ऐसा इंसाफ कि पीड़ितों का दर्द छलक आया और अभियुक्तों की आंखें भी डबडबा आईं

Gopalganj News: देरी से असंतोष बढ़ता है... न्याय मिलने में विलंब को लेकर भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का कथन उस समय बिल्कुल सही साबित हुआ जब 33 वर्षों के बाद गोपालगंज कोर्ट ने एक फैसला सुनाया. इसमें सभी चारो आरोपी बाइज्जत बरी कर दिये गए. इस फैसले के बाद अभियुक्त और पीड़ित पक्ष, दोनों ही न्यायिक व्यवस्था में देरी शिकार हुए हैं. आगे जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है.

ऐसा इंसाफ कि पीड़ितों का दर्द छलक आया और अभियुक्तों की आंखें भी डबडबा आईं
हाइलाइट्स 33 वर्षों तक मुकदमा लड़ने के बाद साक्ष्य नहीं दे सकी पुलिस, 4 बाइज्जत बरी. 33 वर्ष के बाद मुकदमें का सुनाया फैसला तो छलक उठा अभियुक्तों का दर्द. न्याय पाने के लिए दोनों पक्ष पुलिस से लेकर कचहरी तक लगाते रहे थे चक्कर. कोर्ट ने डीएम व एसपी को केस की स्थिति से अवगत कराने का दिया आदेश. गोपालगंज. जानलेवा हमला के केस में 33 वर्षों के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-10 मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में चार अभियुक्तों को बाइज्जत बरी कर दिया. कोर्ट का फैसला आने के साथ ही जहां पीड़ितों का जहां दर्द छलक पड़ा, वहीं अभियुक्तों की आंखें डबडबा उठीं. पिछले 33 वर्षों तक दोनों पक्ष इंसाफ पाने के लिए पुलिस व कचहरी का चक्कर लगाते रहे. जवानी में हुई घटना का बुढ़ापे में फैसला आया. पुलिस केस को कोर्ट में साबित करने में असफल रही. जिससे चारों अभियुक्त गुडू मिश्र, टुन्नु मिश्र, चुन्नू मिश्र और टन्नू मिश्र को साक्ष्य के अभाव मे संदेह का लाभ देते हुए आरोप से दोषमुक्त कर दिया. कोर्ट ने अभियोजन के इस विफलता को लेकर डीएम को आदेश की प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. इस केस में डॉक्टर, कांड के आइओ की गवाही कराने में पुलिस विफल रही. जिसका लाभ अभियुक्तों को मिला. कोर्ट के वारंट पर भी नहीं आये डॉक्टर और आइओ- सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से तमाम अवसर देने के बाद भी कांड के आइओ और इलाज करने वाले डॉक्टर गवाही देने कोर्ट में नहीं आये. उनपर कोर्ट की ओर से वारंट भी जारी किया गया. इसके बाद भी नहीं आये. अभियोजन साक्षी राम नरोश मिश्र एवं दिनेश चन्द्र मिश्र दोनों सगे भाई हैं. नरेन्द्र मिश्र ने अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं किया. उनको पक्षद्रोही घोषित किया गया. इस कांड मे जख्मी धनेश मिश्र अपना बयान देने के लिए न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए. राम नरेश मिश्र ने अपने प्रतिपरीक्षण मे यह स्वीकार किया कि अभियुक्तों से जमीन का विवाद चल रहा था. दिनेश चंन्द मिश्र अपने प्रतिपरीक्षण के लिए उपस्थित नहीं हुए . पुलिस की ओर से दाखिल हुआ था आरोप पत्र सूचक के उपरोक्त लिखित आवेदन के आधार पर कटेया थाना कांड संख्या-118/1991 धारा-147, 148, 149, 323, 324, 307, 379 भादवि के तहत प्राथमिकी के नामजद अभियुक्त के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया. अनुसंधानकर्ता के द्वारा अनुसंधान के पश्चात् घटना को सत्य पाते हुए अभियुक्त व्यास मिश्र, गुडू मिश्र, टुन्नु मिश्र, चुन्नू मिश्र, टन्नू मिश्र के आरोप पत्र न्यायालय में समर्पित किया था. कोर्ट में गवाही देने को लेकर हुआ था जानलेवा हमला 28 अक्तूबर 1991 को समय 8 बजे सुबह में राम नरेश मिश्र अपने गांव के सामने धनेश मिश्र को बुलाए तथा उनसे बोले के कि व्यास मिश्र वाला केस में आप दो तारीख से न्यायालय में नहीं जा रहे हैं, उसमें आप गवाह हैं. उस पर धनेश मिश्र ने बताया कि अगली तारीख में जाएंगे. तब तक गांव के व्यास मिश्र, गुडु मिश्र, चुन्नू मिश्र, टून्नू मिश्र, टन्नू मिश्र, लाठी, फारसा, लोहे का रॉड, लेकर दौड़ते हुए आये. व्यास मिश्र अपने हाथ मे लिए फारसा से धनेश मिश्र का माथा पर, गुडू लाठी से बायां पैर के ठेहुना पर मारा. जिससे माथा फट गया और खून बहने लगा और बेहोश होकर गिर गया. राम नरेश मिश्र जब धनेश मिश्र को जब बचाने गया तो उनको भी अभियुक्त चुन्नू मिश्र लोहा के रॉड से बांया हाथ पर तथा गट्टा पर मार-पीट कर जख्मी कर दिये. राम नरेश मिश्र के कुर्ता के पॉकेट से पांच हजार रुपये चुन्नू मिश्र निकाल लिया. झगड़ा का कारण तथा अभियुक्तों के बीच न्यायालय मे जमीन का मुकदमा चल रहा है. Tags: Bihar News, Gopalganj newsFIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 10:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed