देश का माहौल बदल सकता है राजनीति में एक लाख युवाओं को जोड़ने का PM का संकल्प
देश का माहौल बदल सकता है राजनीति में एक लाख युवाओं को जोड़ने का PM का संकल्प
PM Narendra Modi: पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति में 1 लाख युवाओं को जोड़ने का फैसला किया है. इसका मकसद देश की राजनीति से परिवारवाद को खत्म करना है. इन युवाओं को ऐसे परिवारों से चुना जाएगा, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के वाराणसी में 20 अक्टूबर को दोहराया कि भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद और राजनैतिक भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए गैर-सियासी परिवारों के एक लाख युवाओं को राजनीति में लाएगी. यह सही है कि आम लोग मानने लगे हैं कि कोई राजनैतिक पार्टी ऐसी नहीं है, जो दूध की धुली हो. नेताओं को ले कर भी ऐसी ही धारणा बन चुकी है, चाहे वे किसी भी पार्टी के हों. लेकिन राजनैतिक पार्टियों पर अविश्वास के मौजूदा दौर में भी भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था दुनिया के बहुत से देशों के मुकाबले बहुत सुदृढ़ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के दूसरे स्टार प्रचारक परिवारवाद का आरोप लगा कर कांग्रेस और देश की कई क्षेत्रीय पार्टियों को घेरते रहते हैं. गौर से देखें, तो ऐसे आरोप में दम भी नजर आता है. वैसे बहुत से बीजेपी नेताओं के परिजनों को चुनाव के टिकट मिलने की बात कह कर कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां भी बीजेपी पर परिवारवादी राजनीति का आरोप लगा कर पलटवार करती हैं.
बीजेपी साफ करती है कि परिवारवाद का मतलब है कि किसी पार्टी पर पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार की पकड़ रहना. उसका तर्क है कि किसी नेता की पीढ़ी या उसकी अगली पीढ़ी के किसी पुरुष या महिला के अंदर राजनीति के लिए जरूरी योग्यता और तेवर हैं, तो उन्हें टिकट देने का मतलब परिवारवादी होना नहीं है. यह ऐसा ही है, जैसे किसी डॉक्टर के बेटे-बेटी का डॉक्टर बनना या किसी दूसरे पेशे वाले अभिभावक के बच्चों का उसका ही पेशा अपना लेना. यह तर्क ठीक भी लगता है. यह सही है कि राजनैतिक शुचिता बहाल करने के लिए अब बहुत से स्तरों पर बहुत से प्रयास किए जाने लगे हैं. वोट डालने की उम्र कम कर 18 साल कर दी गई है. मतदान बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग और बहुत से गैर-सरकारी और निजी संस्थानों की तरफ से कोशिशें होने लगी हैं. चुनावी भ्रष्टाचार पर अदालतों की भी पैनी नजर रहने लगी है. भारत एक देश, एक चुनाव की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना कि राजनैतिक परिवारवाद और भ्रष्टाचार को खत्म करने के इरादे से वे गैर-राजनैतिक परिवारों के एक लाख युवाओं को राजनीति से जोड़ेंगे, स्वागत योग्य कदम है.
पीएम मोदी ने लाल किले से की थी अपील
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से एक लाख युवाओं को राजनीति में जन प्रतिनिधियों के रूप में लाने का आवाह्न किया था. उन्होंने कहा था कि इस कदम से जातिवाद और वंशवाद की राजनीति को खत्म करने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे युवा जरूरी नहीं कि एक ही पार्टी में शामिल हों, वे अपनी पसंद की किसी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि देश में राजनीति के क्षेत्र में हम एक लाख जन प्रतिनिधि चाहते हैं. वे एक लाख ऐसे युवाओं को जोड़ना चाहते हैं, जिनकी कोई राजनैतिक पृष्ठभूमि नहीं है. अब सवाल यह है कि ऐसे एक लाख युवाओं का चयन किस आधार पर किया जाएगा? क्या कोई लिखित परीक्षा और फिर साक्षात्कार या फिर सिर्फ साक्षात्कार के आधार पर ऐसा किया जाएगा? या फिर कोई और पद्धति अपनाई जाएगी? वैसे जब देश की सबसे बड़ी सियासी पार्टी ने यह योजना तैयार की है, तो फिर सब कुछ सोच-समझ कर किया होगा. लेकिन बीजेपी को कांग्रेस की ऐसी ही योजना के हश्र पर बारीक नजर जरूर डालनी चाहिए.
कांग्रेस की योजना का अंजाम भी नजर में
राहुल गांधी के कांग्रेस में सक्रिय होने के बाद भी इस तरह योजना तैयार की गई थी. लेकिन समाचार माध्यमों में सुर्खियां बनने के अलावा जमीनी स्तर पर वह परवान नहीं चढ़ पाई. हां, इस बार थोड़ा अंतर जरूर है. कांग्रेस ने योजना युवाओं को अपनी पार्टी से जोड़ने के लिए बनाई थी. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं कि वे ऐसे एक लाख युवाओं को राजनीति में लाना चाहते हैं, जो किसी भी पार्टी में जा सकते हैं. ईमानदार युवाओं को राजनीति में आना ही चाहिए. लेकिन इसमें कुछ तकनीकी दिक्कतें हैं. राजनीति करना सेवा का काम है. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने के लिए पार्टियों की तरफ से किसी तरह का स्टाइपेंड या वेतन नियमित नहीं मिलता. सरकारी नौकरी करने वाले युवा राजनीति में आ नहीं सकते. ऐसे में ऐसे युवा ही राजनीति का रुख कर सकते हैं, जिन्हें अपने और अपने परिवार के खर्चे चलाने में कोई दिक्कत नहीं हो. यानी संपन्न परिवारों के युवाओं के लिए ही राजनीति में आने का सहज विकल्प खुला हो सकता है.
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मौजूदा परंपराओं को बदलना पड़ेगा
इसलिए बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर युवाओं को राजनीति में ला कर शुचिता का माहौल तैयार करना चाहते हैं, तो मौजूदा परंपराओं को भी बदलना पड़ेगा. राजनीति में पेशेवर मूल्य बढ़ाने के लिए संभावनाशील युवाओं को अगर जोड़ना है, तो उन्हें सम्मानजनक वजीफा या वेतन देना होगा. उचित प्रशिक्षण देना होगा. तभी कोई असाधारण सोच रखने वाला साधारण परिवार का युवा राजनीति को करियर के तौर पर अपनाने को तैयार हो सकता है. दूसरा सुझाव यह भी है कि राजनीति शास्त्र का पाठ्यक्रम नए सिरे से तैयार किया जाए, ताकि इसे पढ़ने वाले युवा राजनीति में आने के लिए प्रेरित हो सकें.
Tags: BJP, Indian politics, Pm narendra modi, PM Narendra Modi NewsFIRST PUBLISHED : October 21, 2024, 20:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed