समुद्र मंथन में निकला था यह पेड़ 5 हजार साल से अधिक है पुराना जानें मान्यता
समुद्र मंथन में निकला था यह पेड़ 5 हजार साल से अधिक है पुराना जानें मान्यता
अगर हम पारिजात वृक्ष के ऐतिहासिक दृष्टिकोण की बात करें तो यह वृक्ष लगभग 5000 साल पुराना बताया जाता है और इस वृक्ष की खास बात यह है कि इस वृक्ष में ना कोई फल होता है, ना ही कोई बीज और न ही कोई तना लेकिन हां इसमें फूल जरूर खिलते हैं.
विशाल तिवारी/सुल्तानपुर: वेदों में जिस तरह गाय को अघन्या माना गया है, उसी तरह वृक्ष को भी देव के समान माना गया है, लेकिन अगर हम बात करें पारिजात वृक्ष की तो यह अपने आप में अद्भुत वृक्ष है. क्योंकि इसे देव वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है. उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर शहर में गोमती नदी के किनारे पारिजात का एक वृक्ष मौजूद है, जो अत्यंत प्राचीन है और जिसे सुल्तानपुर के पर्यटक स्थलों की सूची में प्रथम दस स्थान में शामिल किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति इस पारिजात वृक्ष के पास अपनी मन्नत मांगता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. सिर्फ इतना ही नहीं अगर हम इस वृक्ष के ऐतिहासिक दृष्टिकोण की बात करें तो यह वृक्ष लगभग 5000 साल पुराना बताया जाता है और इस वृक्ष की खास बात यह है कि इस वृक्ष में ना कोई फल होता है, ना ही कोई बीज और न ही कोई तना. लेकिन हां इसमें फूल जरूर खिलते हैं.
समुद्र मंथन के 14 रत्नों में शामिल है पारिजात वृक्ष…
भारतीय पुराणों में ऐसी मान्यता है कि जब देवताओं और असुरों में समुद्र मंथन हुआ था तब मंथन से निकले 14 रत्नों में एक रत्न पारिजात वृक्ष भी था. जिसे देवताओं ने देवपति पुरंदर को सौंप दिया. जिसके पश्चात देवपति पुरंदर ने इस वृक्ष को सुरकानन में स्थापित करवाया. एक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में भी जब पाण्डवों का कोई ज्ञात वास नहीं था, तब माता कुंती ने एक पूजा का आयोजन किया और पूजा में पारिजात वृक्ष के पुष्प को चढ़ाने की आवश्यकता पड़ी. तब इसे धरती पर लाया गया था. वहीं पद्मपुराण में कल्पवृक्ष को ही पारिजात वृक्ष के नाम से जाना जाता है.
राज्य विरासत वृक्ष का प्राप्त है दर्जा
सुल्तानपुर स्थित इस वृक्ष को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य विरासत वृक्ष का दर्जा दिया है. ऐसी मान्यता पाने वाला यह वृक्ष जिले का इकलौता वृक्ष है. राज्य विरासत का दर्जा प्राप्त होने के बाद इस वृक्ष को संरक्षित और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास किया गया है.
Tags: Hindi news, Local18, Religion 18, Sri Krishna JanmashtamiFIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 13:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed