दिल्ली के दिल पर बनी उग्रसेन की बावली यहीं हुई ‘पीके’ की शूटिंग आपने देखा!
दिल्ली के दिल पर बनी उग्रसेन की बावली यहीं हुई ‘पीके’ की शूटिंग आपने देखा!
उग्रसेन की बावली दिल्ली के दिन यानी कनॉट प्लेस पर है. हजारों से लोग इसके पास से गुजरते हैं लेकिन इन्हें इसका पता नहीं होता. कनाट प्लेस आने वाले लोग यहां पर टहलते हुए आ सकते हैं.
नई दिल्ली. अगर आपने ‘पीके’ फिल्म देखी होगी तो आपको एक बावली जरूर याद होगी, जहां आमिर खान और अनुष्का शर्मा आते हैं. याद आ गया ना….यह उग्रसेन की बावली दिल्ली के दिन यानी कनॉट प्लेस पर है. हजारों से लोग इसके पास से गुजरते हैं लेकिन इन्हें इसका पता नहीं होता. कनॉट प्लेस आने वाले लोग यहां पर टहलते हुए आ सकते हैं. आइए जानें इसकी लोकेशन और बावली का इतिहास.
कनॉट प्लेस पर स्थित इस बावली जाने के दो रास्ते हैं. एक रास्ता कस्तूरबा गांधी मार्ग होते हुए हैं, यहां से हेली लेन से बावली जाया जा सकता है, दूसरा रास्ता बाराखंभा मार्ग होकर हेली लेन का है. मेट्रो से बाराखंभा रोड स्टेशन से करीब 300 से 400 मीटर की दूरी पर है.
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राष्ट्रीय अभिलेखागार के नक्शे के अनुसार 1868 में इस स्मारक का निर्माण ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया था. इस स्मारक को ‘ओजर सेन की बोवली’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. बावली के बाहर लगे शिलापट पर नाम ‘उग्रसेन की बावली’ दर्ज है. इसके अनुसार 15वीं -16वीं ईसवी के मध्य इसका निर्माण हुआ है.
आसपास के रहने वाले लोगों का मानना है कि महाभारत काल में ही इसका निर्माण करवाया गया था. क्षतिग्रस्त होने के बाद महाराजा उग्रसेन ने इसका जीर्णोद्धार कराया, जिसके बाद इसे ‘उग्रसेन की बावली’ के नाम से जाना जाने लगा. लेकिन अधिकारिक रूप में इसकी कहीं पुष्टि नहीं है.
फिल्म ‘पीके’ की शूटिंग बाद भीड़ बावली के बाहर लगा शिलापट.
पास में रहने वाले धीरज कनौजिया बताते हैं कि पहले इस बावली को देखने कम संख्या में लोग आते थे, लेकिन फिल्म ‘पीके’ की शूटिंग के बाद यहां पर काफी संख्या में लोग आते हैं. ‘पीके’ के अलावा ‘झूम बराबर झूम’ समेत कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है. इसके बाद यह स्थान फेसम हो गया है. यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां ऑटो की कतारें लगी रहती हैं. ऑटो चालक विक्रम बताते हैं कि यहां आने जाने वाले पर्यटकों का सिलसिला दिनभर चलता रहता है.
बावली की खास बातें
. नीचे बावली तक पहुंचने के लिए करीब 102 सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं.
. यह दिल्ली की उन गिनी-चुनी बावलियों में से एक है, जो अभी भी पुराने स्वरूप में है.
. 60 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा एक कुआं है, जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित रखा गया है.
Tags: Connaught place, New DelhiFIRST PUBLISHED : May 24, 2024, 14:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed