4000 करोड़ पहुंचा मक्के का कारोबार किसानों को हो रहा है बढ़िया मुनाफा
4000 करोड़ पहुंचा मक्के का कारोबार किसानों को हो रहा है बढ़िया मुनाफा
Corn Farming: मक्के को ज्यादातर शराब कंपनियां, पशु आहार बनाने वाली कंपनियां खरीदती हैं. इसके इतर कपड़ों में मांड आदि के लिए इस्तेमाल करने वाली कंपनियॉ उंचे दामों मे मक्के की फसल को खरीदती हैं. मक्का से बिस्कुट,पापकॉर्न, बच्चों के खाने वाले आइटम बनाये जाते हैं...
रिपोर्ट- रजत कुमार
इटावा: धान उत्पादन का प्रमुख केंद्र माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के इटावा में अब मक्के की फसल खासा लोकप्रिय हो रही है. मक्के की फसल का कारोबार इस कदर बढ़ चला है कि अब मक्के का कारोबार 4,000 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है. इस समय मक्के की फसल प्रति कुंटल 2,300 रुपए के रेट से बिक रही है. मक्के की फसल के लिए किसान बेहद लालायित दिखाई दे रहे हैं. मक्के की फसल की ओर किसानों के रुझान के पीछे देश की नामी कंपनियां हैं जो मक्के को अच्छी कीमत में खरीदने में जुटी हैं.
सबसे बड़ी बात तो यह है कि मक्के की फसल को बड़ी मात्रा में साउथ इंडिया के राज्यों में भी रेल गाड़ी के माध्यम से भेजा जाता है. इन कंपनियों मे तिरुपति स्टार्च एंड केमिकल इंदौर, किसान एग्रो फूड्स जयपुर, ग्रिपवेल इंडस्ट्रीज राजस्थान, पोल्ट्री फार्म अजमेर, राजधानी एग्रो प्रोडक्ट भोपाल और खुशबू फीड मिल्स गुरुग्राम प्रमुख हैं. ये देश के विभिन्न हिस्सों में पैदा होने वाले मक्के को खरीदते हैं.
इटावा के किसानों को मक्के की फसल के जरिये दूसरे अन्य फसलों के मुकाबले बहुत ही अधिक फायदा हो रहा है. इसी फायदे को देखते हुए किसानों ने मक्के की फसल को अपने-अपने खेतों मे उगाना शुरू कर दिया है. किसान मक्के की फसल के जरिये अपने आर्थिक हालात को बेहतर करना चाहते हैं.
मक्के की फसल के प्रमुख सप्लायर अरविंद यादव लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि इटावा के किसान पिछले तीन और चार वर्षों से बड़े पैमाने पर अपने खेतों में मक्का की फसल की पैदावार करने में जुटे हुए हैं. इस समय मक्का की फसल प्रति कुंतल के हिसाब से 2,300 रुपए के रेट से बिक रही है. अन्य फसलों को करने वाले किसानों के मुकाबले मक्का की पैदावार करने वाले किसानों को खासा फायदा पहुंच रहा है.
मक्के के साथ किसान लेते हैं तीन फसल
पहले इटावा के किसान केवल दो फसल ही कर पाया करते थे लेकिन, जब से मक्का की फसल की शुरुआत हुई है तब से इटावा के किसान तीन फसल कर पाते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि एक बीघा में करीब 8 कुंतल के आसपास मक्का की पैदावार बड़े आराम से होती हुई दिख रही है और इससे मक्का की पैदावार करने वाले किसान को बड़ा फायदा पहुंच रहा है.
महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान की मंडियों में मक्का भेजा जाता है. मक्के को ज्यादातर शराब कंपनियां, पशु आहार बनाने वाली कंपनियां खरीदती हैं. इसके इतर कपड़ों में मांड आदि के लिए इस्तेमाल करने वाली कंपनियॉ उंचे दामों मे मक्के की फसल को खरीदती हैं.
आढ़ती प्रदीप यादव बताते हैं कि मक्का की पैदावार बढ़ गई. मक्का से बिस्कुट,पापकॉर्न, बच्चों के खाने वाले आइटम बनाये जाते हैं.
मक्के की खेती का इतिहास
मक्का की खेती लगभग 9,000 वर्ष पूर्व दक्षिण मध्य मेक्सिको की बालसास नदी घाटी में हुई थी. बाद में मक्का यहीं से अमेरिका के दूसरे हिस्सों में गया. पुराने वक्त से ही अमेरिका में इसकी बंपर खेती हो रही है जो आज भी जारी है. मक्का भारत का अनाज नहीं है क्योंकि भारत के धार्मिक ग्रंथों या प्राचीन आयुर्वेद की पुस्तकों में इसका कोई वर्णन नहीं है. इन ग्रंथों में सिर्फ गेहूं और जौ का ही वर्णन किया गया है. हिंदू धर्मग्रंथों में गेहूं व जौ की बाली की पूजा की जाती रही है और हवन-यज्ञ में इन्हें बेहद उपयोगी बताया गया है.
भारत में मक्का की फसल 1,600 ईस्वी के अंत में उगना शुरू हुई और आजकल अधिकतर राज्यों में इसकी खेती की जाती है. विशेष बात यह भी है कि अमेरिका में ही मक्का सबसे ज्यादा खाया जाता है. उसके बाद चीन और ब्राजील में इसका उपयोग करते हैं. मक्का खाने में भारत का स्थान सातवां है.
वैसे पूरी दुनिया में जितना मक्का उगता है उसका लगभग 20 प्रतिशत का ही खाने में उपयोग होता है. बाकी मक्का पोल्ट्री फीड, जानवरों का चारा, प्रसंस्कृत भोजन और उद्योगों के अलावा स्टार्च आदि बनाने के लिए इस्तेमाल होता है. आधुनिक युग में पापकॉर्न व बेबी कार्न के रूप में मक्के की खपत में जबर्दस्त इजाफा हुआ है.
इटावा के किसानों ने जिस अंदाज में मक्का फसल की पैदावार की ओर रुख किया है उसको देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि मक्का उत्पादन का इटावा एक बड़ा हब बन जायेगा.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : August 28, 2024, 21:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed