कबूतर-इंसान की प्रेम कहानी रचित के बिना एक पल नहीं रहता पढ़िए ये LOVE STORY

Shajahanpur News: कबूतर के मां-बाप मरने के बाद रचित नाम के शख्स ने उसका पालन-पोषण किया. बचपन से ही पालने के चलते वह रचित के पास सोते जागते रहने लगा है. अब वह मोटरसाइकिल के साथ उड़कर साथ-साथ चलता है और रचित को पहचान लेता है.

कबूतर-इंसान की प्रेम कहानी रचित के बिना एक पल नहीं रहता पढ़िए ये LOVE STORY
हाइलाइट्स शाहजहांपुर में कबूतर-युवक की प्रेम कहानी की हो रही चर्चा. कबूतर को उसके माता-पिता की मौत के बाद रचित ने किया था उसका पालन-पोषण. शाहजहांपुरः बेजुबान जानवरों का इंसान से लगाव सदियों पुराना है. पशु-पक्षियों को अगर किसी इंसान से लगाव हो जाए तो उसे एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ते हैं. वैसे तो इस मामले में कुत्ते सबसे अधिक वफादार होते हैं. लेकिन इनके अलावा और भी कई पशु-पक्षी हैं, जो ख्याल रखने वाले को इस कदर पहचान लेते हैं कि वो उन्हें दूर से ही ढूंढ लेते हैं. ऐसी ही एक मार्मिक कहानी शाहजहांपुर की है, जहां एक कबूतर एक युवक के साथ 24 घंटे साथ रहता है. उसी के साथ खाता-पीता है और सोता भी है. कबूतर के मां-बाप की बचपन में ही हो गई मौत कबूतर के मां-बाप मरने के बाद रचित नाम के शख्स ने उसका पालन-पोषण किया. बचपन से ही पालने के चलते वह रचित के पास सोते जागते रहने लगा है. अब वह मोटरसाइकिल के साथ उड़कर साथ-साथ चलता है और रचित को पहचान लेता है. संवेदना एक ऐसी अनुभूति है, जो दूसरों के दर्द को अपना बना देती है. दर्द दूसरों को होता है, पर प्राण अपने छटपटाते हैं. ऐसी ही अनुभूति रचित को कबूतर के बच्चे के प्रति हुई थी. कभी कबूतर बीमार होता है पर प्राण रचित के छटपटाते हैं. रचित के हाथों से ही खाना खाता है मगलू रचित और कबूतर की कहानी इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है. रचित ने कबूतर को बचपन से पाला पोसा और उसको नया जीवन दिया. बड़े होने पर कबूतर अपनी जमात छोड़कर रचित के साथ रहने लगा. कबूतर जब एक हफ्ते का था तो कबूतर के बच्चे के मां-बाप को बाज खा गया था. ऐसे में रचित ने उसे हाथों से दाना पानी खिलाकर बड़ा किया. धीरे-धीरे वह बड़ा होने पर उसके साथ खाना खाने लगा. यहां तक की अपने हाथों से दी हुई चना रोटी और आलू चावल की तहरी तक खा लेता है. रचित के बिना बेचैन हो जाता है मगलू रचित कबूतर को मगलू बुलाता है. अब मगलू इतना बेचैन रहता कि अगर रचित ना दिखे तो वह गुटर गू कर चिल्लाने लगता है. 24 घंटे वह रचित के साथ रहता है. यहां तक की मोटरसाइकिल पर जब बाहर सैर करने निकलता है तो बाइक से साथ-साथ उड़कर उसके पास जाता रहता है. हद्दफ चौकी के रहने वाले रचित इस कबूतर की वजह से चर्चा में आए हैं. कबूतर और रचित की दोस्ती की वजह से उन्हें हर कोई जानता हैं. आमतौर से कबूतर इंसानों के साथ नहीं रहता बल्कि डर से वह उड़ जाता है. लेकिन मगलू रचित के कंधों पर बैठकर बाइक पर सवार होकर निकलता है तो हर कोई देखा ही रह जाता है. ऐसे में कबूतर और रचित की दोस्ती चर्चा के विषय बनी हुई है. Tags: Shahjahanpur NewsFIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 07:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed