आरिफ और सारस से कम नहीं है रचित और मगलू कबूतर की जोड़ीसता रहा अनहोनी का डर

रचित ने बताया कि मगलू बाइक की आवाज और उसके हॉर्न की आवाज भी पहचान लेता है. जब वह बाइक पर सवार होकर घर से निकलते हैं तो बाइक के स्टार्ट होने की आवाज सुनकर मगलू भी आकर उसके कंधे पर बैठ जाता है. कभी-कभी बाइक के साथ उड़ान भी भरता है.

आरिफ और सारस से कम नहीं है रचित और मगलू कबूतर की जोड़ीसता रहा अनहोनी का डर
शाहजहांपुर: अपने आरिफ और सारस की दोस्ती के किस्से तो आपने खूब सुने ही होंगे लेकिन शाहजहांपुर में रचित और मगलू नाम के कबूतर की दोस्ती की कहानी के चर्चे अब आम हो गए हैं. मगलू अपने दोस्त रचित के साथ साया की तरह रहता है. रचित अगर बाइक पर भी निकलता है तो मगलू भी रचित के साथ उड़ान भरता है. कई बार कंधे पर बैठकर सफर तय करता है. खास बात ये है कि दोनो एक साथ बैठकर खाना खाते हैं. प्यार इतना की मगलू रचित के मुंह से निकाल कर भी खा लेता है. फिलहाल यहां मगलू और रचित की दोस्ती आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. शाहजहांपुर में हदफ चौकी के रहने वाले रचित ने एक कबूतर पाल रखा है. जिसका नाम मगलू है. रचित ने बताया कि जब कबूतर 10 दिन का था, तभी बाज के हमले में उसके मां-बाप मर गए थे. उसके बाद रचित ने ही इस कबूतर को पाल-पोस कर बड़ा किया. अब ये मंगलू नाम का कबूतर रचित के साथ रहता और खाता है. दोनों एक साथ सोते हैं. सुबह पहले उठकर मगलू अपने दोस्त रचित को जगाता है. बाइक की आवाज भी पहचानता है मगलू रचित ने बताया कि मगलू बाइक की आवाज और उसके हॉर्न की आवाज भी पहचान लेता है. जब वह बाइक पर सवार होकर घर से निकलते हैं तो बाइक के स्टार्ट होने की आवाज सुनकर मगलू भी आकर उसके कंधे पर बैठ जाता है. कभी-कभी बाइक के साथ उड़ान भी भरता है. मगलू को रचित से एक मिनट की दूरी भी बर्दाश्त नहीं होती. मंगलू रचित के साथ खूब अठखेलियां करता है. मगलू को पसंद है ये चीजें रचित यूपी पुलिस में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रहे हैं. रचित जब शाम को वापस घर पहुंचते हैं तो मगलू उनका इंतजार करता हुआ दिखाई देता है. जैसे ही वह घर पहुंचते हैं तो मगलू उनका मुंह चूमता है और प्यार- दुलार करने लगता है. दोनों में प्यार इतना है कि मगलू रचित के मुंह से निकाल कर खाना भी कहा लेता है. मगलू को चने, दाल रोटी, चावल और आलू की सब्जी बेहद पसंद है. सता रहा अनहोनी का डर रचित ने बताया कि उनको भी मगलू से दूरी बर्दाश्त नहीं होती. कई बार जब वह सुबह टहलने के लिए निकलते हैं तो मगलू भी उनके साथ आता है और इतनी ऊंची उड़ान भरता है कि वह दिखना बंद हो जाता है. इसके बाद उनको बेचैनी महसूस होने लगती है. उन्हें इस बात का डर सताता है कि जिस तरह मंगलू के माता-पिता हादसे का शिकार हो गए थे, कहीं ऐसी ही कोई अनहोनी मगलू के साथ भी ना हो जाए. Tags: Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 15:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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