करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में मिला भारतीय लोगों को प्यार जानें आंखों देखी हाल
करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में मिला भारतीय लोगों को प्यार जानें आंखों देखी हाल
Kartarpur Sahib Gurdwara: मुरादाबाद के समाजसेवी सरदार गुरविंदर सिंह ने पाकिस्तान के गुरुद्वारा श्री करतार साहिब में मत्था टेका. वहां के लोगों का प्यार देख उन्हें ऐसा लगा जैसे वो भारत में ही हैं.
पीयूष शर्मा/मुरादाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) और भारत से जुड़े आपने बहुत से किस्से सुने होंगे. मुरादाबाद के समाजसेवी सरदार गुरविंदर सिंह ने भी पाकिस्तान के बारे में दिलचस्प जानकारी दी. उन्होंने पाकिस्तान के गुरुद्वारा श्री करतार साहिब (Gurdwara Kartarpur Sahib) में मत्था टेका. गुरविंदर ने बताया कि ऋषिकेश के निर्मल आश्रम के संत बाबा जोध सिंह की अगुवाई में यह जत्था पाकिस्तान गया था. जहां पर उन्होंने बहुत सी चीजों को देखा और उनका अनुभव किया. इसके साथ ही उनका कहना है कि सरहद के उस पार आज भी मोहब्बत की शमा रोशन है. वहां के लोगों में काफी प्रेम है.
पाकिस्तान में है करतारपुर साहिब
भारत और पाकिस्तान के इतिहास और सांस्कृतिक विरासत में समानता देखने के लिए मिलती है. सरहद के दोनों ओर इश्क और इंसानियत के भी ढेरों किस्से हैं. मोहब्बत की एक ऐसी ही शमा है पाकिस्तान में स्थित श्री करतारपुर साहिब. वह जगह जहां गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 साल बिताए. जीते जी मानवता का संदेश दिया और शरीर छोड़कर भी इंसानियत के लिए ऐसी मिसाल दे गए, जो दुनिया में अनूठी है.
गुरविंदर सिंह ने दरबार साहिब में टेका मत्था
मुरादाबाद के समाजसेवी सरदार गुरविंदर सिंह उन सौभाग्यशालियों में से एक हैं, जो बीते 26 अप्रैल को श्री दरबार साहिब में मत्था टेककर आए हैं.वो उस मुल्क से प्यार के ढेरों किस्से लेकर लौटे हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने जो कुछ महसूस किया. उसका एक अंश हम आपके लिए भी लेकर आए हैं.
20 भारतीयों का जत्था गया था पाकिस्तान
सरदार गुरबिन्दर मानते हैं कि भले ही पाकिस्तानी सियासत और वहां के सियासतदानों की रोजी-रोटी भारत विरोधी प्रोपेगेंडा पर चलती हो लेकिन सुरक्षा को छोड़ दें तो सरहद पार करके लगा ही नही के हम दूसरे मुल्क. वो भी पाकिस्तान में हैं. वहां मिलने वाला हर पाकिस्तानी उतनी ही तहजीब और मोहब्बत से मिला जैसे हम दिल्ली-लखनऊ में किसी से मिल रहे हों. पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी और कर्मचारियों का व्यवहार भी बहुत मधुर रहा.
उनके प्रोटोकॉल ऑफिसर नौखेज हसन पूरे गुरुद्वारा भ्रमण के दौरान उनके साथ रहे और जानकारी पूरी बारीकी से देते रहे. यह भी देखकर हैरत हुई कि वहां लंगर बनाने वालों तथा छकाने वाले सेवादारों में अधिक संख्या मुस्लिम भाइयों की थी. वे इतनी श्रद्धा और भावना से सिर ढक कर यह प्रसाद परोस रहे थे कि उनके प्यार के आगे मजहब कहीं पीछे ही छूट गया.
कैसे बना करतारपुर साहिब जाने का कार्यक्रम?
दरअसल करतारपुर साहिब के वर्तमान गुरुद्वारे और उसके गुंबद के निर्माण में ऋषिकेश स्थित निर्मल आश्रम के संस्थापक बाबा बुड्ढा सिंह जी महाराज का भी काफी योगदान था. इसके बारे में 1929 का एक शिलालेख भी गुरुद्वारे में लगा हुआ है. जब श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर खुला और श्रद्धालुओं का आना-जान शुरू हुआ तो निर्मल आश्रम ऋषिकेश के एक प्रेमी ने इस पत्थर (शिलालेख) की फोटो अपने समूह के लोगों को भेजा. तभी से इस स्थान के दर्शन के लिए संत बाबा जोध सिंह के मन में तीव्र इच्छा जगी. वह बाबा बुड्ढा सिंह जी के गद्दी पर चौथी पीढ़ी में आते हैं.
उनकी इच्छा इसी माह की 26 तारीख को पूरी हुई जब वह अपने जत्थे के साथ श्री करतारपुर साहिब में मत्था टेकने पहुंचे. उनके जत्थे में मुरादाबाद के समाजसेवी सरदार गुरबिन्दर सिंह भी शामिल रहे. जत्था निर्मल आश्रम की ओर से एक बड़ा चित्र भी लेकर गया था. इसमें निर्मल आश्रम के संस्थापक बाबा बुढ़ा सिंह जी, उस शिलालेख का चित्र, निर्मल आश्रम इमारत के चित्र तथा करतारपुर गुरुद्वारे के चित्र शामिल था.
गुरु नानक ने जीवन के अंतिम 18 साल यहां बिताए
गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब श्री करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नरोवाल जिले की शकरगढ़ तहसील में शकरगढ़-नारोवाल मार्ग पर है. भारत-पाकिस्तान सीमा से रावी नदी के उस पार केवल चार किलोमीटर दूर सिखों का यह पवित्र स्थान लाहौर से करीब 125 किलोमीटर दूर स्थित है. गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष इस स्थान पर रह कर अपने हाथों से खेती की और उपज से कोई दाना भी कभी बेचा नही. साथ ही वहां आने वाले सभी धर्म के लोगों के लिए लंगर की परंपरा शुरू की जो आज तक कायम है.
Tags: Kartarpur Sahib, Local18, Moradabad NewsFIRST PUBLISHED : May 7, 2024, 15:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed