नीतीश की चाणक्य वाली चाल भतीजे के MY-BAAP की काट में लाए KKB अब
नीतीश की चाणक्य वाली चाल भतीजे के MY-BAAP की काट में लाए KKB अब
बिहार की राजनीति एक बार फिर नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द आ गई है. लोकसभा चुनाव के नतीजों ने उनको नई ताकत दी है. ऐसे में उन्होंने एक ऐसी चाल चली है जिसकी काट तेजस्वी के माई-बाप समीकरण में भी नहीं है.
लोकसभा चुनाव के बाद बिहार की राजनीति का फोकस विधानसभा पर शिफ्ट हो गया है. इस चुनाव ने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को वो नैतिक ताकत दी है जिसकी उन्हें बीते करीब चार सालों से इंतजार था. इस ताकत के दम पर नीतीश अपने पुराने रूप में आते दिख रहे हैं. वह पार्टी को मजबूत करने के साथ-साथ खुद के उत्तराधिकारी को भी तय करते दिख रहे हैं. ऐसे में अगर उन्हें नीतीश कुमार 2.0 अवतार कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा. 2.0 वाले नीतीश अब चाणक्य वाले अवतार में नजर आ रहे हैं. राज्य में अक्टूबर 2025 में विधानसभा चुनाव है.
दरअसल, इस वक्त बिहार की राजनीति राजद नेता तेजस्वी यादव के इर्द-गिर्द घूम रही है. ऐसा हो भी क्यों न. बिहार विधानसभा में तेजस्वी सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं. उनके पास 75 विधायक हैं. 74 सदस्यों के साथ दूसरे नंबर पर भाजपा है. तीसरे नंबर पर नीतीश की पार्टी जदयू है. उनके पास केवल 43 विधायक हैं. 2020 के विधानसभा में नीतीश काफी कमजोर हो गए थे. उनको कमजोर करने में कहीं न कहीं उनके अपनो का ही हाथ था. खैर, उस पर बात कभी और. लेकिन, 2024 के लोकसभा चुनाव ने उनकी स्थिति और हैसियत दोनों बदल दी है.
राजद का माई-बाप
अब नीतीश वही पुरानी हैसियत और स्थिति चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने अपनी पार्टी में व्यापक स्तर पर बदलाव किया है. दूसरी तरफ उनको सबसे बड़ी चुनौती राजद और तेजस्वी यादव से मिल रही है. बीते लोकसभा चुनाव में तेजस्वी ने यादव और मुस्लिम समुदाय से इतर राजद का जनाधार बढ़ाने के लिए ‘MY-BAAP’ समीकरण को आगे बढ़ाया. माई-बाप का मतबल मुस्लिम यादव के साथ बी से बहुजन, ए से अगड़ा, ए से आधी आबादी (महिलाएं) और पी से पुअर है. यानी वह अब समाज के हर एक तबके को साधने में जुटे हैं. इसमें उनको काफी हद तक सफलता भी मिली है.
उनको लोकसभा चुनाव में इसका काफी फायदा भी मिला. 2019 के चुनाव में एनडीए के सामने शून्य सीटें लाने वाली राजद को चार सीटें मिलीं हैं. इतना ही नहीं संयुक्त रूप से इंडिया गठबंधन को 10 सीटें मिली हैं. इसमें निर्दलीय पप्पू यादव की सीट भी शामिल है.
2.0 अवतार में नीतीश
इंडिया गठबंधन की इस सफलता से नीतीश चिंतित तो नहीं लेकिन सचेत जरूर हैं. क्योंकि इंडिया की इस जीत में उनको कम, भाजपा को ज्यादा नुकसान हुआ है. ऐसे में नीतीश इस मौके का फायदा उठाकर जदयू को मजबूत करने में लगे हैं. इसी क्रम में उन्होंने पूर्व आईएएस मनीष वर्मा को पार्टी में शामिल करने के 48 घंटे के भीतर राष्ट्रीय महासचिव बना दिया है. मनीष वर्मा नीतीश की जाति कुर्मी समुदाय से आते हैं. वह नीतीश के गृह जिले नालंदा से ताल्लुक रखते हैं. वह बीते करीब एक दशक से पर्दे के पीछे रहकर नीतीश कुमार के साथ काम कर रहे थे.
मनीष वर्मा को महासचिव बनाने से कुछ समय पहले ही नीतीश में संजय झा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था. फिर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी उमेश कुमार कुशवाहा के पास है. यानी कुशवाहा-कुर्मी-ब्राह्मण (KKB).बिहार का जातीय समीकरण देखें तो यादव समुदाय के बाद आबादी में कुशवाहा सबसे बड़ी जाती है. वैसे भी कुशवाहा-कुर्मी को लव-कुश की जोड़ी कहा जाता है. ये दोनों जातियां एक ही पृष्ठभूमि मझौली खेतिहर जातियां हैं. दोनों की संयुक्त आबादी करीब 8 फीसदी है. और यह नीतीश का कोर वोटबैंक है. ये दोनों जातियां व्यावहारिक रूप में अगड़ी जातियों के साथ ज्यादा सहज हैं.
कुशवाहा राजनीति
बीते लोकसभा चुनाव में बिहार में कुशवाहा जाति का प्रभाव काफी व्यापक रहा. इस जाति से चार नेता लोकसभा पहुंचे हैं. इनमें से दो जदयू से हैं. एक भाकपा माले और एक राजद कोटे से संसद पहुंचे हैं. आबादी के सापेक्ष में उनका प्रतिनिधित्व बहुत अच्छा है. ऐसे ने इनकी करीब साढ़े चार फीसदी की आबादी पर सभी की नजर है. जदयू ने इस समुदाय को बिहार प्रदेश अध्यक्ष और दो सांसद दिए हैं. राजद ने अपने एक कुशवाहा सांसद अभय कुशवाहा को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया है. वहीं भाजपा ने बिहार के उपमुख्यमंत्री का पद इस जाति समुदाय को दे रखा है. सम्राट चौधरी कुशवाहा समुदाय से आते हैं. एनडीए एक अन्य कुशवाहा नेता उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा में भी समायोजित करने की बात कह रही है.
Tags: JDU news, Nitish kumar, Tejashwi YadavFIRST PUBLISHED : July 11, 2024, 17:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed