मैं झोला ढोने नहीं आया था मेरा अपमान हुआ कांग्रेस से इस्तीफा देंगे रामटहल
मैं झोला ढोने नहीं आया था मेरा अपमान हुआ कांग्रेस से इस्तीफा देंगे रामटहल
रामटहल चौधरी ने कहा कि उन्होंने कभी भी कांग्रेस जाने या कांग्रेस के नेताओं से मुलाकत नहीं की थी पर खुद कांग्रेस के नेताओं ने बुलाया था. टिकट की चाह के साथ ही वह कांग्रेस में गए थे. रामटहल चौधरी ने ये भी कहा कि मैं कांग्रेस में झोला ढोने के लिए नहीं गया था.
रांची. भाजपा से पांच बार के रांची से सांसद रहे रामटहल चौधरी ने हाल के दिनों में टिकट की उम्मीद के साथ कांग्रेस का दामन थामा था, लेकिन उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुईं. कांग्रेस ने जब रामटहल चौधरी को दरकिनार कर यशस्विनी सहाय को टिकट दिया तो अब रामटहल चौधरी ने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया है. बता दें कि यशस्विनी सहाय पुराने दिग्गज कांग्रेसी नेता सुबोधकांत सहाय की बेटी हैं और कांग्रेस ने उनपर भरोसा जताते हुए रांची से उम्मीदवार बनाया है.
रामटहल चौधरी ने कहा कि उन्होंने कभी भी कांग्रेस जाने या कांग्रेस के नेताओं से मुलाकत नहीं की थी पर खुद कांग्रेस के नेताओं ने बुलाया था. टिकट की चाह के साथ ही वह कांग्रेस में गए थे. वो कहते हैं कि यह सिर्फ मैं नहीं बल्कि आम आदमी भी जानता था कि चुनाव में टिकट के लिए ही मैं कांग्रेस में गया था. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश प्रभारी ने हमें दिल्ली बुलाया तो मुझे ज्वाइन कराया गया. हमने सोचा था कि शायद टिकट कंफर्म हो गया है अगर टिकट नहीं देना था तो ज्वाइन भी ना कराते.
उन्होंने कहा कि अगर टिकट नहीं देना था तो उन्हें सोच समझकर हमें बुलाना था. हमें टिकट मिलने की सूचना के साथ लोगों में भी उत्साह था. इस बार माहौल भी ऐसा बन चुका था कि हर कोई हमारे साथ होता. कांग्रेस छोड़ने के बयान पर उन्होंने कहा कि हम आज आधिकारिक रूप से इस चीज की घोषणा भी कर देंगे कि हम कांग्रेस छोड़ रहे हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव लड़ने पर उन्होंने कहा कि अभी चुनाव लड़ेंगे या नहीं लड़ेंगे इस पर निर्णय बाद में लेंगे, लेकिन फिलहाल हम कांग्रेस छोड़ रहे हैं.
वही टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस को लेकर कहा कि कांग्रेस के आलाकमान ने कहा था कि आपको लेकर सही फीडबैक मिल रहा है. राहुल गांधी की सोच के हिसाब से भी आपको टिकट मिलेगा, लेकिन सब गलत हुआ. वहीं, रामटहल चौधरी ने ये भी कहा कि मैं कांग्रेस में झोला ढोने के लिए नहीं गया था. मेरी उम्र झोला ढोने की नहीं, बल्कि जहां मान सम्मान मिलेगा वहां जाने की है. झोला ढोने वाला नहीं हूं.
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Tags: Jharkhand newsFIRST PUBLISHED : April 27, 2024, 13:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed