सौरभ वर्मा/ रायबरेली: हमारे देश में फूलों का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है. क्योंकि फूलों का धार्मिक उपयोग के साथ ही सांस्कृतिक अवसरों पर सजावट के रूप में भी बड़े स्तर पर उपयोग किया जाता है. इसीलिए देश के किसान अन्य फसलों की खेती न करके फूलों की खेती की ओर ज्यादा रुख कर रहे हैं. जिनमें वे गुलाब के साथ गेंदा के फूलों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. फूलों की खेती करने वाले किसान सितंबर माह से दिसंबर माह के मध्य अपने खेतों में गेंदा के फूल की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. परंतु गेंदा के पौधे में कई प्रकार के रोग लगने का खतरा ज्यादा रहता है. इसीलिए गेंदा के फूल की खेती करने वाले किसान चिंतित रहते हैं. क्योंकि पौधे में रोग लगने पर उन्हें फसल के साथ ही आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है. तो आइए उद्यान विशेषज्ञ से जानते हैं. गेंदा के पौधे में लगने वाले रोग एवं उससे बचाव के क्या उपाय हैं?
उद्यानिक क्षेत्र में 15 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक नरेंद्र प्रताप सिंह ( बीएससी हार्टिकल्चर इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद ) बताते हैं कि फूलों की खेती किसानों का भविष्य संवार रही है. क्योंकि यह एक ऐसी फसल है, जो कम लागत में बेहतर मुनाफा देती है. जिनमें खासकर गेंदा के फूल की बाजारों में मांग अधिक होने के कारण यह लोगों के लिए बेहद मुनाफे वाली फसल है. परंतु इसमें शुरुआती दौर यानि नर्सरी के दौरान से ही कई तरह के रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है .इसीलिए गेंदा के फूलों की खेती करने वाले किसान इन रोगों से बचाव के लिए कुछ जरूरी एहतियात बरतें, जिससे उनकी फसल बर्बाद ना होने पाए.
इन रोगों के लगने का रहता है खतरा
लोकल 18 से बात करते हुए नरेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि गेंदा की फसल में मुख्य रूप से तीन प्रकार के रोग लगने का खतरा रहता है.
1. फफूंदजनित रोग
पत्तियों पर धब्बे , फंगस के कारण
बचाव : प्रभावित पत्तियों को हटाकर नष्ट करें. पौधे को सही दूरी पर लगाएं ताकि अच्छी वायु परिसंचरण हो सके. फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करें, जैसे कि मैनकोज़ेब या कार्बेन्डाजिम. मिट्टी का अच्छा जल निकास सुनिश्चित करें. ज़रूरत से ज़्यादा पानी न दें. ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक फफूंदनाशक का उपयोग करें.
पाउडरी मिल्ड्यू :फंगस के कारण
बचाव : सल्फर आधारित फफूंद नाशक का छिड़काव करें . सड़ांध: फंगस के कारण बचाव : पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें. प्रभावित भागों को हटा दें और नष्ट करें. बॉट्राइटिसरोधी दवाओं का प्रयोग करें, जैसे कि क्लोरोथालोनिल.
डम्पिंग ऑफ: छोटे पौधों में फंगस के कारण
बचाव : नर्सरी करते समय उन्नत बीज का चयन करके इससे बचा जा सकता है.
2. वायरसजनित रोग
मोज़ेक वायरस : कीटों द्वारा फैलने वाला वायरस, जिससे पत्तियों पर हल्के और गहरे हरे धब्बे बनते हैं.पौधा कमजोर हो जाता है.
बचाव : संक्रमित पौधों को हटाकर नष्ट करें. सफेद मक्खी और एफिड जैसे कीटों से पौधों को सुरक्षित रखें, क्योंकि ये इस वायरस को फैलाते हैं.कीटनाशकों का छिड़काव करें
3.बैक्टीरियल रोग :
गेंदा के पौधों में बैक्टीरिया जनित रोग कम ही होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में जड़ सड़ने या पत्तियों पर बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है
बचाव : संक्रमित पौधे को खेत से हटा दें जिससे अन्य पौधे संक्रमित होने से बच जाए.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 12:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed