कर्नाटक हाई कोर्ट ने 50 मिनट तक बाल पोर्नोग्राफी वाली वेबसाइट देखने के आरोपी व्यक्ति को राहत देते हुए कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम- आईटी एक्ट के प्रावधानों के तहत केवल चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना अपराध नहीं है.
कोर्ट में एक ऐसा मामला आया जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ यह आरोप है कि उसने एक अश्लील वेबसाइट देखी है. कोर्ट के विचार में, इस सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण नहीं होगा, जैसा कि आईटी अधिनियम की धारा 67बी के तहत आवश्यक है. क्योंकि किसी अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण करना आपराध है, ना कि देखना. कोर्ट में इसके अलावा याचिकाकर्ता के खिलाफ कुछ भी आरोप नहीं लगाया गया है.
याचिकाकर्ता के खिलाफ मार्च, 2022 में आईटी अधिनियम की धारा 67बी (बच्चों वाली सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत शिकायत दर्ज की गई थी. याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि धारा 67बी लागू नहीं की जा सकती क्योंकि उनके मुवक्किल ने केवल वेबसाइट देखी थी औरकुछ भी प्रसारित नहीं किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपराध से बाहर रखा
बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट से पहले सुप्रीम कोर्ट में भी एक इसी तरह का मामला आया था. इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बच्चों की अश्लील वेबसाइट देखना अपराध नहीं है, लेकिन इस प्रकार की सामग्री में बच्चों का इस्तेमाल किया जाना अपराध है. मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही थी. मद्रास हाई कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखने को पॉक्सो और आईटी एक्ट के तहत अपराध के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया था.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि पोर्न देखना अपराध नहीं हो सकता है. पीठ ने कहा कि किसी बच्चे का पोर्न देखना शायद अपराध न हो, लेकिन पोर्नोग्राफी में बच्चों का इस्तेमाल होना अपराध है.
Tags: High court, Karnataka NewsFIRST PUBLISHED : July 18, 2024, 16:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed