लागत न के बराबरकमाई छप्परफाड़ कमाल की है यह खेती किसान बन जाएंगे मालामाल

फर्रुखाबाद के भिम्मी नगला गांव के निवासी अमरसिंह ने बताया कि उन्होंने इसके थोड़े से पौधों को लाकर लगाया था. इसके बाद वह नियमित रुप से सिंचाई करने लगे. आज आलम यह है कि यह पूरे खेत में फैल चुका है.

लागत न के बराबरकमाई छप्परफाड़ कमाल की है यह खेती किसान बन जाएंगे मालामाल
सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: कुछ खेती ऐसी होती है जिसमें लागत कुछ भी नहीं लगती है, लेकिन इससे तगड़ा मुनाफा मिलता है. ऐसी ही एक है मिंट यानि पुदीने की फसल. पुदीने का मुख्य तौर पर जलजीरा बनाने, चटनी बनाने और विभिन्न प्रकार की भोजनों में का प्रयोग किया जाता है. वहीं पुदीने से पिपरमेंट, तेल, टूथब्रश, माउथ फ्रेशनर भी तैयार किया जाता है. पुदीने की पत्तियों को सुखा कर भी रखा जाता है, जिसे गर्मियों के दिनों में दही और छाछ में डालकर भी प्रयोग किया जाता है. फर्रुखाबाद के भिम्मी नगला गांव के निवासी अमरसिंह ने बताया कि उन्होंने इसके थोड़े से पौधों को लाकर लगाया था. इसके बाद वह नियमित रुप से सिंचाई करने लगे. आज आलम यह है कि यह पूरे खेत में फैल चुका है. आज वह इसकी सुबह और शाम कटिंग करके इसके पौधों को मंडी में बेच रहे हैं. जिससे वह लाखों की कमाई कर रहे हैं. वह भी मात्र नियमित सिंचाई करने से क्योंकि इसमें कोई भी खाद और दवा नहीं पड़ती. यह सदाबहार तरीके से ग्रोथ करता रहता है. यदि मौसम के अनुसार पुदीने की खेती की जाए, इससे आप लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं. क्योंकि इस समय बाजार में पुदीने की तगड़ी डिमांड बनी हुई है. ऐसे समय में यह आमतौर पर चालीस से पचास रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है. लागत के नाम पर बस पौधों को लगाया जाता है. इसके बाद इसमें सिंचाई की जाती है. कम समय में ही यह तेजी से बढ़ने लगता है. पुदीने के लिए यह जलवायु और मिट्टी है मुफीद पुदीने की खेती सम शीतोष्ण जलवायु के साथ ही उष्ण कटिबंधीय जलवायु में भी तैयार की जा सकती है. जल जमा वाली मिट्टी में इसे आसानी से उगाया जा सकता है. इसके लिए मिट्टी का पीएच 6 से 7.5 होना चाहिए. ये हैं पुदीना की प्रजाति कोशी, शिवालिक, हिमालय, कुशाल, सक्षम, गोमती, 41912, एल 11813, शंकर 77 जैसी पुदीना की उन्नत किस्में हैं. यह है खेती का तरीका किसान अमर सिंह बताते हैं कि वह अच्छे से जुताई करने के बाद अपने खेतों में छोटी-छोटी क्यारियां बना लेते है. इसके बाद उसमें नियमित रूप से सिंचाई करते रहते हैं. जब इसमें पानी भर जाता है, तो पुदीने की छोटी-छोटी जड़ों को वह लगा देते हैं. कुछ दिनों में इसकी जड़ से नए पौधे निकलने लगते हैं और आकार बढ़ने लगता है. जिसके बाद वह इसकी कटिंग करके बाजार में बिक्री कर देते हैं. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 11:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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