नेहरू की बराबरी करते-करते मोदी के साथ जुड़ा बुरा रिकॉर्ड आए निचले पायदान पर!

लगातार तीसरी बार पीएम बनने की तैयारी में जुटे नरेंद्र मोदी इस मामले में पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की बराबरी कर लेंगे. लेकिन, इस बार उनके साथ कुछ गड़बड़ी भी हुई है. उनके साथ एक ऐसा रिकॉर्ड जुड़ा है जिसे वह भविष्य में दोहराना नहीं चाहेंगे.

नेहरू की बराबरी करते-करते मोदी के साथ जुड़ा बुरा रिकॉर्ड आए निचले पायदान पर!
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा अपने दम पर बहुमत से दूर रह गई है. हालांकि एनडीए पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने की तैयारी में है. इसके साथ लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी पीएम बनने वाले हैं. इस मामले में वह पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू की बराबरी कर लेंगे. नेहरू लगातार तीन बार 1952, 1957 और 1962 में विजयी होकर पीएम बने थे. ऐसा रिकॉर्ड इंदिरा गांधी के साथ भी नहीं है. 10 तक सरकार में रहने के बाद भी पीएम मोदी की पार्टी भाजपा के इस प्रदर्शन को खराब नहीं कहा जा सकता. देश में 1990 के दशक से ही गठबंधन की राजनीति चल रही है. इसे पीएम मोदी के नेतृत्व में 2014 और फिर 2019 में भाजपा ने ही तोड़ा था. हालांकि 2024 में भाजपा 240 सीटों पर सिमट गई है. पार्टी के प्रदर्शन के साथ-साथ पीएम मोदी को अपने संसदीय क्षेत्र में झटका लगा है. वाराणसी में पीएम मोदी की जीत का मार्जिन बीते 2019 के मुकाबले काफी कम हो गया है. इस बार पीएम मोदी वाराणसी से केवल 152,513 मतों के अंतर से जीते हैं. प्रतिशत में यह आंकड़ा केवल 13.49 है. जीत के अंतर के हिसाब से देखें तो सीटिंग प्रधानमंत्रियों में पीएम मोदी सबसे निचले पायदान पर आ गए हैं. राजीव को मिली थी सबसे बड़ी जीत हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक वोट मार्जिन के हिसाब से 1984 में राजीव गांधी की जीत सबसे बड़ी थी. उस वक्त जीत का अंतर 72.18 फीसदी का था. फिर 1989 में राजीव गांधी की जीत का अंतर 50.22 फीसदी हो गया. तीसरे नंबर पर 2019 की पीएम मोदी की जीत थी. उस वक्त यह अंतर 45.22 फीसदी का था. फिर 1971 की इंदिरा गांधी की जीत का अंतर 40.47 फीसदी था. 2004 में अटल बिहार वाजपेयी की जीत का अंतर 37.74 फीसदी था. 1967 में इंदिरा गांधी की जीत का अंतर 35.24 फीसदी, 1962 में जवाहरलाल नेहरू की जीत का अंतर 33.46 फीसदी, 1980 में चरण सिंह की जीत का अंतर 33.33 फीसदी, 1996 में पीवी नरसिम्हाराव की जीत का अंतर 30.97 फीसदी था. इसी तरह 1957 में जवाहरलाल नेहरू की जीत का अंतर 21.88 फीसदी, 1952 में नेहरू की जीत का अंतर 19.49 फीसदी, 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की जीत का अंतर 16.4 फीसदी था. दो अपवाद इसमें दो अपवाद है. पहला इमरजेंसी के बाद 1977 में जब चुनाव हुए तो प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी हार गईं. दूसरा, अपवाद चंद्रशेखर हैं. 1991 में उनकी जीत का अंतर केवल 12.78 फीसदी था जो पीएम मोदी के मौजूदा जीत के अंतर से कम था. हालांकि, उस वक्त चंद्रशेखर एक कार्यवाहक पीएम थे. उसकी सरकार बहुमत खो चुकी थी और देश में मध्यावधि चुनाव हो रहा था. Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, PM ModiFIRST PUBLISHED : June 6, 2024, 15:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed