कोर्ट तक पहुंचा टाटा संस आईपीओ का मामला रिजर्व बैंक को भी आया नोटिस

Tata Sons IPO : एक तरफ तो शेयर बाजार और निवेशकों को देश के सबसे बड़े आईपीओ का इंतजार तो दूसरी ओर इस आईपीओ लेकर टकराव बढ़ता जा रहा है. मामला अब कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया है, जहां रिजर्व बैंक को भी नोटिस जारी किया गया है.

कोर्ट तक पहुंचा टाटा संस आईपीओ का मामला रिजर्व बैंक को भी आया नोटिस
नई दिल्‍ली. आरबीआई ने जब 2 साल पहले बड़ी एनबीएसफसी के लिए स्‍केल आधारित रेगुलेशन यानी एसबीआर लागू किया था तो निवेशकों और बाजार को उम्‍मीद बंधी कि सितंबर, 2025 तक टाटा संस के रूप में देश का सबसे बड़ा आईपीओ सामने होगा. लेकिन, समय बीतने के साथ इस मामले में कई उतार-चढ़ाव सामने आ चुके हैं. अब टाटा संस के आईपीओ का मामला हितों के टकराव का रूप ले चुका है. आलम ये है कि अब यह मामला कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है, जहां रिजर्व बैंक को भी नोटिस भेजा गया है. इस लिहाज से देखा जाए तो टाटा संस के आईपीओ को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. दरअसल, आरबीआई टाटा संस के आईपीओ न लाने वाले आवेदन पर विचार कर रहा है. ऐसे में इसे हितों का टकराव बताते हुए आरबीआई को लीगल नोटिस भेजा गया है. एक्सेस लीगल के पार्टनर मोहित रेड्‌डी के जरिये सुरेश पाटिलखेडे ने यह कानूनी नोटिस आरबीआई, गवर्नर और डिप्टी गवर्नर को भेजा है. नोटिस में दावा किया गया है कि वेणु श्रीनिवासन जब तक आरबीआई में हैं, तब तक टाटा संस के साथ उनका हितों का टकराव होता रहेगा, क्योंकि वे टाटा ट्रस्ट में भी शामिल हैं. लिहाजा एक कॉरपोरेट घराने का व्यक्ति अगर नियामक के बोर्ड में होगा तो ऐसी स्थिति में नियामक स्वतंत्र और निष्पक्ष फैसला कैसे लेगा. वेणु आरबीआई में साल 2022 से 2026 तक के लिए डायरेक्टर नियुक्त किए गए हैं. ये भी पढ़ें – महाराष्‍ट्र के नए सीएम बनने वाले देवेंद्र फडणवीस के पास कितना पैसा! कितना सोना और प्रॉपर्टी, कहां-कहां निवेश? नोटिस में लगाए कई आरोप नोटिस में आरोप लगाया गया है कि आरबीआई टाटा संस आईपीओ के मामले में कथित तौर पर अनियमितताएं बरत रहा है. उदाहरण के तौर पर टाटा संस ने मुख्य निवेश कंपनी यानी सीआईसी के रूप में अपना पंजीकरण रद्द करने की मांग की है, जो कि कानूनन गलत है. आरबीआई ने हाल में आरटीआई में कहा था कि वह टाटा संस के सीआईसी रद्द करने के आवेदन पर विचार कर रहा है. कानूनी नोटिस में कहा गया है कि निवेशकों, बॉरोअर और आम जनता के हितों की रक्षा करने के लिए इस तरह के आवेदन पर विचार नहीं करना चाहिए. आरबीआई ने स्केल आधारित रेगुलेशन यानी एसबीआर को लागू किया था. इस एसबीआर में कुल 15 कंपनियों को अपर लेयर में रखा गया था. नियम के मुताबिक, इन सभी को सितंबर, 2025 के पहले शेयर बाजार में लिस्ट होना है, जिसमें से 11 कंपनियां लिस्ट हो चुकी हैं. टाटा संस सहित चार कंपनियां बाकी हैं. फिर तो हर कंपनी मांगेगी छूट नोटिस में कहा गया है कि जब 11 कंपनियों ने आरबीआई के नियमों का पालन किया तो फिर टाटा संस को लिस्टिंग से कैसे छूट दी जा सकती है. अगर छूट मिलती है तो यह पूरी तरह से कानूनन गलत होगा. नोटिस में आरोप लगाया गया है कि टाटा संस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता का पैसा लेती है. भले ही उसने हाल में कर्ज चुकाकर लिस्टिंग से छूट मांगी है, पर वह इस सीआईसी को सरेंडर कर आरबीआई की स्क्रूटनी से बचना चाहता है. टाटा संस का आईपीओ देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा. यह अगर 5 फीसदी भी हिस्सा बेचता है तो इससे 55,000 करोड़ रुपये जुटाए जाने का अनुमान है. Tags: IPO, Ratan tata, Share marketFIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 15:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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