लू से मौत होने पर कितना मिलता है मुआवजा रोजाना कितने मामले हो रहे हैं दर्ज
लू से मौत होने पर कितना मिलता है मुआवजा रोजाना कितने मामले हो रहे हैं दर्ज
Heat Stroke News: देश के 23 राज्यों में भीषण गर्मी और लू की वजह से मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि हीट वेव से हो रही मौतों को लेकर कौन विभाग नोडल एजेंसी होती है? हीट स्ट्रोक से हो रही मौतों पर परिजनों को कितना मिलता है मुआवजा? मोदी सरकार ने हीट वेव से हो रही मौतों को लेकर साल 2015 में क्या प्रावधान किए थे?
Heat Stroke News: देश के कई राज्यों में हीट वेव यानी भीषण गर्मी और लू की वजह से मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है. लू प्रभावित 23 राज्यों खासकर राजस्थान, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मौत के आंकड़ों में तेजी आनी शुरू हो गई है. वहीं, राजस्थान में तो दो विभागों में ही हीट स्ट्रोक और संदिग्ध हीट स्ट्रोक से हो रही मौतों को लेकर ठन गई है. आपदा विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने मौत के अलग-अलग आंकड़ें जारी किए हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि हीट वेव से हो रही मौतों को लेकर कौन विभाग नोडल एजेंसी के तौर पर काम करती है? हीट स्ट्रोक से मौत होने पर परिजनों को कितना मिलता है मुआवजा? मोदी सरकार के गर्मी और शीत लहर के कारण होने वाली मौतों की रोकथाम अधिनियम, 2015 में और क्या-क्या प्रावधान हैं? क्या साल 2015 से पहले लू या ठंड लगने से मौत होने पर मुआवजा देने का प्रावधान था?
आपको बता दें कि साल 2015 से पहले देश में हीट वेव और शीत लहर से होने वाली मौतों को राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में नहीं माना जाता था. हां, विशेष परिस्थिति में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सहमति पर मुआवजा राशि मिलता था. केंद्र सरकार ने अन्य प्राकृतिक आपदा में मौत होने पर आश्रितों के लिए 3 से 4 लाख रुपये मुआवजा देने का प्रावधान कर रखा है. वहीं, कुछ राज्यों में पहले डेढ़ से 2 लाख रुपये ही दिए जाते थे. लेकिन, साल 2015 के बाद मोदी सरकार ने मुआवजा राशि बढ़ा दी. बाढ़, सूखा, ओला वृष्टि, भूकंप, सुनामी, भूस्खलन, चक्रवात, बादल फटना, आगजनी, हिमस्खलन, शीत लहर, कीड़ों का हमला आदि राष्ट्रीय आपदा में पहले से ही शामिल हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में लू की स्थिति बन सकती है. (फाइल फोटो PTI)
लू से मौत होने पर कब से मिलने लगा मुआवजा?
कुछ राज्यों ने हाल ही में सांप-बिच्छू और मधुमक्खी काटने से हो रही मौतों को भी आपदा की श्रेणी में शामिल किया है. इसके साथ ही सिलेंडर फटना, खदान धंसना और लू से होने वाली मौतों को भी इसमें शामिल किया गया है. आपको बता दें कि मोदी सरकार के आने के बाद लू से हो रही मौतों के बाद आश्रितों को मुआवजा मिलने लगा है. इस योजना का लाभ लेने के लिए उन्हें प्राकृतिक घटनाओं की श्रेणी में आप आवेदन करना पड़ता है. प्रखंड स्तर के अधिकारी आवेदन की जांच करते हैं और इसके बाद जिला के एसडीएम, तहसीलदार या नायाब तहसीलदार रिपोर्ट सरकार को भेजते हैं.
देश में 18 दिसंबर 2015 को राज्यसभा में हीट वेव और ठंड से होने वाली मौतों को लेकर मोदी सरकार ने एक अधिनियम को पारित किया, जिसे गर्मी और शीत लहर के कारण होने वाली मौतों की रोकथाम अधिनियम, 2015 कहा गया. यह अधिनियम पूरे देश में तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. इस अधिनियम में साफ लिखा गया है कि उपयुक्त राज्य सरकारें लू से पीड़ित व्यक्ति के निकटतम परिजनों को एक निश्चित राशि का भुगतान करेगी. जान गंवाने वाले के आश्रितों को कम से कम तीन लाख का मुआवजा राशि दिया जाएगा. केंद्र सरकार इसके लिए राज्य सरकारों को फंड मुहैया कराएगी. देश में मई, जून और जुलाई में तापमान बढ़ने से हीट वेव का खतरा बढ़ जाता है. (फोटो साभारः PTI)
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देश में मई, जून और जुलाई में तापमान बढ़ने से हीट वेव का खतरा बढ़ जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक हर रोज देश में 5000 से ज्यादा मरीज हीट स्ट्रोक की शिकायत लेकर अस्पतालों में आते हैं. इस दौरान केंद्र सरकार पीने का पानी, ओआरएस पैकेट, आम का पना, प्रमुख स्थानों पर ठंडा रखने के लिए छाया, मुफ्त राशन और गर्मी के दौरान गरीब बेघर श्रमिकों और दैनिक वेतन भोगियों के लिए अन्य जरूरतें को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को हर साल फंड देती है.
पहले इतना मिलता था मुआवजा
इसके साथ ही लू लगने से मौत होने पर मरने वाले व्यक्ति के परिवार को केंद्र द्वारा योगदान किए गए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) या राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल से भी 1.5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्राप्त करने का भी अधिकार है. इंश्योरेंस कंपनियां पहले लू लगने की स्थिति में मुआवजा केवल 50,000 रुपये देती थी, जिसे अब बढ़ा दिया गया है.
Tags: Children death, Heat Wave, Modi GovtFIRST PUBLISHED : May 28, 2024, 13:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed