सालों से मैरिटल रेप कानून पर नेताओं का रहा सुस्त रवैया अब सुप्रीम कोर्ट 2023 में फिर करेगी सुनवाई
सालों से मैरिटल रेप कानून पर नेताओं का रहा सुस्त रवैया अब सुप्रीम कोर्ट 2023 में फिर करेगी सुनवाई
Marital Rape Act: एक पखवाड़े पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष दायर एक अपील पर नोटिस जारी किया और कहा कि वह इस मामले की सुनवाई फरवरी 2023 में करेगा. अब ऐसे में क्या सुप्रीम कोर्ट की बेंच अब सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच के फैसले से मैरिटल रेप के बड़े मुद्दे पर गर्भपात कराने के अधिकार के संदर्भ में इसे मान्यता दिए जाने के बाद से कोई संकेत लेगी?
हाइलाइट्समैरिटल रेप कानून बनाने की मांग भी लगातार उठती रही है.अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि मैरिटल रेप अपराध है या नहीं.सुप्रीम कोर्ट मैरिटल रेप कानून मामले की सुनवाई फरवरी 2023 में करेगी.
नई दिल्ली. देश में जब-जब मैरिटल रेप को लेकर कानून बनाने की बात हुई है तब-तब नेताओं ने इसे टालने का खूब प्रयास किया है. लेकिन, अतिसंवेदनशील विषय होने की वजह से देश में मैरिटल रेप कानून बनाने की मांग भी लगातार उठती रही है. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद लोगों को मैरिटल रेप कानून बनने की उम्मीद भी नजर आने लगी है. दरअसल मैरिटल रेप के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच के विभाजित फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 11 मई को दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने अलग-अलग फैसला दिया था. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि मैरिटल रेप अपराध है या नहीं.
इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुये गुरुवार को गर्भपात को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि सभी महिलाओं को सुरक्षित, कानून सम्मत तरीके से गर्भपात करने का अधिकार है. सिर्फ विवाहित ही नहीं, अविवाहित महिलाएं भी 24 हफ्ते तक गर्भपात करा सकती हैं यानि लिव-इन रिलेशनशिप और सहमति से बने संबंधों से गर्भवती हुई महिलाएं भी गर्भपात करा सकेगी.
कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) संशोधन अधिनियम, 2021 के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए फैसला सुनाया है. कोर्ट ने साफ किया कि इस कानून की व्याख्या केवल विवाहित महिलाओं तक सीमित नहीं रह सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर बिना मर्जी के कोई विवाहित महिला गर्भवती होती है, तो इसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत रेप माना जाना चाहिए और इस लिहाज से उसे गर्भपात कराने का अधिकार होगा.
एक पखवाड़े पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष दायर एक अपील पर नोटिस जारी किया और कहा कि वह इस मामले की सुनवाई फरवरी 2023 में करेगी. क्या सुप्रीम कोर्ट की बेंच अब सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच के फैसले से वैवाहिक बलात्कार के बड़े मुद्दे पर गर्भपात कराने के अधिकार के संदर्भ में इसे मान्यता दिए जाने के बाद से कोई संकेत लेगी? आईपीसी लागू होने के 162 साल बाद भी यह इंतजार जारी है.
बता दें, मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने का मसला अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. आज के फैसले के मुताबिक, सिर्फ एमटीपी एक्ट के तहत ही रेप में मैरिटल रेप भी शामिल होगा यानि इसका आरोप लगाकर अभी शादीशुदा महिला गर्भपात करा सकेगी पर अभी पति के खिलाफ मुकदमा नहीं चलेगा.
मैरिटल रेप कानूनी रूप से अपराध है या नहीं, इसको लेकर भले ही फैसला बाद में आयेगा. लेकिन, जिस तरह से देश दो बड़ी पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी ने सुस्त रवैया दिखाया वह निश्चित तौर पर यह बताता है कि कहीं न कहीं नेताओं के दृढ़ संकल्प में कमी की वजह से अब तक देश में मैरिटल रेप कानून नहीं बन पाया है. बता दें, भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है. हालांकि, इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की ओर से लंबे वक्त से मांग चल रही है. याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आईपीसी की धारा 375(दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म को अपवाद माने जाने को लेकर संवैधानिक तौर पर चुनौती दी थी.
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Tags: Abortion, Marital Rape, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 29, 2022, 21:23 IST