सरकार-संगठन दोनों में अहम हैं ये मंत्रीओडिशा में सरकार बनवाई नई जिम्‍मेदारी

एनडीए सरकार और संगठन दोनों में लिए ये मंत्री महत्‍वपूर्ण हैं. हाल ही में ओडिशा में सरकार बनवाने में इनकी खास भूमिका रही है. अब इनको महाराष्‍ट्र फतह करने की जिम्‍मेदारी दी गयी है. जानें इनके संबंध में.

सरकार-संगठन दोनों में अहम हैं ये मंत्रीओडिशा में सरकार बनवाई नई जिम्‍मेदारी
नई दिल्‍ली. सरकार और संगठन दोनों में लिए ये मंत्री महत्‍वपूर्ण हैं. हाल ही में ओडिशा में सरकार बनवाने में इनकी खास भूमिका रही है. अब इनको महाराष्‍ट्र फतह करने की जिम्‍मेदारी दी गयी है. प्रशासनिक अधिकारी से राजनेता बने ये मंत्री मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं और पीएम की गुड लिस्‍ट में शामिल हैं. जी हां ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी रहे अश्विनी वैष्णव की बात कर रहे हैं. संगठन ने उन्‍हें महाराष्‍ट्र के सहप्रभारी के रूप में नियुक्‍त किया है. एनडीए की तीसरी सरकार में अश्विनी वैष्णव को तगड़ा प्रमोशन मिला है. लगातार वो दूसरी बार रेल मंत्री बने. साथ ही आईटी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जैसे दो और भारी-भरकम पोर्टफोलिये मिले. वैष्णव ने IAS की नौकरी छोड़ी. फिर कॉरपोरेट की दुनिया में कदम रखा. यहीं से नरेंद्र मोदी के करीब आए और राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते गए. अब तक टेक्नोक्रैट मंत्री के रूप में चौबीसों घंटे काम करने के लिए मशहूर अश्विनी वैष्णव के लिए प्रचार मैदान में कूदने का यह पहला मौका है. अभी तक परदे के पीछे रणनीति और चुनावी गणित बैठाने वाले वैष्णव को आलाकमान ने प्रचार में उतारा तो जरूर, लेकिन मेहनत करनी पड़ी अपनी कर्मभूमि ओडिशा में. वैष्णव ने प्रचार तो गुजरात और महाराष्ट्र में भी किया, लेकिन ओडिशा में उनकी रैलियां और रोड शो जबरदस्त हिट रहे. बालेश्वर के जिला कलेक्टर के तौर पर तूफान राहत में किया गया, उनका यही काम काम उन्‍हें वाजपेयी सरकार में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर ले गया था. अश्विनी वैष्णव साल 1996 में बतौर IAS की तैनाती के दौरान वो सुदंरगढ़ जिले के बोनाई, राजगंगपुर और रानीबध में बतौर एसडीएम नियुक्त थे तो उन्‍होंने कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की थी. इनमें स्थानीय निवासियों की सुविधा के लिए बस स्टैंड का निर्माण, एक्स रे मशीन की स्थापना, बोनाई के उप-विभागीय अस्पताल का नवीनीकरण शामिल था. सुंदरगढ जिले के लोग आज तक उनके किए गए इन कार्यों को याद करते हैं. पिछले दिनों मध्‍य प्रदेश में किया था कमाल वैष्णव उन इक्का दुक्का मंत्रियो में हैं, जिन्हें बीजेपी का वार रूम संभाल रही चुनाव मैनेजमेंट की समिति में शामिल किया गया था. परदे की पीछे के मैनेजमेंट में अश्विनी वैष्णव पहले ही मध्यप्रदेश में अपना कमाल दिखा चुके थे. उन्हें भूपेन्द्र यादव के साथ सह प्रभारी बनाया गया था. इसका नतीजा भाजपा की अप्रत्याशित जीत रही. इसकी भविष्यवाणी खुद वैष्णव ने वोटिंग के बाद कर दी थी कि बीजेपी इस बार 135 प्लस रहेगी. मध्‍य प्रदेश में पहला प्रयास मध्य प्रदेश था चुनावी मैनेजमेंट समझने और कार्यकर्ता तथा जनता का मूड भांपने का अश्विनी वैष्णव का पहला सफल प्रयास. लोकसभा चुनावों में जब सभी केन्द्रीय मंत्रियों के लड़ने की बात उठी लेकिन अश्विनी वैष्णव को ओडिशा से चुनकर फिर से राज्यसभा में भेज दिया गया. आलाकमान का आदेश सर माथे पर लेकर अश्विनी वैष्णव लग गए पार्टी के घोषणापत्र बनाने के मंथन में. फिर उन्हें इलेक्शन मैनेजमेंट कमिटी में भी शामिल कर लिया गया जो हर फेज के लिए रणनीति बनाती है. रेलवे का कायाकल्प स्टेशनों के आधुनिकीकरण से लेकर वंदे भारत, बुलेट ट्रेन से लेकर दुर्घटना से बचाने के लिए कवच और यात्री सुविधाएं. दूसरी तरफ 5जी की तरफ भारत बढ़ चला और बतौर आईटी मंत्री आईआईटी कानपुर से निकल कर आईएएस बने अश्विनी वैष्णव ने आईटी क्षेत्र में भी क्रांति ला दी है. अब भारत सेमीकंडक्टर चिप भी बनाने लगा है और लक्ष्य है अगले कुछ सालों में दुनिया के अग्रणि देशों में शामिल होना. गोल्‍ड मेडलिस्‍ट रहे हैं अश्विनी वैष्‍णव अश्विनी वैष्णव का जन्म 18 जुलाई 1970 को राजस्थान के पाली जिले में हुआ. बाद में उनका परिवार जोधपुर आ गया. वैष्णव की शुरुआती पढ़ाई सेंट एंथोनी कान्वेंट स्कूल जोधपुर से हुई. इसके बाद एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. यहां गोल्ड मेडलिस्ट रहे. इसके बाद आईआईटी कानपुर चले आए. यहां उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री हासिल की. 27वीं रैंक के साथ बने आईएएस बने अश्विनी वैष्णव का 1994 में सिविल सर्विस परीक्षा में चयन हुआ. उन्होंने ऑल इंडिया 27वीं रैंक हासिल की और आईएस अफसर बने. ओडिशा कैडर मिला. वैष्णव की शुरुआती पोस्टिंग बालासोर और कटक जिले में डीएम के तौर पर हुई. जब ओडिशा में साल 1999 में भीषण चक्रवर्ती तूफान आया, तब वैष्णव पहली बार चर्चा में आए. उन्होंने राहत और बचाव के लिए फौरन कदम तो उठाया ही. साथ ही, निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को फौरन सूचना भिजवाई. इससे हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी 2003 में पीएमओ में तैनाती वैष्णव साल 2003 में पहली बार दिल्ली आए और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पीएमओ में बतौर डिप्टी सेक्रेटरी नियुक्ति हुई. यहां उन्होंने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP Model) को लेकर जो पॉलिसी बनाई, उसकी खासी चर्चा हुई. 2004 में जब वाजपेयी की सरकार चली गई, वैष्णव तब भी उनके साथ रहे और बतौर प्राइवेट सेक्रेटरी काम करते रहे. वैष्णव को करीब से जाने वाले तमाम लोग कहते हैं कि एक तरीके से यहीं से उनकी भाजपा से नजदीकी बढ़ी. आईएएस से इस्तीफा देकर दोबारा शुरू की पढ़ाई अश्विनी वैष्णव ने साल 2008 IAS की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और अमेरिका चले गए. वहां यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया की वॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री ली. फिर वापस लौटे तो उनकी दूसरी पारी शुरू हुई. ब्यूरोक्रेसी के बाद कॉरपोरेट जगत में कदम रखा और कम से कम एक दर्जन नामी कंपनियों के साथ काम किया. ज्यादातर में सीनियर मैनेजमेंट में थे और डायरेक्टर का पद संभाला. Tags: Ashwini vaishnavFIRST PUBLISHED : June 18, 2024, 13:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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