महाराष्ट्रः शिवसेना का मुर्मू को सपोर्ट करने का फैसला क्या BJP के लिए एक संकेत है समझिए
महाराष्ट्रः शिवसेना का मुर्मू को सपोर्ट करने का फैसला क्या BJP के लिए एक संकेत है समझिए
Maharashtra News: एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन शिवसेना की राजनीतिक मजबूरी बन गई है. हालांकि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को दावा किया कि शिवसेना बिना किसी दबाव के मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा कर रही है. कहा जा रहा है कि शिवसेना सांसदों से राष्ट्रपति पद के लिए मुर्मू का समर्थन करने और भाजपा और पार्टी के एकनाथ शिंदे गुट के साथ संभावित सुलह का दरवाजा खोलने का अनुरोध किया गया है.
मुंबई. आगामी राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने का फैसला लिया है. इस फैसले की घोषणा स्वयं शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने की है. सवाल है कि क्या एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन शिवसेना की राजनीतिक मजबूरी बन गई है. क्या इसी राजनीतिक मजबूरी ने शिवसेना को द्रौपदी मुर्मू के समर्थन के फैसले की ओर कदम बढ़ाने को मजबूर किया है. वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि शिवसेना का यह फैसला भाजपा के लिए एक संकेत है.
हालांकि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को दावा किया कि शिवसेना बिना किसी दबाव के मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा कर रही है. मंगलवार को उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह यह फैसला अपने विधायकों के दबाव में आकर नहीं कर रहे हैं. लेकिन इसके ठीक इतर यह सब जान रहे हैं कि शिवसेना के भीतर हाल ही में हुए भीतरघात ने शिवसेना को कमजोर बना दिया है. इसकी ताकत में भी कमी आई है. महाराष्ट्र में सत्ता गवाने के बाद शिवसेना के पास बहुत कम विकल्प बच गए हैं.
एकनाथ शिंदे गुट के साथ संभावित सुलह का अनुरोध
सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के आवास पर बैठक बुलाई गई थी. जिसमें पार्टी के 18 शेष सांसदों में से 13 ने बैठक में भाग लिया था. कहा जा रहा है कि बैठक में सांसदों से राष्ट्रपति पद के लिए मुर्मू का समर्थन करने और भाजपा और पार्टी के एकनाथ शिंदे गुट के साथ संभावित सुलह का दरवाजा खोलने का अनुरोध किया गया है.
शिवसेना पर उद्धव ठाकरे की पकड़ हो रही ढीली
पिछले सप्ताह पार्टी सांसद राहुल शेवाले ने ठाकरे को पत्र लिखते हुए कहा था कि शिवसेना को मुर्मू का समर्थन करना चाहिए. शिवसेना में जहां ठाकरे से शायद ही कभी सवाल किया गया हो वहां शिवसेना अध्यक्ष को सांसद का पत्र एक स्पष्ट संकेत है कि शिवसेना पर उद्धव ठाकरे की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है. पार्टी के सदस्य अब खड़े होकर अपने मन की बात कहने से नहीं डर रहे हैं.
ठाकरे के पास कोई और विकल्प नहीं
पार्टी के भीतर हाल के विद्रोह के बाद ठाकरे के पास वैसे भी अपने तेवर को नरम करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है. यदि ठाकरे अपने तीखे तेवर दिखाते हैं और अपने सांसदों की भावनाओं की अवहेलना करने का प्रयास करते हैं तो पार्टी के भीतर दरार और व्यापक रूप ले लेगी.
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Tags: Rashtrapati Chunav, Shivsena, Uddhav thackerayFIRST PUBLISHED : July 13, 2022, 07:59 IST