क्या अमित शाह ने हेमंत सोरेन के आदिवासी वोट बैंक में ठोक दी आखिरी कील
क्या अमित शाह ने हेमंत सोरेन के आदिवासी वोट बैंक में ठोक दी आखिरी कील
Jharkhand BJP Manifesto 2024 : झारखंड विधानसभा की 81 में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. लोकसभा की 14 में से 5 सीटें भी आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. यहां आदिवासियों की जनसंख्या तकरीबन 26 प्रतिशत है. ऐसे में बीजेपी का संकल्प पत्र कितना कारगर साबित हो सकता है. पढ़ें यह रिपोर्ट.
Jharkhand BJP Manifesto 2024: हरियाणा जीत से उत्साहित बीजेपी ने झारखंड विधानसभा चुनाव में भी वादों की झड़ी लगा दी है. रविवार को झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है. बीजेपी के कद्दावर नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने यह संकल्प पत्र जारी किया. झारखंड विधानसभा चुनाव का संकल्प पत्र जारी करने के बाद अमित शाह ने हेमंत सोरेन को ललकारते हुए कहा कि इसमें लिखी गई एक-एक बात पत्थर की लकीर है और इसे जरूर पूरा करेंगे. बीजेपी ने संकल्प पत्र के जरिए आदिवासी, गैरआदिवासी, महिला और बेरोजगार युवकों को साधने की पूरी कोशिश की है. इस चुनाव में बीजेपी की नजर जेएमएम के कोर वोटर आदिवासी और महिला वोटरों पर टिकी है.
बीजेपी ने जेएमएम के कोर वोटर आदिवासियों को लुभाने के लिए गोगो दीदी योजना की राशि में हर महीने 2100 रुपये और सालाना 25000 रुपये देने का वायदा किया है. दिवाली और रक्षा बंधन में 2 गैस सिलेंडर फ्री, 5 साल में 5 लाख युवाओं को नौकरी और रोजगार देने का भी वायदा किया है. बीजेपी के घोषणा पत्र में 2, 37, 500 सरकारी पदों को भरने का भी वायदा किया गया है. साल 2025 के नवंबर तक डेढ़ लाख रिक्त पदों का नोटिफिकेशन जारी करने की बात संकल्प पत्र में है. भाजपा के 25 संकल्प रोटी, बेटी और माटी को बचाने और पीएम मोदी की गारंटी को जन-जन तक पहुंचाएंगे.
जेएमएम के कोर वोटर में सेंध लगाने की तैयारी
रविवार को झारखंड के 25 साल पर भाजपा के 25 संकल्प रोटी, बेटी और माटी को बचाने और पीएम मोदी की गारंटी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कई ऐलान किए गए हैं. बीजेपी ने झारखंड में भी यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता लागू करने की वाकलत की है. लेकिन, आदिवासियों को इससे बाहर रखने का वादा किया है. घूसपैठियों पर सख्ती की बात भी कही गई है.
हरियाणा के संकल्प पत्र की झारखंड में झलक
आपको बता दें कि बीजेपी का यह संकल्प पत्र बीते हरियाणा विधानसभा चुनाव से काफी मेल खाता है. क्योंकि बीजेपी ने हरियाणा में भी सभी महिलाओं को लाडो लक्ष्मी योजना के तहत हर महीने 2100 रुपये देने का वायदा किया था. झारखंड में भी गोगो दीदी योजना के तहत हर महिला को 2100 रुपये देने का वायदा किया है. आदिवासियों को ध्यान में रखकर बीजेपी ने गोगो दीदी योजना, लक्ष्मी जोहार योजना, सुनिश्चित रोजगार योजना, युवा साथ भत्ता, सपनों का घर साकार होगा, भ्रष्टाचारी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति, मुखिया वेतन, आपरेशन सुरक्षा, कृषक सुरक्षा नीति, कटनी-छटनी निवारण, एक रुपया स्टांप ड्यूटी, बांग्लादेशी घुसपैठ पर नकेल, मुफ्त शिक्षा, सिदो-कान्हो शोध केंद्र, फूलो-झानो पढ़ो बिटिया, मातृत्व सुरक्षा योजना और झारखंड में आदिवासियों के हित में कई योजनाओं को शुरू करने का संकल्प पत्र में जिक्र किया गया है.
आदिवासी बीजेपी के लिए कितना अहम?
आपको बता दें कि झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है. यहां आदिवासियों की जनसंख्या तकरीबन 26 प्रतिशत है. झारखंड विधानसभा की 81 में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. लोकसभा की 14 में से 5 सीटें आदिवासी के लिए रिजर्व हैं. चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का झारखंड की सत्ता की चाबी हर बार आदिवासियों के पास ही रहती है. झारखंड में हर चुनाव में आदिवासी बड़ा मुद्दा रहता है.
आदिवासी बनाम आदिवासी की लड़ाई?
झारखंड में हर चुनाव में आदिवासी बड़ा मुद्दा रहता है. रघुवर दास को छोड़ दें तो अबतक झारखंड के जितने भी सीएम बने हैं, सभी आदिवासी समुदाय से ही आते हैं. राज्य के पहले सीएम बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, हेमंत सोरेन और चंपई सोरेन सभी आदिवासी समुदाय से ही आते हैं. इस चुनाव में चार-चार पूर्व सीएम बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं. इस लिहाज से बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में आदिवासी वोटरों को विशेष तरजीह दी है. क्योंकि, शहरी और गैरआदिवासी लोग बीजेपी के कोर वोटर पहले से ही रहे हैं.
आदिवासी बहुल 28 सीटें निर्णायक
2005 से ही राज्य में आदिवासी बहुल इलाकों में बीजेपी का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरुप नहीं रहा है. साल 2005 में पार्टी को 28 में से सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली थी. साल 2009 में भी बीजेपी को आदिवासी बहुल इलाकों में सिर्फ 9 सीटों पर ही जीत मिली थी. हालांकि, साल 2014 के चुनाव में बीजेपी ने इन 28 सीटों में से 11 सीटें दर्ज की थी. बीजेपी ने रघुवर दास के नेतृत्व में गैरआदिवासी सीएम बनाने का प्रयोग किया, जो बीजेपी के लिए सही साबित नहीं हुआ.
आदिवासी बहूल विधानसभा सीटों पर किसका दबदबा?
2019 के चुनाव में बीजेपी की हार हुई और हेमंत सोरेन सीएम बन गए. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इन 28 सीटों में से सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत नसीब हुई थी. नतीजा हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने आदिवासी इलाकों में एकतरफा जीत हासिल की. इस साल के लोकसभा चुनाव में भी इंडिया गठबंधन ने आदिवासियों के लिए रिजर्व 5 लोकसभा सीटों जीत दर्ज की. बीजेपी ने इस बार के अपने घोषणापत्र में आदिवासियों पर ही विशेष फोकस किया है.
आदिवासी-मुस्लिम कैसे बिगाड़ सकते हैं बीजेपी का गणित
ऐसे में बीजेपी ने इस बार के अपने घोषणापत्र में आदिवासियों पर ही विशेष फोकस किया है. अमित शाह के ट्रंप कार्ड के तौर पर असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने विशेष तैयारी की है. क्योंकि, जेएमम के पास आदिवासी की 26 प्रतिशत वोट और 14 प्रतिशत मुस्लिम आबादी मिला दें तो यह बीजेपी के लिए मुसीबत पैदा कर सकती है. इसलिए बीजेपी ने संकल्प पत्र में आदिवासी वोटरों को लुभाकर आदिवासी वोटरों में बिखराव करने का प्लान तैयार किया है. अगर यह प्लान सफल हो जाएगा तो जेएमएम गठबंधन को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
कुलमिलाकर इस बार बीजेपी आदिवासी वोट बैंक को साधने में पूरी ताकत झोंक रखी है. बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, करिया मुंडा, चंपई सोरेन, लोबिन हेम्ब्रम, सीता सोरेन, मधु कोड़ा और गीता कोड़ा जैसे कद्दावर आदिवासी चेहरे हैं, जो बीजेपी के लिए दिन-रात एक कर रखा है. वहीं, शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा जैसे नेता लगातार झारखंड में कैंप कर रहे हैं. रविवार को अमित शाह की तीन रैली हुई. अब सोमवार को झारखंड में पीएम मोदी की दो सभाएं होनी हैं. झारखंड के 81 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा. 13 नवंबर को पहले चरण का चुनाव होगा और फिर 20 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा. वहीं, 23 नवंबर को वोटिंग होगी.
Tags: Amit shah news, BJP Manifesto, Jharkhand election 2024, Jharkhand newsFIRST PUBLISHED : November 3, 2024, 18:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed