भट्टा-पारसौल:15 साल बाद हैप्पी एंडिंग पर राहुल को क्या मिला साथी छोड़ गया साथ

Bhatta Parsaul case : 15 साल बाद किसानों को पूरा मुआवजा मिलेगा और आवंटियों को प्लाट मिल जाएंगे. इस बीच सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस और राहुल गांधी को उठाना पड़ा. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में जीरो पर सिमट गई. राहुल गांधी को बाइक पर बैठाकर घटनास्थल तक ले जाने वाला शख्स भी बीजेपी में शामिल हो गया.

भट्टा-पारसौल:15 साल बाद हैप्पी एंडिंग पर राहुल को क्या मिला साथी छोड़ गया साथ
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित भट्टा और पारसौल गांव अपनी हरी-भरी जमीनों और खुशहाल जीवन के लिए जाने जाते थे. किसान अपने खेतों में मेहनत करते और उनकी फसलें लहलहाती थीं. दोनों गांवों के लोगों का जीवन आराम से बीत रहा था. पर कोई नहीं जानता था कि कुछ ही समय बाद दोनों गांव देशभर में टीवी चैनलों और अखबारों की सुर्खियों में बदलने वाला था. 2009 में एक दिन गांव की पंचायत में यमुना प्राधिकरण (यीडा) के अधिकारियों का एक दल पहुंचा. उन्होंने घोषणा की कि दोनों गांवों की जमीनें अधिग्रहित की जाएंगी और यहां ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-18 और 20 बनाए जाएंगे. इस खबर से गांव में खलबली मच गई. किसानों को उनकी जमीनों के बदले मुआवजा मिलने की बात कही गई, लेकिन यह मुआवजा उनकी उम्मीद से बहुत कम था. किसानों ने अधिक मुआवजे के लिए संघर्ष शुरू कर दिया. किसानों ने मुआवजे की कथित तौर मिलने वाली मामूली राशि के खिलाफ आवाज उठाई. 17 जनवरी 2011 को पूर्ण रूप से आंदोलन की शुरुआत हो गई. मनवीर तेवतिया, जो एक प्रभावशाली किसान नेता थे, ने आंदोलन का नेतृत्व किया. गांव की चौपाल में रोज़ किसानों की बैठकें के दौर चलने लगे. वे इस मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई के मूड में थे. धीरे-धीरे आंदोलन में राजनैतिक दल भी शामिल होने लगे. ये भी पढ़ें – Ground Report: कांग्रेस के हाथ से कैसे फिसला भट्टा पारसौल? साल 2011 में उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार थी और मायावती मुख्यमंत्री थीं. आंदोलन का प्रभाव बढ़ता गया और राजनीतिक दलों के नेता किसानों का समर्थन करने के लिए आने लगे. आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया. 7 मई 2011 को पुलिस और किसानों के बीच संघर्ष हुआ. गोलियां तक चलीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस झड़प में 2 किसानों और 2 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. पुलिस ने किसानों पर हत्या, लूट समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिए. इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी भट्टा-पारसौल का दौरा किया और किसानों के पक्ष में अपनी आवाज उठाई. पुलिस, प्रशासन और रेलवे ने किसानों पर 12 मुकदमे दर्ज किए. बड़ी संख्या में किसानों को जेल में डाल दिया गया. सालों तक न्यायालय में मामले चलते रहे. किसानों को मुकदमे मिले, लेकिन मुआवजा नहीं मिला. मायावती की सरकार बदल गई, दूसरी सरकार ने कार्यभार संभाल लिया, लेकिन किसानों और आवंटियों के हालात जस के तस रहे. भट्टा-पारसौल पर ताजा अपडेट अब, किसानों और यीडा के बीच मुआवजे पर समझौता हो गया है. भट्टा और पारसौल गांवों में आवंटित किए गए प्लाट मिल सकेंगे. आवंटियों का घर बनाने का सपना 15 वर्ष बाद पूरा होने जा रहा है. यीडा दिसंबर तक आवंटियों को पजेशन देने का वादा कर रहा है. किसानों के विरोध और मामला न्यायालय में होने के कारण 2100 आवंटियों को कब्जा नहीं मिल पाया था. यीडा ने पहले ही 800 आवंटियों को कब्जा दिला दिया था और अब बचे हुए 1326 प्लाटों पर कब्जे की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. कहा जा रहा है कि 25 जुलाई से किसानों का मुआवजा जारी होना शुरू हो जाएगा. 15 सालों की लंबी संघर्षपूर्ण यात्रा के बाद भट्टा और पारसौल गांवों के किसानों को उनकी जमीनों का न्याय मिल रहा है. आवंटियों के चेहरे पर खुशी की झलक है, और गांव में एक नई उम्मीद का संचार हो रहा है. यीडा के अधिकारी और किसान मिलकर इस नई शुरुआत का स्वागत कर रहे हैं. राहुल गांधी और कांग्रेस को हुआ नुकसान बात करें कांग्रेस और राहुल गांधी की तो उन्हें भट्टा-पारसौल से कोई लाभ नहीं मिला. यह कांड 2012 में होने वाले यूपी के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुआ था. इसी वजह से दोनों गांव राजनीति का अखाड़ा बन गए थे. सभी दल चाहते थे कि सहानुभूति और वोट दोनों बटोरे जा सकें. इतने बड़े स्तर पर राहुल गांधी की सक्रियता भी पहली बार नजर आई थी. कांग्रेस यूपी में 355 सीटों पर लड़ी और उसे मिली केवल 28 सीटें ही मिल पाईं. इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस शून्य पर सिमट गई, जबकि उससे पहले 2009 में कांग्रेस के कब्जे में 22 लोकसभा सीटें थीं. बाइक वाला भी छोड़ गया राहुल गांधी को 2011 में कांग्रेस पार्टी का जो कार्यकता बाइक पर बैठाकर भट्टा-पारसौल ले गया था, वह भी बाद में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गया. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, धीरेंद्र सिंह ही वह शख्स थे, जो कांग्रेस के तत्कालीन वाइस-प्रेसीडेंट राहुल गांधी को घटनास्थल पर ले गए थे. सिंह ने खुद कहा था कि उन्होंने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. वे पार्टी के काम करने के तरीके से खुश नहीं थे. Tags: Congress, Industrial plot plan noida, Rahul gandhi, Yamuna Authority, Yamuna ExpresswayFIRST PUBLISHED : July 11, 2024, 12:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed