गोबर गोमूत्र गुड़ और बेसन से बना ये खादधान के लिए वरदान
गोबर गोमूत्र गुड़ और बेसन से बना ये खादधान के लिए वरदान
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि किसान अगर एक देसी गाय अपने घर पाल लें तो किसान को पूरे साल बाजार से खाद खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. देसी गाय के एक ग्राम गोबर में करोड़ों की संख्या में सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं. जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए बहुत जरूरी होते हैं.
शाहजहांपुर : रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल से लगातार मिट्टी के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. मिट्टी में रहने वाले किसानों के मित्र कीट मर रहे हैं. मिट्टी का पीएच लगातार बिगड़ जा रहा है. गौरतलब है कि मिट्टी का पीएच 7 से 7.5 होना चाहिए. अगर ये संतुलन बिगड़ा है तो ऐसे में तैयार होने वाली उपज सेहत के लिए भी नुकसानदायक साबित होगी. इसकी वजह से लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में किसानों को जैविक खेती की ओर रुख करना होगा.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के वैज्ञानिक डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि किसान अगर एक देसी गाय अपने घर पाल लें तो किसान को पूरे साल बाजार से खाद खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. देसी गाय के एक ग्राम गोबर में करोड़ों की संख्या में सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं. जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए बहुत जरूरी होते हैं. एक गाय के गोबर और मूत्र से कई खाद और कीटनाशक बनाकर 30 एकड़ खेत में आसानी से खेती की जा सकती है. ऐसे में किसान अगर घन जीवामृत बना लें तो उसको रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा.
कैसे बनाएं घन जीवामृत?
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि घन जीवामृत बनाने के 100 किग्रा देसी गाय के गोबर को, 2 किग्रा गुड़, 2 किग्रा बेसन और 1 किग्रा पेड़ के नीचे की मिट्टी लेकर अच्छी तरह मिश्रण बना लें. इस मिश्रण में 5 लीटर गोमूत्र डालकर अच्छी तरह गूंथ लें ताकि घन जीवामृत बन जाए. अब इस घन जीवामृत के उपले बना कर छांव में सुखा लें. इसे बुवाई के समय या पानी देने के 2 से 3 दिन बाद प्रयोग कर सकते हैं. इस जैविक खाद को 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है.
कैसे करें इस्तेमाल?
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि सूखे हुए उपलों को जरूरत पड़ने पर महीन-महीन पीस लें. उसके बाद 250 किलोग्राम सड़े हुए गोबर की खाद में एक क्विंटल घन जीवामृत मिलाकर उसको धान की खेत में डाल दें. ध्यान रखें कि जब यह खेत में डाला जाए उस वक्त खेत में पर्याप्त नमी हो.
उपला देगा चमत्कारी रिजल्ट
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि घन जीवामृत से बने उपलों को इस्तेमाल करने का दूसरा तरीका यह है कि घन जीवामृत से बने सूखे हुए उपले को फलदार पेड़ या धान की फसल के नीचे तीन से चार सेंटीमीटर की दूरी पर रख दें. जैसे ही खेत में सिंचाई करेंगे. इसमें मौजूद सूक्ष्म जीव सक्रिय हो जाएंगे. जिसे पौधा आसानी से ग्रहण करेगा. और पौधा अच्छे से ग्रोथ करेगी और किसानों को उत्पादन अच्छा मिलेगा.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 19:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed