इस खास विधि से खीरे की खेती कर किसान की बदल गई किस्मत! लाखों में हो रही कमाई

जनपद का  एक किसान ने खीरे की खेती कर कम खर्च में बढ़िया मुनाफा कमा रहा है, जिसके लिए वह कई सालों से खीरे की खेती करके लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं.

इस खास विधि से खीरे की खेती कर किसान की बदल गई किस्मत! लाखों में हो रही कमाई
संजय यादव/ बाराबंकी:  जिस तरह समय बदल रहा है, वैसे-वैसे किसान भी खेती किसानी में भी नये नये तौर तरीके अपना रहे हैं. क्योंकि पारंपरिक तौर पर होने वाली खेती से हटकर अन्य खेती की ओर ध्यान दे रहे हैं. जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके. दरअसल कई बार सिर्फ फसलों पर निर्भरता के कारण किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि.किसान अब परंपरागत खेती के साथ साथ सब्जियों की खेती करने पर जोर दे रहे हैं. जिसमें लौकी, कददू, खीरा, टमाटर आदि शामिल है. खीरे की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. इसकी बाजार में डिमांड भी बहुत ज्यादा रहती है, जिससे किसान लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं. जनपद का  एक किसान ने खीरे की खेती कर कम खर्च में बढ़िया मुनाफा कमा रहा है, जिसके लिए वह कई सालों से खीरे की खेती करके लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. बाराबंकी जिले के सहेलियां गांव के रहने वाले किसान पंकज कुमार खीरे की खेती करीब 3 साल पहले शुरुआत की, जिसमें उन्हें अच्छा लाभ देखने को मिला. आज वह करीब 2 बीघे में खीरे की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें डेढ़ से दो लाख रुपये मुनाफा मिल रहा है. वहीं किसान पंकज कुमार का कहना है कि  दो-तीन सालों से मैं सब्जियों की खेती कर रहा हूं, जिसमें वह लौकी, बैंगन, टमाटर, कद्दू, खीरा आदि की खेती कर रहे  हैं. बारिश के समय खीरे की खेती करना थोड़ा मुश्किल होता है. ज्यादा बारिश होने से खीरे की फसल में रोग लगने के साथ साथ  फसल नष्ट हो जाती है. यही वजह है कि इसकी खेती कम की जाती है, जिससे खीरे की डिमांड काफी बढ़ जाती है और खीरे का रेट बाजारों में अच्छा मिलता है. इस समय हमारे पास दो बीघे में खीरा लगा है, जिसमें लागत करीब एक बीघे में 15 से 16 हजार रुपए आती है. वहीं मुनाफा करीब डेढ़ से दो लाख रुपये तक एक फसल पर हो जाता है. इसकी खेती हम मल्च विधि से करते हैं, जिससे खीरे की अच्छी पैदावार मिलती है. खीरे की खेती करने के लिए सबसे पहले हम खेत की गहरी जुताई करते हैं. फिर खेत में मेड बनाकर उस पर पन्नी बिछा देते हैं. फिर पन्नी में छेद करके खीरे के बीज की बुआई की जाती है. जब पौधा थोड़ा बड़ा हो जाता है फिर इसमें हम बांस को लगा कर डोरी तार के सहारे खीरे के पौधे को बांध दिया जाता है. जिससे खीरे की बेल तार व डोरी पर फ़ैल जाती है. जिससे खीरे की फसल की अधिक पैदावार होती है और रोग लगने का खतरा कम रहता है. वहीं महज इसकी बुवाई करने के 40 से 50 दिनों बाद फसल निकलना शुरू हो जाती है, जिसे तोड़कर बेचा जा सकता है. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : September 1, 2024, 16:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed