किसी कान्वेंट से कम नहीं है यूपी का ये सरकारी विद्यालय

शाहजहांपुर का जमालपुर प्राथमिक विद्यालय, जो कहने को तो सरकारी स्कूल है लेकिन सुविधाओं और शिक्षा गुणवत्ता के मामले में किसी कान्वेंट स्कूल से कम नहीं है. इस विद्यालय में बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी साक्षर करने के लिए विद्यालय स्टाफ ने सराहनीय पहल की है.

किसी कान्वेंट से कम नहीं है यूपी का ये सरकारी विद्यालय
रजत कुमार/ इटावा:उत्तर प्रदेश का इटावा जिला अब बासवती चावल का हब बनने जा रहा है. यहां के किसान काफी मात्रा में बासमती चावल की खेती कर रहे हैं. बासवती चावल की पैदावार से किसानों को काफी मुनाफा भी हो रहा है. इटावा जिले में पैदा होने वाला बासमती देशभर के अनेक राज्यों में निर्यात किया जा रहा है. कृषि विभाग के अधिकारी ऐसा मानते हैं कि 2 सालों में इटावा के धान किसानों ने बड़ा चमत्कार किया है और इसी वजह से बासमती चावल का कारोबार 200 करोड़ के आसपास पहुंच गया है. बता दें कि इटावा जिले के किसान कई प्रकार की फसलें उगाते हैं. जिनमें ज्यादातर आलू, गेहूं की फसलें तैयार की जाती हैं, लेकिन कुछ समय से जिलेभर के किसान धान की खेती की ओर बढ़ रहे हैं, जिसमें उच्च क्वालिटी के बासमती धान की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. यहां से देशभर के कोने कोने में यह धान निर्यात हो रहा है. कृषि विशेषज्ञ ऐसा मान कर चल रहे हैं कि जिस तरह से इटावा के किसानों ने बासमती चावल की पैदावार करना शुरू की है. उसको देखते हुए यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि आने वाले दिनों में इटावा प्रदेश में धान उत्पादन का बड़ा केंद्र बन जाएगा. इटावा कृषि विभाग के उपनिदेशक आर.एन.सिंह का कहना है कि इटावा जिले के धान उत्पादक किसानों ने बासमती चावल की पैदावार की ओर रुझान बढ़ा है. इटावा जिले में 53 हजार हेक्टेयर इलाके में धान की पैदावार होती है. इनमें से 90 फीसदी में बासवती चावल का उत्पादन किया गया है. प्रति कुंतल तीन से लेकर चार हजार के आसपास बासमती चावल की बिक्री हो रही है. इटावा जिले में बासमती चावल का उज्जवल भविष्य नजर आ रहा है. बासमती चावल का एक्सपोर्ट भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. इटावा जिले के भरथना ,महेवा, ताखा, सैफई, जसवंतनगर ब्लाक की मिट्टी बेहद ही अच्छी है, जो बासमती चावल के उत्पादन को कहीं ना कहीं अधिक पैदावार देने में मुफीद साबित हो रही है. इटावा के लोग बेशक बासमती चावल अधिक पैदा कर रहे हैं, लेकिन चावल खाने के मामले में कहीं ना कहीं पीछे नजर आ रहे हैं. इटावा में चावल खाने का ज्यादा रिवाज नहीं है. इटावा जिले के धान उत्पादन किसानों ने व्यापारिक दृष्टि को मद्देनजर रखते हुए बासमती चावल के पैदावार की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया है. उप निदेशक कृषि आर.एन.सिंह बताते हैं कि बासमती चावल के पिछले दो साल के आंकड़ों को दखें तो आज बासमती चावल का कारोबार 200 करोड़ के ऊपर जा पहुंचा है. बासमती चावल का उत्पादन करने वाले किसान श्री कृष्ण राजपूत का कहना है कि बासमती चावल का उत्पादन इसलिए करते हैं, क्योंकि यह चावल महंगा भी बिकता और खाने में बहुत अच्छा होता है. जसवंतनगर ब्लॉक के अधिकतर किसान बासमती चावल की खेती कर रहे हैं. किसान श्री कृष्ण बताते हैं कि सभी खर्च निकालने के बाद एक बीघा में 10 हजार रुपए किसान को हर हाल में फायदा पहुंचता है. कोई दूसरी प्रजाति का चावल 13 सौ से लेकर के पंद्रह सौ प्रति क्विंटल बिकता है, लेकिन बासमती चावल कम से कम 4 हजार प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक्री होता है. इ Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 2, 2024, 15:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed