27 लोगों की जान जाने तक चैन से बैठे रहे HC के सवालों से बैकफुट पर सरकार
27 लोगों की जान जाने तक चैन से बैठे रहे HC के सवालों से बैकफुट पर सरकार
Rajkot Game Zone Fire Case: गुजरात के प्रमुख शहरों में से एक राजकोट के गेम जोन में आग लगने से 27 लोगों की मौत हो गई थी. हाईकोर्ट ने इस भीषण अग्निकांड पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए गंभीर सवाल पूछे हैं.
अहमदाबाद. गुजरात के राजकोट में स्थित गेम जोन में आग लगने से 27 लोगों की मौत हो गई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले पर सुनवाई शुरू की है. गुजरात हाईकोर्ट ने राजकोट के गेम जोन में लगी आग की घटना को लेकर राज्य सरकार को गुरुवार को कड़ी फटकार लगाई. पिछले महीने इस हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई थी. हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि बिना अनुमति के संचालित किये जा रहे टीआरपी गेम जोन के खिलाफ कार्रवाई न करने पर स्थानीय नगर निकाय के तत्कालीन प्रमुख को क्यों निलंबित नहीं किया गया.
गुजरात हाईकोर्ट ने इस बात की जानकारी मिलने के बाद अप्रसन्नता जताई की कि टीआरपी गेम जोन को राजकोट नगर निगम (RMC) द्वारा पिछले वर्ष जून में नोटिस दिया गया था, लेकिन नगर निगम द्वारा एक वर्ष तक इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. उस समय निगम के कमिश्नर आनंद पटेल थे. टीआरपी गेम जोन में 25 मई को आग लगी थी. हाईकोर्ट के जस्टिस बीरेन वैष्णव और जस्टिस देवन देसाई की स्पेशल बेंच राजकोट के टीआरपी गेम जोन में आग लगने की घटना के मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
राजकोट में भीषण हादसा, गेमजोन में आग लगने से 25 लोगों की मौत
आरएमसी के वकील जीएच विर्क ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि टीआरपी गेम जोन में आरएमसी के अग्निशमन विभाग द्वारा कोई जांच नहीं की गई थी और फायर सेफ्टी एक्ट के अनुसार सुरक्षा उपायों का पालन नहीं किया गया था. सुनवाई के दौरान यह भी पता चला कि गेम जोन के मालिकों ने कभी भी फायर सेफ्टी नो ओब्जेक्शन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन नहीं किया और इस गेम जोन का बिना किसी पुलिस अनुमति के संचालन किया जा रहा था, जो कि गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 33 (W) के तहत अनिवार्य है. कोर्ट को यह भी बताया गया कि आरएमसी के नगर नियोजन विभाग को इस अवैध संरचना के बारे में पता था और जून 2023 में इसे ढहाने के लिए नोटिस दिया गया था. इससे पहले अप्रैल 2023 में नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों के तहत अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए नोटिस भी दिया गया था.
सिटी कमिश्नर को सस्पेंड क्यों नहीं किया?
जस्टिस वैष्णव ने कहा, ‘आपने नगर नियोजन अधिकारी को नौकरी से निकाल दिया, लेकिन तत्कालीन नगर आयुक्त को निलंबित क्यों नहीं किया गया? इसकी जिम्मेदारी शीर्ष अधिकारियों पर है. जून 2023 में संरचना को ढहाये जाने का आदेश पारित किया गया. इसके बाद फिर क्या हुआ? आप 27 लोगों की जान जाने तक चैन से बैठे रहे. एक साल तक आपने कुछ नहीं किया.’ उन्होंने पूछा कि आईएएस अधिकारी पटेल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) क्यों नहीं लगाई जानी चाहिए, जो घटना के समय आयुक्त थे और फिर राज्य सरकार द्वारा बिना किसी तैनाती के उनका तबादला कर दिया गया था.
नगर निगम का जवाब
राजकोट नगर निगम के बचाव में विर्क ने पीठ को बताया कि पटेल को अनधिकृत संरचना के बारे में जानकारी नहीं थी. गुजरात के एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने पीठ को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद कार्रवाई की जाएगी. त्रिवेदी ने कहा कि एसआईटी को 20 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने की समयसीमा दी गई है. जब जस्टिस वैष्णव ने पूछा कि क्या राज्य सरकार ऐसी स्थितियों में वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का इरादा रखती है, तो त्रिवेदी ने कहा कि सरकार आगे की कार्रवाई के लिए एसआईटी रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 13 जून तय की.
Tags: Gujarat news, National News, Rajkot newsFIRST PUBLISHED : June 6, 2024, 19:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed