महाराष्ट्र में इस सीट पर गेम खेल गया प्रकाश अंडेकर का आदमी मुश्किल में भाजपा!
महाराष्ट्र में इस सीट पर गेम खेल गया प्रकाश अंडेकर का आदमी मुश्किल में भाजपा!
लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र की कई सीटों पर कांटे की टक्कर बताई जा रही है. यहां कुल 48 सीटें हैं. सियासी रूप से यह एक अहम प्रदेश है. यहां की एक ऐसी ही सीट है सोलापुर, जहां के समीकरण काफी कड़े दिख रहे हैं.
सियासी रूप से देश के दूसरे सबसे बड़े सूबे महाराष्ट्र में हर एक सीट का गणित हर रोज बदल रहा है. यहां कुल 48 सीटों पर पांच चरणों में वोटिंग होना है. तीसरे चरण में सात मई को यहां की 11 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इसमें से एक सीट पर भाजपा उलझती दिख रही है. यहां पर वंचित बहुजन अघाड़ी के एक उम्मीदवार ने खेल कर दिया है. इस कारण पूरा गेम बदल गया है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को दिल्ली का संसद भवन दिखने लगा है. हालांकि अभी यहां वोटिंग में करीब 10 दिन बचे हैं और तब तक हवा का रुख किस ओर होगा अभी से कुछ नहीं कहा जा सकता है.
हम बात कर रहे हैं राज्य के सोलापुर लोकसभा क्षेत्र की. यह बीते करीब तीन दशक से एक हॉट सीट बनी हुई है. यहां से कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे तीन बार सांसद रह चुके हैं.
वीबीए उम्मीदवार ने वापस लिया नाम
इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में यहां से उनकी बेटी परणीति सुशीलकुमार शिंदे मैदान में हैं. फिलहाल वह इसी इलाके से विधायक हैं. उनके सामने हैं भाजपा के नेता राम सेतपुते. वह भी विधानसभा के सदस्य हैं. इन दोनों के बीच ही मुकाबला है. इस सीट पर प्रकाश अंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) ने राहुल गायकवाड को टिकट दिया था. लेकिन, नाम वापस लेने के अंतिम दिन उन्होंने अपनी उम्मीवादरी छोड़ दी. उन्होंने आरोप लगाया कि वीबीए के नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से सहयोग नहीं मिलने के कारण उन्होंने अपना नाम वापल लिया है.
गायकवाड ने आगे कहा कि चुनाव मैदान में उनके बने रहने से भाजपा को फायदा होता. ऐसा होने से भाजपा विरोधी वोट बंट जाते. वह नहीं चाहते कि इस सीट से भाजपा की जीत हो और उसका एक और सांसद संसद भवन पहुंचे. क्योंकि भाजपा सत्ता में आने पर बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान बदलने को दृढ़ संकल्प है. उनके मैदान में रहने से ऐसा संदेश जाता कि वह भाजपा का सहयोग कर रहे हैं.
गायकवाड का नाम वापस लेना क्यों अहम
अब सवाल यह है कि गायकवाड के नाम वापस लेने से क्या वाकई कांग्रेस को फायदा होगा? इसका जवाब 2019 के चुनावी नतीजे में छिपा हो सकता है. बीते लोकसभा चुनाव में इस सीट वीबीए के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर खुद मैदान में थे. उस वक्त कांग्रेस की ओर से सुशील शिंदे उम्मीदवार थे. शिंदे 1.58 लाख वोटों से चुनाव हार गए. दूसरी तरफ प्रकाश अंबेडकर को 1.70 लाख वोट मिले. तब चुनावी पंडितों का मानना था कि प्रकाश अंबेडकर को मिले वोट आसानी से कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में ट्रांसफर करवाए जा सकते थे. अगर ऐसा होता तो सोलापुर में लड़ाई कांटे की हो जाती. हालांकि, यहां की विधानसभा सीटों के गणित लड़ाई को एकतरफा दिखाते हैं. बीते विधानसभा चुनाव में यहां की छह विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा और एक-एक पर कांग्रेस और एनसीपी के उम्मीदवार को जीत मिली थी.
इसी फॉर्मूले के आधार पर इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में सोलापुर की जंग को कांटे का बताया जा रहा है. लेकिन, 2014 के नतीजे देखने के बाद स्थिति थोड़ी जटिल हो जाती है. 2014 में शिंदे यहां से करीब 1.50 लाख वोटों से हार गए थे. उस चुनाव में भाजपा को 54.43 फीसदी वोट मिले थे. यह संख्या सभी विपक्षी उम्मीदवारों को मिले कुल वोट से अधिक था. सुशील शिंदे सोलापुर से 1998, 1999 और 2009 में लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं.
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Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : April 27, 2024, 16:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed