आप भी खोल सकते हैं CBSE बोर्ड का स्कूल बस माननी होंगी ये जरूरी शर्तें
आप भी खोल सकते हैं CBSE बोर्ड का स्कूल बस माननी होंगी ये जरूरी शर्तें
CBSE Schools Affiliation: भारत में करीब 15 लाख स्कूल हैं. इनमें से 28 हजार से ज्यादा स्कूल सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध हैं. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भारत का सबसे बड़ा एजुकेशन बोर्ड है. सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध सभी स्कूलों में एनसीईआरटी सिलेबस फॉलो किया जाता है. जानिए किसी स्कूल को सीबीएसई बोर्ड की संबद्धता कैसे मिल सकती है.
नई दिल्ली (CBSE Schools Affiliation). हर स्कूल का किसी न किसी बोर्ड से संबद्ध होना जरूरी है. उसी से स्कूल को एक खास पहचान मिलती है. भारत के सभी स्कूल यूपी, एमपी, बिहार, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र जैसे विभिन्न राज्य बोर्ड या सीबीएसई, सीआईएससीई बोर्ड से संबद्ध हैं. स्कूल की संबद्धता जिस भी बोर्ड से होती है, वहां उसी बोर्ड के नियमों का पालन किया जाता है.
भारत के 28 हजार से ज्यादा स्कूल सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध हैं (CBSE Board Schools). केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूलों को एफिलिएशन देने के लिए नियम तय किए हैं. अगर स्कूल उन मानकों पर खरा नहीं उतरता है तो बोर्ड उसे मान्यता नहीं देता है. सीबीएसई बोर्ड अपने नियमों को लेकर सख्त है. उसमें जरा भी कमी रहने पर स्कूल उसमें सुधार करके फिर से एफिलिएशन के लिए आवेदन कर सकते हैं. अगर आप अपने स्कूल को सीबीएसई बोर्ड की मान्यता दिलवाना चाहते हैं तो जानिए जरूरी नियम.
CBSE Board Schools: सीबीएसई बोर्ड स्कूल का क्लास रूम कैसा होना चाहिए?
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने हर स्कूल के क्लास रूम के लिए भी नियम बनाए हैं. सीबीएसई स्कूल के हर क्लास का साइज कम से कम 8 मी x 6 मी (लगभग 500 स्क्वायर फीट) होना चाहिए. हर क्लास के लिए एक अलग कमरा निर्धारित करना अनिवार्य है. हर स्टूडेंट के हिसाब से क्लास में कम से कम 1 स्क्वायर फीट फ्लोर स्पेस की जगह होनी चाहिए.
CBSE Board Science Lab: सीबीएसई स्कूल की साइंस लैब कैसी होनी चाहिए?
सीबीएसई बोर्ड के अधिकतर स्कूलों में साइंस विषय की पढ़ाई करवाई जाती है. सीबीएसई के जिन स्कूलों में साइंस विषय की पढ़ाई होती है (खासतौर पर सेकंडरी और सीनियर सेकंडरी स्कूल), उनमें हर साइंस लैब का साइज कम से कम 9 मी x 6 मी होना चाहिए (कम से कम 600 स्क्वायर फीट). इन लैब्स में प्रैक्टिकल की पूरी व्यवस्था होना भी अनिवार्य है.
CBSE Board Library: सीबीएसई स्कूल में लाइब्रेरी कैसी होनी चाहिए?
सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों की लाइब्रेरी कम से कम 14 मी x 8 मी एरिया में होनी चाहिए. साथ ही लाइब्रेरी में बच्चों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त किताबें व अन्य जरूरी सुविधाएं भी होनी चाहिए. लाइब्रेरी में बच्चों की उम्र और क्लास के हिसाब से हर विषय की किताबें होनी जरूरी हैं. मौजूदा दौर को देखते हुए लाइब्रेरी में सामान्य किताबों के साथ ही ई-बुक्स, फिक्शन, नॉन फिक्शन, रेफरेंस बुक्स, एन्साइक्लोपीडिया, पीरियॉडिकल्स, मैगजीन, जर्नल और न्यूजपेपर भी होने चाहिए. लाइब्रेरी में ऐसी कोई किताब या पठन सामग्री नहीं होनी चाहिए, जिससे स्टूडेंट्स धर्म, वर्ग, भाषा आदि के आधार पर उत्तेजित हों या उनके मन में दुर्भावनाएं आएं. सरकार या बोर्ड द्वारा अस्वीकृत किताबें सीबीएसई लाइब्रेरी में नहीं होनी चाहिए. स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों को नियमित तौर पर लाइब्रेरी से किताबें इश्यू की जानी चाहिए.
CBSE Board Computer Lab: सीबीएसई स्कूल में कंप्यूटर लैब कैसा होना चाहिए?
सीबीएसई बोर्ड स्कूल में कंप्यूटर लैब कम से कम 9 मी x 6 मी (कम से कम 600 स्क्वायर फीट) के दायरे में होनी चाहिए. जानिए सीबीएसई बोर्ड ने कंप्यूटर लैब के लिए क्या नियम बनाए हैं- स्कूल के पास कम से कम 20 कंप्यूटर होने चाहिए. स्कूल के पास अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट कनेक्शन होना चाहिए. अगर किसी स्कूल में 800 बच्चे हैं तो वहां कम से कम एक कंप्यूटर लैब का होना अनिवार्य है. अगर स्कूल में सीनियर सेकंडरी लेवल पर कंप्यूटर साइंस या आईटी जैसे विषयों की पढ़ाई करवाई जाती है तो समुचित व्यवस्थाओं के साथ एक अलग लैब भी होनी चाहिए. स्कूल कंप्यूटर लैब में साइबर सेफ्टी का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए और स्टूडेंट्स को टीचर के सुपरविजन में ही लैब में एंट्री दी जानी चाहिए.
CBSE Board Math Lab: सीबीएसई बोर्ड स्कूलों में मैथ लैब के लिए क्या नियम बनाए गए हैं?
सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में मैथ लैब का साइज एक सामान्य क्लास रूम जितना होना चाहिए. वैसे सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध हर स्कूल में मैथ लैब नहीं होती है. इससे जुड़े नियमों की जानकारी बोर्ड की वेबसाइट cbse.nic.in या cbse.gov.in पर चेक कर सकते हैं.
CBSE Board Activities: सीबीएसई स्कूलों में एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज का कमरा कैसा होना चाहिए?
अगर स्कूल के पास एरिया ज्यादा है तो म्यूजिक, डांस, आर्ट्स और विभिन्न स्पोर्ट्स जैसी एक्टिविटीज के लिए अलग-अलग कमरे बनाए जा सकते हैं. स्कूल चाहें तो एक बड़े मल्टीपर्पस हॉल को भी इन एक्टिविटीज के लिए रिजर्व कर सकते हैं. सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में बच्चों के ओवरऑल डेवलपमेंट पर फोकस किया जाता है. इसलिए इन स्कूलों में एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज पर बहुत ध्यान दिया जाता है.
CBSE Board Rules: CBSE स्कूलों में पीने के पानी, टॉयलेट व फिजिकल एक्टिविटीज के लिए क्या नियम बनाए गए हैं?
सीबीएसई बोर्ड ने ड्रिंकिंग वॉटर, वॉशरूम आदि के लिए भी कुछ जरूरी नियम निर्धारित किए हैं. स्कूल को केंद्रीय माध्यमि शिक्षा बोर्ड की संबद्धता दिलवाने से पहले जानिए उनके बारे में- स्कूल की हर मंजिल पर बच्चों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था होनी चाहिए. स्कूल की हर मंजिल पर छात्रों व छात्राओं के लिए अलग-अलग साफ-सुथरे वॉशरूम बनवाने चाहिए. प्राइमरी लेवल के स्टूडेंट्स के टॉयलेट सेकंडरी वालों से अलग होने चाहिए. स्टाफ मेंबर्स के लिए भी अलग वॉशरूम की व्यवस्था होनी चाहिए. हर क्लासरूम में बच्चों और स्टाफ की संख्या के हिसाब से सही फर्नीचर होना अनिवार्य है. स्कूल में साइंस, होम साइंस, टेक्निकल विषयों, वोकेशनल विषयों और आर्ट एजुकेशन से जुड़े सभी उपकरण और सुविधाएं होनी चाहिए. स्कूल में फायर सेफ्टी के नियमों का पालन होना चाहिए. बच्चों व स्टाफ को समय-समय पर फायर ड्रिल में शामिल होना चाहिए स्कूल में एथलेटिक ट्रैक और कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, क्रिकेट, थ्रोबॉल आदि आउटडोर गेम्स खेलने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए.
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Tags: Cbse, Cbse board, Private schools, School educationFIRST PUBLISHED : May 12, 2024, 15:37 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed