जादू की झप्पी से हैंड शेक नई संसद में कैसे बदल गई मोदी-राहुल की केमेस्ट्री

18वीं लोकसभा की तस्वीर बदल गई है. विपक्ष की ताकत बढ़ने के साथ ही सदन के भीतर नेताओं के बीच की केमिस्ट्री बदल गई है. पीएम मोदी और राहुल गांधी की केमिस्ट्री भी काफी बदल गई है.

जादू की झप्पी से हैंड शेक नई संसद में कैसे बदल गई मोदी-राहुल की केमेस्ट्री
18वीं लोकसभा की तस्वीर बीते 2014 और 2019 के लोकसभाओं से बिल्कुल अलग रहने वाली है. इसकी झलक बुधवार को सदन में स्पीकर के चुनाव के वक्त दिख गया. इस लोकसभा में सत्ता पक्ष जहां पहले की तुलना में संख्या बल के मामले में कमजोर हुआ है वहीं विपक्ष को एक नई ऊर्जा मिली है. विपक्ष को मिली इस ऊर्जा ने सदन में नेताओं के बीच की केमिस्ट्री को भी बदल दिया है. ऐसे में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की केमिस्ट्री पर पूरे देश की नजर टिकी है, जिसकी एक झलक आज सदन में दिख भी गई. 18वीं लोकसभा का गणित पूरी तरह से बदला हुआ है. इस बार कांग्रेस के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने बेहतर प्रदर्शन कर एक मजबूत विपक्ष की भूमिका है. इस जीत ने राहुल गांधी के राजनीतिक करियर में जोश भर दिया है. आज राहुल गांधी सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने बराबरी की हैसियत में खड़े नजर आ रहे हैं. तभी तो लोकसभा स्पीकर के रूप में ओम बिड़ला के निर्वाचन के बाद उन्हें बधाई देने पीएम मोदी और राहुल गांधी दोनों पहुंचे. फिर परंपरा मुताबिक दोनों नेता ओम बिड़ला को स्पीकर की कुर्सी तक छोड़कर आए. इस दौरान राहुल गांधी और पीएम मोदी ने गर्मजोशी से एक-दूसरे से हाथ मिलाया. दोनों के हाथ मिलाने की इस तस्वीर में भविष्य की राजनीति के संदेश छिपे हुए हैं. पीएम के गले लगे थे राहुल आमतौर पर राहुल गांधी और पीएम मोदी के बीच ऐसी तस्वीर बहुत कम देखने को मिली है. बुधवार को सदन में राहुल और मोदी की हाथ मिलाने की तस्वीर सामने आने बाद लोगों को जुलाई 2018 की घटना याद आ गई. करीब छह साल पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी सदन में बैठे पीएम मोदी के गले लग गए थे. राहुल ने उस समय सदन में जोरदार भाषण दिया था. वह अपने भाषण में देश में नफरत के माहौल की बात कर रहे थे और इसी क्रम में मोहब्बत का संदेश देने के लिए पीएम मोदी के गले लग गए थे. हालांकि, उस वक्त राहुल गांधी के कदम को उनके विरोधियों ने काफी मजाक बनाया. खुद पीएम मोदी ने कहा था कि कोई उनके गले पड़ गया. पीएम ने अपने हाथ के इशारे से यह जताया था कि ये क्या है? खैर, वो दौर अलग था. और आज का दौर अलग है. संख्या बल से बदली तस्वीर दरअसल, राजनीति में नेताओं की सबसे बड़ी ताकत उनकी पार्टी के सांसदों-विधायकों की संख्या होती है. इस संख्या बल के आधार पर ही कोई नेता शीर्ष पद तक पहुंचता है. उसके आधार पर उनकी लोकप्रियता और गंभीरता तय होती है. अगर यह संख्या बल न हो तो उसकी छवि एक कमजोर नेता की बन जाती है. यह बात लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर शत प्रतिशत लागू होती है. राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में 18वीं लोकसभा के नतीजे बड़ा बदलाव लेकर आए हैं. उनकी पार्टी के पास अच्छी खासी संख्या में सांसद हैं. वह खुद सदन में विपक्ष के नेता बनाए गए हैं. वह अपने राजनीतिक जीवन में पहली पर कोई संवैधानिक पद संभाल रहे हैं. बतौर नेता प्रतिपक्ष सदन में उनकी हैसियत पीएम मोदी के बराबर की है. पीएम मोदी सदन के नेता हैं. ऐसे में हर एक मौके पर पीएम मोदी और राहुल गांधी की ‘भिड़ंत’ होगी. राहुल के पास ऐसी ताकत आई है जिससे कि वह सरकार के हर एक फैसले की जानकारी हासिल कर सकते हैं. वह पीएम को काउंटर कर सकते हैं. वह संवैधानिक नियुक्तियों में पीएम के साथ बैठ सकते हैं. ऐसे में भविष्य में इन दोनों नेताओं की केमिस्ट्री देखने लायक होगी. Tags: PM Modi, Rahul gandhiFIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 15:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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