टैंक जो मुख्य होता है और उसकी ऊंचाई लगभग 8 फीट होती है. उन्होंने बतायाकि 4 फीट और 2 फीट ऊंचाई वाले टैंक का निर्माण पानी और मल के फिल्टर के लिए किया जाता है.

बार-बार फुल हो जाता है सेफ्टी टैंक तो अपनाएं यह तरीका 50 साल रहेंगे निश्चिंत
सुल्तानपुर. हमारे दैनिक जीवन में उपयोग आने वाली आस-पास की कुछ चीजें ऐसी होती है, जिस पर हमारी उपयोगिता प्रतिदिन निर्भर करती है. लेकिन, उसके विषय में हमें जानकारी कम ही होती है. आज हम एक ऐसे विषय पर बात करने वाले हैं, जिसका जुड़ाव प्रत्येक आदमी से है. जी हां, अगर आप भी अपने सेफ्टी टैंक के बार-बार भर जाने से परेशान हैं तो एक ऐसे व्यक्ति से रूबरू करवाते हैं जो एक खास तरह का सेफ्टी टैंक का निर्माण करते हैं. यह सेफ्टी टैंक 50 सालों तक नहीं भरता है. ऐसे तैयार किया जाता है सेफ्टी टैंक तीन टैंक वाले इस सेफ्टी वॉल में दो टैंक, जिसमें एक की ऊंचाई 4 फीट तथा दूसरे की ऊंचाई 2 फीट होती है और यह फिल्टर का काम करता है. जबकि एक टैंक जो मुख्य होता है और उसकी ऊंचाई लगभग 8 फीट होती है. सेफ्टी टैंक निर्माणकर्ता अजीत ने लोकल 18 को बताया कि 4 फीट और 2 फीट ऊंचाई वाले टैंक का निर्माण पानी और मल के फिल्टर के लिए किया जाता है. देसी तकनीक से ठोस अपशिष्ट पानी में होता है तब्दील सेफ्टी टैंक निर्माण करने वाले अजीत कुमार ने लोकल 18 को बताया कि इस विधि से बनाया गया सेफ्टी टैंक जिसमें ठोस अपशिष्ट को पानी में तब्दील कर दिया जाता है और उसके लिए किसी केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता बल्कि देसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें गुड़ और ब्रेड के मिश्रण को मुख्य सेफ्टी टैंक में डाल दिया जाता है. जिससे स्वउत्पन्न कीड़े ठोस अपशिष्ट को खाकर पानी में तब्दील कर देते हैं. जिससे सेफ्टी टैंक ठोस अपशिष्ट से कभी भरता ही नहीं. अजीत को पूर्वजों से मिली है प्रेरणा सेफ्टी टैंक निर्माणकर्ता अजीत कुमार को इस तरह के टेक्निकल टैंक को बनाने की प्रेरणा उनके पुरखों से मिली है. उन्हींसे सीख लेकर पिछले 15 सालों से इसका निर्माण कर रहे हैं. आपको बता दें कि इस सेफ्टी टैंक को बनाने में गिट्टी, मोरंग, सरिया, सीमेंट आदि का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें मोरंग और सीमेंट का अनुपात 3:1 का होता है. Tags: Local18, Sultanpur news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 13:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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