बाइक एंबुलेंस! कम समय में अस्पताल पहुंच सकेंगे मरीज मिलेंगी सभी सुविधाएं
बाइक एंबुलेंस! कम समय में अस्पताल पहुंच सकेंगे मरीज मिलेंगी सभी सुविधाएं
दो इंजीनियरिंग छात्रों ने अपने इनोवेशन से दिया हेल्थ केयर सिस्टम को नया उपहार. 50-60 हज़ार की लागत से बनाई गई यह बाइक एम्बुलेंस जल्द ही गांवों के मरीजों को दे सकेगी नई ज़िंदगी.
कोविड ने दुनिया को हेल्थ सेक्टर मजबूत करने का सबक दिया है. अब सरकारों के साथ-साथ रिसर्चर्स भी हेल्थ सेक्टर्स को बेहतर करने में लगातार काम कर रहे हैं. ऐसे ही आंध्र प्रदेश के गूटी के दो छात्रों ने हेल्थ केयर सिस्टम में अपने इनोवेशन से बेहतरीन योगदान दिया है. आंध्र प्रदेश के गूटी के एक कॉलेज के थर्ड ईयर मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रों ने एक ‘बाइक एंबुलेंस’ बनाई है. कॉलेज के दो दोस्त सुब्रमणयम यशवंत और एजाज़ अहमद ने बाइक एंबुलेंस बनाई है.
सुब्रमणयम यशवंत और एजाज़ अहमद ने न्यूज 18 से अपनी इस खोज के बारे में विस्तार से बात की. कोरोना के दौरान लोगों को एंबुलेंस के लिए दर-ब-दर भटकते देखकर उन्हें बहुत दुख होता था. वक़्त पर एंबुलेंस ना मिल पाने के कारण कई लोगों ने अपनी जान तक गंवा दी थी. उसी वक़्त उन्होंने अपने मित्र एजाज़ अहमद के साथ मिलकर समाज के लिए कुछ करने और समस्या को हल करने का प्रण लिया। वह आगे बताते हैं, ‘बाइक एंबुलेंस’ का आइडिया उन्हें अपने घर पर अन्य प्रयोग के दौरान आया. जिसके बाद वे दोनों अपना यह आइडिया लेकर पहुंचे अपने कॉलेज के मैनेजिंग डायरेक्टर -जी रघुनाथ रेड्डी के पास. वे बताते हैं कि ‘बाइक एंबुलेंस’ के सफ़ल होने के पीछे उनके एमडी का बहुत बड़ा हाथ है. जब इन दोनों ने यह आइडिया अपने एमडी के सामने प्रस्तुत किया तो उन्हें यह बेहद पसंद आया और फिर उन्हीं के सुझाव पर अपना आइडिया लेकर अपने कॉलेज के ‘आइडिया लैब’ पहुंचे.
यशवंत के मुताबिक उनके कॉलेज में हर प्रकार के टैलेंट को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग तरह की लैब हैं. उसमें से एक है वैज्ञानिक प्रयोग और खोज के लिए ‘आइडिया लैब. जब वह अपने ‘बाइक एंबुलेंस’ के आइडिया के साथ लैब पहुंचे तो लैब से उन्हें इसका प्रोटोटाइप बनाने के लिए पूरा सहयोग प्राप्त हुआ. वह कहते हैं कि कॉलेज ने उनके इस आइडिया को कार्यान्वित करने का सारा साधन उपलब्ध कराया.
कॉलेज एमडी ने की फंड की व्यवस्था
यशवंत और एजाज़ के मुताबिक उनके कॉलेज के एमडी ने उनका यह आइडिया पुणे में स्थापित ‘थ्री डीएक्पीरियंस लैब ऑफ़ डसॉल्ट सिस्टम्स’ (3DEXPERIENCE Lab of Dassault Systemes’) के सामने प्रस्तुत किया. जिसके बाद ‘बाइक एंबुलेंस’ के आइडिया को पूरी तरह से हक़ीक़त में तब्दील इस लैब ने ही किया. छात्रों द्वारा प्रोटो टाइप प्रस्तुत किए जाने के बाद लैब ने आज उपलब्ध ‘बाइक एंबुलेंस’ को आकार दिया.
एक बाइक एंबुलेंस बनाने का खर्च
छात्रों के मुताबिक एक ‘बाइक एंबुलेंस’ बनाने में शुरुआती दिनों में बीस से तीस हज़ार का खर्च आता था. प्रारंभिक चरणों में इस एंबुलेंस में केवल बाइक थी, लेकिन फिर जैसे जैसे हम इसमें संशोधन करते गए इस एंबुलेंस की कीमत में भी इज़ाफ़ा हुआ है. अब ‘बाइक एंबुलेंस’ में संशोधन करके हमने इसमें स्ट्रेचर और पेशेंट मॉनिटरिंग सिस्टम भी लगा दिया है. एक पेशेंट मॉनिटरिंग सिस्टम की कीमत 40 से 42 हज़ार है इसलिए अब स्ट्रेचर और पेशेंट मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित ‘बाइक एंबुलेंस’ की कीमत करीबन पचास से साठ हज़ार है. लेकिन थोक निर्माण पर इसकी कीमत चालीस से बयालीस हज़ार के बीच पड़ेगी.
बाइक एंबुलेंस
बाइक एंबुलेंस का विवरण देते हुए यह छात्र बताते हैं कि इस एंबुलेंस में बाइक के साथ स्ट्रेचर, दो सायरन, पेशेंट मॉनिटरिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया है. बाइक की अधिकतम स्पीड 30-40 केएमपीएच है. बाइक चलाने के लिए पेट्रोल का प्रयोग किया जाता है. वहीं दो सायरन एक बैटरी से चलते हैं और पेशेंट मॉनिटरिंग सिस्टम में पहले से एक अलग बैटरी स्थापित होती है. पेशेंट मॉनिटरिंग सिस्टम और सायरन के लिए इस्तेमाल की गई दोनों बैटरी रिचार्जेबल होती हैं. सायरन के लिए इस्तेमाल की गई बैटरी की आयु एक से डेढ़ साल होती है और इसे हर 3-4 दिनों में मात्र 5-6 घंटे के लिए चार्ज करना पड़ता है. इस बाइक एंबुलेंस में इस्तेमाल किए गए सारे पार्ट्स यहीं की स्थानीय दुकानों में उपलब्ध हैं.
मार्केट लॉन्च
इन छात्रों का कहना है कि वह इस परिवर्तनात्मक बाइक एंबुलेंस को मार्केट में लॉन्च नहीं करना चाहते हैं बल्कि वो इसका प्रयोग सामाजिक कार्यों के लिए करना चाहते हैं. वह कहते हैं कि छोटे-छोटे सरकारी अस्पतालों में फंड की कमी के कारण पर्याप्त एंबुलेंस नहीं हैं और जो हैं उनकी भी हालत अच्छी नहीं है. इसलिए सरकार द्वारा शुरू की गई पहल के माध्यम से वो ये बाइक एंबुलेंस गांवों के अस्पतालों में बांटना चाहते हैं.
हमेशा से थी विज्ञान में रुचि
यशवंत कहते हैं कि उनकी हमेशा से विज्ञान में काफी रुचि थी और उन्हें नए- नए प्रयोग करना भी बहुत पसंद है. वह अक्सर अपने घर पर इस प्रकार के नए नए प्रयोग करते रहते हैं और उसी दौरान उन्हें बाइक एंबुलेंस का यह आइडिया आया था. अपनी इस सफ़लता का पूरा श्रेय वह अपनी माता को देते है और कहते हैं कि उनके भीतर इस वैज्ञानिक स्वभाव को विकसित करने में उनकी माता का बहुत बड़ा हाथ रहा है. उनके बिना यह सब संभव नहीं था.
भविष्य की योजना
यशवंत अपना स्टार्ट उप शुरू करना चाहते हैं तो वहीं एजाज़ भविष्य में और भी नए वैज्ञानिक प्रयोग और नई खोज जारी रखना चाहते हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी |
Tags: up24x7news.com Hindi Originals, Research, Science News TodayFIRST PUBLISHED : July 19, 2022, 12:31 IST