नोएडा: कोविड महामारी के बाद बढ़े साइबर ठगी के मामले नेता-अफसर सब हो रहे शिकार
नोएडा: कोविड महामारी के बाद बढ़े साइबर ठगी के मामले नेता-अफसर सब हो रहे शिकार
उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाने वाला शहर नोएडा साइबर ठगों (Cyber Thug) से परेशान है. कोविड महामारी (Covid epidemic) के बाद से इस तरह के मामले ज्यादा देखने को मिले हैं.
ममता त्रिपाठी
नोएडा. उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाने वाला शहर नोएडा (Noida) साइबर ठगों (Cyber Thug) से परेशान है. ये साइबर ठग हर बार नए नए तरीकों से लोगों को ठगने और लूटने का काम करते हैं जब तक पुलिस में शिकायत दर्ज कराइए तब तक ये ठग सारे पैसे को अलग अलग एकांउट के जरिए ठिकाने लगा चुके होते हैं. कोविड महामारी (Covid epidemic) के बाद से इस तरह के मामले ज्यादा देखने को मिले हैं. पहले तो इसका शिकार आम जनता होती थी मगर अब शहर के नामी गिरामी लोग भी इसकी जद में आ गए हैं. कई बड़े बड़े अधिकारी और नामी गिरामी लोग साइबरी ठगी का शिकार बन चुके हैं, सोमवार को नोएडा के सांसद महेश शर्मा के नाम पर फेक प्रोफाइल बनाकर इन ठगों ने कुछ लोगों से पैसे ऐंठ लिए. सांसद ने इस मामले में पुलिस में मुकदमा दर्ज करवा दिया है. कोविड के बाद से पूरी दुनिया में 67 प्रतिशत साइबर क्राइम के मामले बढ़े हैं. कोविड में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखने को मिली थी.
मनीष कुमार (बदला हुआ नाम), एक प्राइवेट कम्पनी में काम करते थे, कोविड में नौकरी चली गई. घर लेने के लिए कुछ पैसे जमा किए थे. सोशल मीडिया के जरिए अच्छी कमाई का लुभावना ऑफर देखा और जिगोलो बनाने के नाम पर रजिस्ट्रेशन चार्ज, टीडीएस चार्ज, जीएसटी और अन्य फीस के नाम पर अलग अलग बैंक खातों में लगभग 26 लाख रूपए उनसे ठग लिए गए. पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराने पर पता चला कि ज्यादातर मोबाइल नम्बर तथा बैंक खाते फर्जी आईडी पर थे. पुलिस ने सर्विलांस के जरिए दो लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया मगर सिर्फ 2 लाख रूपए ही मिल पाए क्योंकि गैंग के अन्य सदस्य बाकी के पैसों के साथ चम्पत हो चुके थे.
हर बात के लिए इंटरनेट पर आश्रित रहने की प्रवृत्ति से इस तरह के मामले बढ़ रहे
एनटीपीसी में बड़े पद से रिटायर होने वाले अधिकारी से फर्जी इंश्योरेंस के नाम पर कम्पनी का कर्मचारी बनकर पालिसी का ज्यादा रिटर्न दिलाने के नाम पर 1.68 करोड़ रूपए बदमाशों ने ठग लिए. उनकी सारी जमापूंजी, ग्रेच्यूटी सब कुछ साइबर ठगों ने लूट ली बाद में सिर्फ 1.50 लाख रूपए ही वापस मिल पाए. साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन कहते हैं कि बेरोजगारी से ज्यादा जागरूकता की कमी और हर बात के लिए इंटरनेट पर आश्रित रहने की प्रवृत्ति से इस तरह के मामले बढ़ रहे हैं. कोविड के दौरान हर चीज ऑनलाइन हो गई थी जिसका खामियाजा है कि आज लोग साइबरी ठगी का शिकार बन रहे हैं.गूगल एक खुली दुकान है इसलिए हर बात वहां सही ही हो ये जरूरी नहीं है, बिना वैरिफाई किए कभी भी ना तो सोशल मीडिया में जाएं और ना ही किसी तरह की कोई पेमेंट करें.ये वर्चुअल दुनिया एक भुलभुलैया है. आपको बता दें जॉब फ्राड, लोन फ्राड, इन्श्योरेंस फ्राड, ओएलएक्स फ्राड, कस्टमर केयर फ्राड, यूपीआई फ्राड, फेसबुक फ्रेंडशिप फ्राड, एटीएम क्लोनिंग फ्राड, ईमेल हैकिंग फ्राड, सोशल मीडिया एकाउंड हैकिंग फ्राड, न्यूड एक्सटॉर्सन फ्राड जैसे तमाम तरह के साइबर फ्राड हो रहे हैं जिसमें से यूपीआई, ओटीपी, क्यूआर कोड फ्राड सबसे ज्यादा हो रहा है.
साइबर ठगी के मामले में 1930 हेल्पलाइन बनाई
नोएडा पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह का मानना है कि जागरूकता के जरिए इस तरह के अपराधों को रोका जा सकता है. साइबर ठग ज्यादातर बार्डर एरिया से आपरेट करते हैं. जामताड़ा, मेवात, नुह, भरतपुर, हाथरस जैसे इलाकों से इनका नेटवर्क काम करता है. अभी कुछ दिन पहले ही नोएडा पुलिस ने 17 गैरकानूनी कॉल सेंटर के रैकेट को पकड़ा था जो कि इंटरनेट कॉल के जरिए साइबर क्राइम करते थे. इस तरह से आम जनता को तो ठग ही रहे हैं साथ ही देश की सुरक्षा और रेवेन्यू को भी काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं ये अपराधी. यूपी सरकार ने साइबर ठगी के मामले में 1930 हेल्पलाइन बनाई है, अगर किसी के साथ साइबर क्राइम की कोई घटना हुई है तो इस नम्बर पर कॉल कर दें. हमारी कोशिश रहती है कि बैंकों के जरिए होने वाले भुगतान को रूकवा सकें कई मामलों में हमें सफलता भी मिली है.फिर भी किसी भी तरह की ऑनलाइन पेमेंट करने से पहले जांच परख लें.
7 साल से लेकर 10 साल तक सजा का प्रावधान
आपको बता दें कि साइबर ठगी के मामले में आईपीसी की धारा 467, 468, 420, 406 के साथ आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज होता है जिसमें 7 साल से लेकर 10 साल तक सजा का प्रावधान है मगर ज्यादातर मामलों में महीने भर के भीतर ही आरोपियों की जमानत हो जाती है. साल 2008 में आखिरी संशोधन किया गया था जबकि पिछले 14 सालों में इंटरनेट की दुनिया ने एक ऊंची छलांग लगाई है. साइबर क्राइम करने वाले डाटा को यूज करके इस तरह के अपराध को अंजाम दे रहे हैं क्योंकि सरकार ने अभी डाटा प्रोटेक्शन को लेकर किसी तरह की गाइडलाइन नहीं बनाई है जिसका फायदा ये अपराधी खुलेआम उठा रहे हैं.
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Tags: Covid epidemic, Cyber Thug, Noida crimeFIRST PUBLISHED : June 29, 2022, 21:24 IST