Opinion: औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त भारत के सपने को साकार करने में लगे हैं पीएम मोदी
Opinion: औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त भारत के सपने को साकार करने में लगे हैं पीएम मोदी
आजादी के 75वें साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने पांच प्रण देश के सामने रखे थे. पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के इस आजादी के इस अमृत काल में उनके पांच प्रणों में एक है औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त भारत और भारत की परंपराएं और भारत के लोग.
आजादी के 75वें साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने पांच प्रण देश के सामने रखे थे. पीएम मोदी की चिंता ये है कि जब आजादी के 75 साल बीत जाने पर भी देश गुलाम मानसिकता वाली चीजों को क्यों ढो रहा है. इसलिए पीएम मोदी ने अपनी स्वतंत्रता दिवस की स्पीच में अपने दिल की बात देश की जनता के सामने रख दी. पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के इस आजादी के इस अमृत काल में उनके पांच प्रणों में एक है औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त भारत और भारत की परंपराएं और भारत के लोग.
2 सितंबर को पीएम मोदी कोच्चि के दौरे पर होंगे. वहां पीएम मोदी भारत में ही बने पहले एयरक्राफ्ट कैरियर को नौसेना को समर्पित करेंगे. कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड में आयोजित इस समारोह को पूरी दुनिया देखेगी. यह आत्मनिर्भर भारत की पहचान है. पीएम मोदी एक और औपनिवेशिक काल के प्रतीक चिह्न से मुक्ति का ऐलान करेंगे. ये है भारतीय नौसेना के निशान का. पीएम मोदी अनावरण करेंगे नेवी के नए निशान का. ये नया निशान ब्रिटिश राज की मानसिक बेडियां तोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण कदम होगा. साथ ही नया निशान भारत की सदियों से चली आ रही सामुद्रिक विरासत की याद भी दिलाता रहेगा.
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि पीएम मोदी ने औपनिवेशिक ब्रिटिश काल की बेडियों को तोड़ने का काम किया हो. संयुक्त राष्ट्र में भाषण देना हो या फिर विदेश के दौरे पर गए पूर्व प्रधानमंत्री या फिर राजनेता हों, अंग्रेजी का बोलबाला भारत की राजनीति में हमेशा से ही रहा. 2014 में सत्ता संभालने के बाद पिछले आठ सालों में पीएम नरेन्द्र मोदी दुनिया में जहां भी गए हैं, वहां अपने भाषण हिंदी में ही दिए हैं. संयुक्त राष्ट्र हो या फिर जी-7 या फिर जी-20 सम्मेलन, पीएम मोदी, हिंदी में भाषण देने से पीछे नहीं हटते. ये ब्रिटिश साम्राज्यवाद द्वारा भारत पर थोपी गयी एक मानसिकता थी जिसे आजादी के इतने साल बाद भी उखाड़ फेंकना मुश्किल साबित हो रहा था. विविधता भरे भारत देश में जितनी भाषाएं हैं, पीएम मोदी सबका सम्मान करते हैं. पीएम मोदी के इसी सम्मान का कारण है कि नयी शिक्षा नीति के तहत अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ाई को खासा महत्व दिया गया है. ये शुरुआत है अंग्रेजी भाषा पर आधारित चल रही पढ़ाई से मुक्ति पाने की. पीएम मोदी का अपने भाषणों में स्थानीय लोगों को उन्ही के भाषा में संबोधित करने से शुरुआत करना, उनके भाषणों की एक शैली ही बन गया है.
पीएम मोदी ने ऐसे कई कदम उठाए हैं जिससे ब्रिटिश औपनिवेशिक मानसिकता से धीरे-धीरे छुटकारा पाने की दिशा में भारत बढ़ चला है. पीएम मोदी के शासन के इन आठ सालों में 1500 से ज्यादा पुराने और बेतुके कानूनों को बदला जा चुका है. ऐसे कानून ब्रिटिश सम्राज्य के दौर से ही चले आ रहे थे. आजादी के 75वे साल में हर गणतंत्र दिवस के बाद होने वाली बिटिंग द रिट्रिट समारोह के आखिर में बजाए जाने वाली अबाईड विद मी ट्यून भी इतिहास का हिस्सा बन कर रही है. 2022 के इस समारोह में सेना के बैंड ने कवि प्रदीप द्वारा लिखा गया और सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर का गाया हुआ गीत ऐ मेरे वतन के लोगों बजाया तो लोग खुशी से झुम उठे. इसके पहले मोदी सरकार के दौरान ही 2015 में बीटिंग द रिट्रिट में सेना के बैंडों की बजायी जाने वाली धुनों में कई बदलाव किए. इनमें भारतीय वाद्य यंत्रों सितार, संतूर, तबला को पहली बार जोड़ा गया. यानि पूरा का पूरा बिटिंग द रिट्रिट समारोह अब भारतीय रंग में रंग चुका है.
ब्रिटिश काल से ही देश का वित्त और रेलवे बजट इंग्लैंड में बैठे हुक्मरानों के समय के हिसाब से चलता था. फरवरी महीने के आखिरी दिन वित्त बजट भारत में आजादी के 7 दशकों के बाद तक पेश किया जाता रहा. लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017 में ब्रिटिश परंपरा को तोड़ते हुए 2017 में एक फरवरी को बजट पेश किया. लेकिन इसके पीछे भी पीएम मोदी और उनकी सरकार की सूझ बूझ ही नजर आयी क्योंकि इन तारिखों में हुए इस बदलाव से वित्तिय गवर्नेंस में कई सुधार संभव हुए. ऐसा ही रेल बजट के साथ हुआ. पिछले 92 सालों से रेल बजट, वित्त बजट से अलग पेश करने की परंपरा अंग्रेजों ने डाली थी लेकिन 2017 में रेल बजट अलग पेश करने के बजाए वित्त बजट के साथ मिला कर पेश किया गया. ये साफ होने लगा है कि ब्रिटिश शासन की परंपरा से अलग नयी राह पर भारत चल पड़ा है.
पीएम मोदी ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के एक होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया. इस होलोग्राम को आने वाले दिनों में नेताजी की मूर्ति से बदल दिया जाएगा. आज जब पूरा देश नेताजी की 125 जयंती मना रहा है, तब ये मूर्ति उसी जगह पर लगायी जाएगी जहां पर ब्रिटिश जमाने की छतरी लगी है और उसी में लगी किंग जॉर्ज प्रथम की मूर्ति को 1968 में हटा लिया गया था. लेकिन उसी जगह नेताजी की मूर्ति ये याद दिलाएगी कि कैसे उन्होंने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे. कुछ इसी तर्ज पर पिछले दिनों कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में पीएम मोदी ने बिप्लबी भारत मेमोरियल का उद्घाटन किया था. पीएम मोदी यहां वही संदेश देना चाहते थे कि जिस जगह का नाम ब्रिटेन की महारानी के नाम पर रखा गया है. वहीं एक गैलरी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले क्रांतिकारियों को भी जगह मिलेगी. शुरुआत हो चुकी है लेकिन पीएम मोदी ने जब अपने पांच प्रणों में से एक औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति पाना बताया तो साफ हो गया कि जब तक इस मानसिकता से मुक्ति नहीं मिलती बदलाव जारी रहेंगे.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए up24x7news.comHindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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Tags: Prime Minister Narendra ModiFIRST PUBLISHED : August 31, 2022, 19:33 IST