हरित खाद के लिए किसान करें इस बीज की बुवाई उर्वरा शक्ति में होगा इजाफा

किसान ढैंचा बीज का प्रयोग करके अपने खेतों की उर्वरा शक्ति को प्राकृतिक रूप से भी बढ़ा सकते हैं. क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में कार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं, जो हमारे खेतों की मृदा के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं.

हरित खाद के लिए किसान करें इस बीज की बुवाई  उर्वरा शक्ति में होगा इजाफा
सौरभ वर्मा/रायबरेली: अपने खेतों से फसलों की पैदावार की बढ़ोतरी के लिए किसान विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं. यह रासायनिक उर्वरक भले ही तुरंत प्रभाव से फसल उत्पादन में वृद्धि करते हो, लेकिन यह हमारे खेतों की मृदा के साथ ही हमारे स्वास्थ्य के लिए भी काफी नुकसानदायक होते हैं. इसीलिए जरूरी है कि किसान अपने खेतों में हरित खाद का प्रयोग करके अपनी फसल की पैदावार को बढ़ाने के साथ ही खेतों की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ा सकते हैं. इसके लिए किसान ढैंचा बीज का प्रयोग करके अपने खेतों की उर्वरा शक्ति को प्राकृतिक रूप से भी बढ़ा सकते हैं. क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में कार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं, जो हमारे खेतों की मृदा के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. इससे फसल उत्पादन में बढ़ोतरी होने के साथ हमारे खेतों की मृदा की उर्वरा शक्ति में भी बढ़ोतरी होती है. जैविक खाद का काम करता है ढैंचा रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र के सहायक विकास अधिकारी दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि लोग अपनी खेतों में फसल से अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं, लेकिन यह बहुत ही हानिकारक है. इसीलिए हमें अपने खेतों में हरित खाद के रूप में ढैंचा के बीज का प्रयोग करना चाहिए. क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में कार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं, जो हमारे खेत की मिट्टी के लिए बेहद उपयोगी होते हैं. इसकी बुआई का यह है उपयुक्त समय वह बताते हैं कि ढैंचा बीज की बुवाई रबी की फसल की कटाई के बाद अप्रैल के अंतिम व मई के प्रथम सप्ताह तक कर देनी चाहिए. क्योंकि रबी की फसल की कटाई के बाद खेत खाली पड़े रहते हैं. किसान आगामी फसल के लिए मानसून का इंतजार करते हैं. इसीलिए यह ढैंचा की बुआई का सबसे उपयुक्त समय होता है. ढैंचा के फसल में 20 से 25 दिनों के बाद पौधे में गांठें बननी शुरू हो जाती हैं. इससे नाइट्रोजन का स्थिरीकरण होता है. 45 दिन की अवस्था होने पर इसकी जड़ों में गांठों की संख्या अधिकतम हो जाती है. इसके बाद खेत की जुताई करके मिट्टी में मिला देना चाहिए. ऐसा करने से यह रबी व खरीफ दोनों फसलों के लिए हरी खाद के रूप में काम करता है. इसका बीज बाजार में 90 से 100 रुपए प्रति किलो एवं राजकीय कृषि केंद्र पर मिल जाएगा. इस तरह करें  बुआई लोकल 18 से बात करते हुए दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि किसान ढैंचा के बीज की बुआई 12 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से करें. बुवाई के 45 दिन बाद खेत की जुताई करके मिट्टी में मिला दें, तो इसमें मौजूद जीवांश पदार्थ मृदा में मिल जाएंगे. इसमें भरपूर मात्रा में नाइट्रोजन पाया जाता है, जो हमारे खेतों की मृदा के जल धारण की क्षमता को बढ़ाने के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को में भी बढ़ोतरी करता है. जिससे हमारी फसलों की पैदावार बढ़ती है. साथ ही वह बताते हैं कि ढैंचा का बीज राजकीय कृषि केंद्र या फिर अपने निकटतम कृषि केंद्र से प्राप्त कर सकते हैं. राजकीय कृषि केंद्र पर मिलने वाले बीज पर सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है. . Tags: Farming, Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : April 26, 2024, 11:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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