रेतीली जमीन को उपजाऊ बनाकर मालामाल बने किसान लाखों की कर रहे कमाई

मोतीलाल बताते हैं कि यहां पर हम लोग कद्दू, लौकी, ककड़ी, खीरा, तरबूज, करेला, नेनुआ आदि की सब्जी उगाते हैं. यहां से निकलने वाली सब्जी को बक्शी बांध स्थित सब्जी मंडी में बेच दिया जाता है.

रेतीली जमीन को उपजाऊ बनाकर मालामाल बने किसान लाखों की कर रहे कमाई
रजनीश यादव /प्रयागराज: गंगा नदी के कछारी इलाकों में किसान रेतीली भूमि पर खेती करके भी अपना जीवन यापन कर लेते हैं. प्रत्येक वर्ष बाढ़ में यह क्षेत्र पूरी तरह डूब जाता है लेकिन जैसे ही सितंबर अक्टूबर माह में बाढ़ पीछे हटती है तो यहां पर किसान अपना कब्जा करना शुरू कर देते हैं. वह इस रेतीली भूमि को उपजाऊ  बनाने के लिए काफी मेहनत करते हैं. जुलाई महीने तक लगातार यहां से कुछ ना कुछ उपज कर अपने आय का साधन बना लेते हैं.  प्रयागराज के कछारी इलाकों में भी किसान लगातार खेती कर रहे हैं. मेहनत से उगाते हैं कई प्रकार की सब्जी गंगा के किनारे खेती करने वाले प्रयागराज के मोतीलाल बताते हैं कि यहां खेती करना इतना आसान नहीं होता है. प्रत्येक वर्ष बाढ़ आने से हमारे खेत इसमें डूब जाते हैं. मेरी पूरी मेहनत पानी में मिल जाती है. लेकिन जैसे ही बाढ़ पीछे हटती है फिर से हम अपने इन खेतों में जायद की फसलों की खेती करना शुरू कर देते हैं. इसमें कड़ी मेहनत की जरूरत होती है. क्योंकि फिर से हम अपने खेत को उपजाऊ बनाने के लिए मजदूरों के साथ एवं परिवार के साथ लगातार दिन-रात मेहनत करते हैं. उन्होंने बताया कि बाढ़ पीछे हटते ही 100 बीघा में फेंसिंग करते हैं उसके अंदर 5 फीट की दूरी पर छोटे-छोटे गड्ढे  बनाकर  उसमें  गोबर एवं उड़िया व अन्य खाद के साथ मिट्टी मिलाकर डाल देते हैं. एक हफ्ते बाद इसमें बीजों को डाल दिया जाता है, जो धीरे-धीरे अंकुरित होते हैं. एक सीजन में हो जाती है 5 लाख तक कमाई मोतीलाल बताते हैं कि यहां पर हम लोग कद्दू, लौकी, ककड़ी, खीरा, तरबूज, करेला, नेनुआ आदि की सब्जी उगाते हैं. यहां से निकलने वाली सब्जी को बक्शी बांध स्थित सब्जी मंडी में बेच दिया जाता है. वहीं कुछ सब्जी को मुंडेरा मंडी भेजा जाता है, जहां से पूरे प्रयागराज को हमारे यहां की सब्जी सप्लाई हो जाती है. बताते हैं कि एक सीजन में खेत को तैयार करने में लगभग तीन लाख तक की जरूरत होती है. जैसे-जैसे एक फसल की खेती करते हैं .वैसे ही मिलने वाले लाभ को पूरा उसमें लगा दिया जाता है. इस प्रकार अंतिम समय तक लगभग एक सीजन में पांच लाख तक की कमाई हो जाती है. पूरा परिवार मिलके करता है काम इस खेती में काफी मेहनत की जरूरत होती है. इसलिए मजदूरों के साथ पूरा परिवार मिलकर काम करता है. मोतीलाल के चार बेटे एवं दो बेटियां हैं. इस प्रकार कुल आठ लोग मिलकर लगभग 100 बीघा के इस खेत को संभालते हैं. जिसमें वह विभिन्न प्रकार की सब्जियां एवं ककड़ी खीरे को उगाते हैं. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 09:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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