संभल-अजमेर विवाद के बीच RSS चीफ का बड़ा बयान भागवत बोले- राम मंदिर की तरह
संभल-अजमेर विवाद के बीच RSS चीफ का बड़ा बयान भागवत बोले- राम मंदिर की तरह
देश में मंदिर-मस्जिद का विवाद गहराता जा रहा है. लगातार ऐसे खबर आ रहे हैं, या फिर कोर्ट में मस्जिदों को लेकर याचिका डाले जा रहे थे कि फलाने जगह का सर्वे कराया जाए. पूर्व में यहां पर मंदिर था. इसी के जद में अजमेर का प्रसिद्ध ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का दरगाह आया है. इसकी सर्वे कराने की मांग पर सिविल कोर्ट में सुनवाई होनी है. लगातार ऐसे विवादों पर आरएसएस प्रमुख ने चिंता जताया है.
पुणे. देशभर में मंदिर-मस्जिद विवाद काफी गहराता जा रहा है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल जिला में एक मस्जिद में जहां पर अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय नमाज की अदायगी करती थी, कोर्ट के आदेश पर सर्वे कराए जाने के बाद वहां पर शिव मंदिर का अस्तित्व मिला है. वहां, संभल में मिले प्राचीन शिव मंदिर की कार्बन डेटिंग से होगी जांच, सर्वे के लिए शनिवार को पहुंच सकती है. वहीं, राजस्थान के प्रसिद्ध अजमेर शरीफ में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर के दावे वाली विष्णु गुप्ता की याचिका पर शुक्रवार को अजमेर की सिविल कोर्ट में सुनवाई होने जा रही हैं. लगातार इन विवादों पर राष्ट्रीय स्वयं संघ (आरएसएस) प्रमुख ने चिंता व्यक्त किया है.
पुणे में सहजीवन व्याख्यानमाला में ‘भारत-विश्वगुरु’ विषय पर समारोह में बोलते हुए एरएसएस प्रमुख भागवत ने कई मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर ‘हिंदुओं के नेता’ बन सकते हैं. दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि देश सद्भावना के साथ एक साथ रह सकता है.
भागवत ने भारतीय समाज की बहुलता के बारे में बताते हुए कहा कि भागवत ने कहा कि रामकृष्ण मिशन में क्रिसमस मनाया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि ‘केवल हम ही ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हम हिंदू हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हम लंबे समय से सद्भावना से रह रहे हैं. अगर हम दुनिया को यह सद्भावना प्रदान करना चाहते हैं, तो हमें इसका एक मॉडल बनाने की जरूरत है. राम मंदिर के निर्माण के बाद, कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं. यह स्वीकार्य नहीं है.’
भागवत ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया क्योंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था. उन्होंने किसी विशेष स्थल का उल्लेख किए बिना कहा, ‘हर दिन एक नया मामला (विवाद) उठाया जा रहा है. इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है? यह जारी नहीं रह सकता. भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं.’ हाल के दिनों में मंदिरों का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की कई मांगें अदालतों तक पहुंची हैं, हालांकि भागवत ने अपने व्याख्यान में किसी का नाम नहीं लिया.
भागवत ने कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि पुराना शासन वापस आ जाए. उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब देश संविधान के अनुसार चलता है. इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं. अधिपत्य के दिन चले गए.’ उन्होंने कहा कि मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन भी इसी तरह की कट्टरता से पहचाना जाता था, हालांकि उसके वंशज बहादुर शाह जफर ने 1857 में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था.
भागवत ने आगे कहा, ‘यह तय हुआ था कि अयोध्या में राम मंदिर हिंदुओं को दिया जाना चाहिए, लेकिन अंग्रेजों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी. तब से, अलगाववाद की भावना अस्तित्व में आई. इसी के परिणामस्वरूप, पाकिस्तान अस्तित्व में आया.’ अगर खुद को भारतीय मानते हैं तो ‘वर्चस्व की भाषा’ का इस्तेमाल क्यों हो रहा है. कौन अल्पसंख्यक है और कौन बहुसंख्यक? यहां सभी कानून के सामने समान हैं.
Tags: Mohan bhagwat, RSS chiefFIRST PUBLISHED : December 20, 2024, 07:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed