SC में कपिल सिब्बल की दलील सुन SG तुषार मेहता बोले- यह नहीं टिकेगा खारिज हो
SC में कपिल सिब्बल की दलील सुन SG तुषार मेहता बोले- यह नहीं टिकेगा खारिज हो
Centre vs State Issue: केंद्र और राज्य के अधिकार क्षेत्र से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. पश्चिम बंगाल का कहना है कि CBI बिना प्रदेश सरकार की अनुमति के एफआईआर दर्ज कर छानबीन शुरू कर दे रही है.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट न्याय की आखिरी दहलीज है. जब किसी को लगता है कि उसको न्याय नहीं मिला है तो वह शीर्ष अदालत की ओर रुख करता है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट संविधान से जुड़े मसलों पर भी विचार करता है. एक ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसमें केंद्र और राज्य के अधिकार क्षेत्र का मसला निहित था. इसमें एक पक्षकार पश्चिम बंगाल है तो दूसरा केंद्र. पश्चिम बंगाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए, जबकि केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील रखी. यह मामला संविधान के अनुच्छेद 131 से जुड़ा था. बता दें कि इस अनुच्छेद में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिकार क्षेत्र का उल्लेख है. इसके तहत शीर्ष अदालत को अधिकार दिया गया है कि वह केंद्र और राज्य या केंद्र और एक से ज्यादा राज्य या फिर राज्यों के बीच विवाद उत्पन्न होने पर उसपर विचार कर उसका निस्तारण करे.
दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से केंद्र पर राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है. बंगाल सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के समक्ष दलील देते हुए कहा, ‘उनकी (केंद्र) मंशा सीबीआई के जरिये घुसना और उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) का इस्तेमाल कर वह करना जो वह करना चाहते हैं. इसके दूरगामी परिणाम होंगे.’ सुप्रीम कोर्ट की एक और पीठ इसी तरह के एक और मामले की सुनवाई कर रही है. यह तमिलनाडु से जुड़ा है. प्रदेश की जांच एजेंसी ने ED के अधिकारी अंकित तिवारी के खिलाफ मुकदमा चलाया है.
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सुप्रीम कोर्ट का सीधा और स्पष्ट जवाब
दरअसल, पश्चिम बंगाल की आपत्ति इस बात को लेकर थी कि केंद्रीय कर्मचारियों द्वारा किए गए अपराध के मामले में सीबीआई एकतरफा तरीके से मामले की जांच करने के अधिकार का दावा करती है. वेस्ट बंगाल की आपत्तियों और कपिल सिब्बल की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कानून एवं व्यवस्था राज्य सूची से जुड़ा मामला है. जस्टिस बीआर गवई ने कहा, ‘कानून एवं व्यवस्था राज्य का विषय है. मान लीजिए कोई केंद्रीय कर्मचारी डकैती करता है तो क्या इस मामले की जांच सिर्फ CBI करेगी?’ पीठ में शामिल जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि जब आर्मी का कोई जवान जब सेना के शिविर में भी कोई अपराध करता है तो अधिकारी दोषी को पुलिस के हवाले कर देते हैं.
क्या बोले SG तुषार मेहता?
दरअसल, इससे जुड़ी मूल याचिका संविधान के अनुच्छेद 131 के अधीन सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है. ईडी ने अंकित तिवारी मामले में तमिलनाडु सरकार के कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. ईडी का कहना है कि अंकित तिवारी केंद्रीय कर्मचारी हैं, लिहाजा मामला उसे ट्रांसफर कर दिया जाए. इस मामले में शामिल होते हुए पश्चिम बंगाल का कहना है कि सीबीआई कई मामले दर्ज कर कार्रवाई कर रही है. जांच शुरू करने से पहले राज्य सरकार से पूर्व में अनुमति भी नहीं ली जा रही है. वहीं, दूसरी तरफ, कपिल सिब्बल की दलीलों और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को सुनने के बाद SG तुषार मेहता ने पीट के समक्ष कहा कि मूल याचिका पोषणीय नहीं है, लिहाजा इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.
Tags: Kapil sibbal, Supreme Court, Tushar mehtaFIRST PUBLISHED : May 5, 2024, 09:11 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed