अब पराली की निकलेगी हवा! इस मशीन से 1 घंटे में 4 एकड़ खेतों की होगी सफाई

फसल अवशेष पराली किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है, लेकिन आधुनिक कृषि यंत्र मल्चर से किसान पराली का मिनटों में निस्तारण कर सकते हैं. सरकार मल्चर खरीदने के लिए किसानों को भारी छूट दे रही है. मल्चर अलग-अलग साइज के आते हैं.

अब पराली की निकलेगी हवा! इस मशीन से 1 घंटे में 4 एकड़ खेतों की होगी सफाई
शाहजहांपुर: पराली और फसल अवशेषों का निस्तारण किसानों के लिए हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है. पहले किसान इन्हें जलाकर निपटा देते थे, लेकिन अब पराली जलाने पर सख्त पाबंदी है. पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरता घटती है, बल्कि पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है. इस समस्या के समाधान के लिए अब कई आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध हैं, जो मिनटों में खेत में ही पराली का निस्तारण कर देते हैं और मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाते हैं. ऐसा ही एक उपकरण है मल्चर, जिसे खरीदने पर सरकार किसानों को भारी छूट भी दे रही है. मनकीरत एग्रो के मालिक और कृषि यंत्र विशेषज्ञ अवतार सिंह के अनुसार, मल्चर फसल अवशेषों को खेत में ही बारीक काट देता है. इसके बाद एमबी प्लाऊ से मिट्टी की जुताई करके अवशेषों को मिट्टी में मिला दिया जाता है, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. इस प्रक्रिया के लिए ट्रैक्टर की जरूरत होती है, जिसे मल्चर से जोड़ा जाता है. आसान और त्वरित मल्चर के जरिए किसान बिना पराली जलाए धान के अवशेषों का निस्तारण कर सकते हैं. यह यंत्र पराली को बारीक टुकड़ों में काटकर मिट्टी में दबा देता है, जिससे खेतों में खाद तैयार हो जाती है और अगली फसल की बुवाई आसानी से की जा सकती है. गन्ना और मक्का किसानों के लिए भी लाभदायक मल्चर गन्ना किसानों के लिए भी बेहद उपयोगी है. गन्ने की हारवेस्टिंग के बाद बचे हुए पत्तों को यह यंत्र छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर खेत में फैला देता है, जिससे नमी बनी रहती है, खरपतवार नहीं उगते, और पत्तियां धीरे-धीरे खाद में बदल जाती हैं. इस प्रक्रिया से खेतों में केंचुओं की संख्या में भी इजाफा होता है, जो मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करते हैं. इसके अलावा, मक्का की खेती के बाद बचे फसल अवशेषों के निस्तारण के लिए भी मल्चर एक प्रभावी यंत्र है. यह मक्का के ठूंठ को काटकर खेत में ही बिखेर देता है, जिससे खेत साफ हो जाते हैं और उर्वरक क्षमता बढ़ती है. एक घंटे में 4 एकड़ तक का निस्तारण मल्चर 7 और 8 फीट के आकार में आते हैं. 7 फीट वाले मल्चर को चलाने के लिए 50 से 55 हॉर्स पावर के ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है, जबकि 8 फीट वाले मल्चर के लिए 55 से 60 हॉर्स पावर का ट्रैक्टर चाहिए. यह यंत्र एक घंटे में 3 से 4 लीटर डीजल की खपत करता है और इसी समय में 3 से 4 एकड़ खेत में फसल अवशेषों का निस्तारण कर देता है. सब्सिडी पर उपलब्ध मल्चर 7 फीट वाले मल्चर की कीमत लगभग 2.15 लाख रुपये और 8 फीट वाले मल्चर की कीमत 2.25 लाख रुपये है. सरकार किसानों को इस यंत्र पर 50% की सब्सिडी दे रही है. सब्सिडी पर मल्चर खरीदने के लिए किसानों को उत्तर प्रदेश सरकार की कृषि विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा, जिसके बाद टोकन प्राप्त किया जा सकता है. मल्चर जैसे यंत्रों के उपयोग से किसानों को पराली जलाने की समस्या से निजात मिल रही है और पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा रहा है. Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 12:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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