इस खेती से आलू की उत्पादन हो जाती है डबल किसानों की होती है बंपर कमाई
इस खेती से आलू की उत्पादन हो जाती है डबल किसानों की होती है बंपर कमाई
Farrukhabad Potato Production: यूपी का फर्रुखाबाद जिला आलू की खेती के लिए प्रदेशभर में सबसे अग्रणी है. यहां के किसान आलू की फसल की बुआई से पहले उसमें ढैंचा तैयार करते हैं.ढेंचा बड़ा होने पर किसान उसकी जुताई कर उसमें आलू की फसल की बुआई करते हैं.
फर्रुखाबाद: अगर आप भी आलू की फसल इस बार उगाना चाहते हैं, तो अभी कर लें यह काम. आपकी हजारों रुपए की लागत भी बचेगी और खेत में पैदावार भी डबल हो जाएगी. हम बात कर रहे हैं आलू के फसल की बुवाई के समय के उन हालातों कि जब किसानों को महंगी खाद खरीद कर डालना पड़ता है. जिसके चलते उनकी जेब पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ता है. यही कारण है कि किसान कर्ज लेकर इस फसल को उगाते हैं, लेकिन अब हम आपको इस रिपोर्ट के जरिए बताएंगे कि कैसे आप अपनी डबल कमाई न्यूनतम लागत में कर सकते हैं.
आलू उत्पादन के लिए मशहूर है यह जिला
यूपी में सर्वाधिक आलू उत्पादन के लिए फर्रुखाबाद जिला मशहूर है. ऐसे समय यहां के किसान अपने खेतों में इस समय ऐसी फसल की बुवाई कर रहे हैं, जो की आने वाले समय में जब आलू की तैयारी चल रही होती है, तो उस समय इसी फसल को खेत में डालकर हरी खाद तैयार करते हैं. जिसके कारण ऐसे चमत्कारी परिणाम होते हैं, जो कि आलू के उत्पादन को डबल कर देते हैं. वह भी मात्र 100 रुपए में.
जानें कैसे बढ़ती है आलू की पैदावार
फर्रुखाबाद के कमालगंज क्षेत्र के नरायनपुर गढ़िया गांव निवासी कश्मीर सिंह कटियार बताते हैं कि वह करीब 50 सालों लगातार आलू की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन वह दूसरे किसानों की अपेक्षा कभी भी अधिक लागत नहीं लगाते हैं. बस समय से बारिश के इन दिनों में अपने खेतों में ढैंचा के बीजों को बो देते हैं. जब आलू की बुवाई के समय ही खेत की जुताई करके यह खड़ी खाद तैयार कर लेते हैं. इसके कारण उनके हजारों रुपए की लागत भी बच जाती है और उत्पादन भी बढ़ जाता है.
100 रुपए में एक बीघा खेती हो जाती है मजबूत
जी हां! एक फसल ढैंचा है, जो कि आमतौर पर बाजार में 20 रुपए प्रति किलो की दर से मिल जाती है. वह किसान 5 किलो प्रति बीघा के हिसाब से अपने खेत में बुआई कर देते हैं. जहां खेत में उगने के बाद ढैंचा तीव्र गति से बढ़ता है और उसमें हरी खाद के बेहतर अवशेष होते हैं. इसके कारण यह फसल अत्यधिक बढ़ती रहती है.
जब आलू की बुवाई करीब आती है, तो इस फसल को खेत में ही काट देते हैं. जिसके कारण इसके अवशेष खेत की मिट्टी में मिल जाते हैं और जैविक खाद का निर्माण कर देते हैं. यही हरी खाद आलू के पौधों को पोषण प्रदान करती है और उत्पादन बढ़ जाता है.
Tags: Agriculture, Farrukhabad news, Local18FIRST PUBLISHED : August 27, 2024, 11:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed