हाथों में मेडल तो भरे पड़े हैं पर लोहरदगा की बेटी सरिता के मन में बड़ी कसक है!
हाथों में मेडल तो भरे पड़े हैं पर लोहरदगा की बेटी सरिता के मन में बड़ी कसक है!
Lohardaga News: कहते हैं प्रतिभाएं पहचान की मोहताज नहीं होती, लेकिन हकीकत यह है कि कई प्रतिभाओं को आगे आने के लिए संसाधन न मिलें तो कई प्रतिभाएं सफलता के सफर के बीच रास्ते ही दम भी तोड़ देती हैं. झारखंड के लोहरदगा की सरिता की कहानी ऐसी ही है. साइकिलिंग में कई गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकीं सरिता आज अदद एक साइकिल के लिए तरस रहीं हैं और मन से बेहद निराश हैं.
हाइलाइट्स लोहरदगा की राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर साइकिलिंग में लगा दी पदकों की झड़ी. गुरबत में पली बढ़ी मजदूर माता-पिता की बेटी संसाधनों की कमी के कारण है मजबूर. अपने राज्य और शहर के लोगों के लिए अब भी हैं अनजान, नहीं मिला वाजिब सम्मान.
आकाश साहू/लोहरदगा. राष्ट्रीय स्तर पर 2022 में गुवाहाटी में जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 3 गोल्ड और एक सिल्वर मेडल के साथ बेस्ट राइडर का खिताब जीता. वर्ष 2023 में रांची में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 3 गोल्ड जीत कर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भारत का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 2024 में जूनियर एशियन चैंपियनशिप में 1 गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता. वहीं इसी वर्ष 2024 में चीन में आयोजित जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में 500 मीटर साइकिलिंग रेस में पदक से वंचित रहीं, लेकिन मात्र 36.6 सेकंड में रेस पूरा कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किया. 2021 से साइकिलिंग की क्षेत्र में पहुंची सरिता ने अब तक दर्जनों गोल्ड मेडल सहित कई पदक जीते हैं. जाहिर है कम उम्र है और सरिता की उपलब्धियां बड़ी हैं. सरिता हमारे लिए गौरव का सबब हैं मगर दुख की बात है कि हम अपनी ही प्रतिभा को अपने ही राज्य और शहर में नहीं पहचान पाते. खास बात यह कि इतनी प्रतिभाशाली झारखंड लोहरदगा की बेटी सरिता ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदकों की झड़ी लगा दी, लेकिन अब उनकी प्रतिभा की राह में गरीबी बड़ी बाधा बन रही.
ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीतने का सपना संजोए जद्दोजहद- लोहरदगा जिले के शहरी क्षेत्र स्थित करचा टोली निवासी साइकिलिंग खिलाड़ी सरिता कुमारी साइकिलिंग में अद्भुत प्रतिभा दिखा चुकी हैं. जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक मेडल जीत देश के लिए ओलंपिक खेलने की योजना बनाकर आगे भी बढ़ रही हैं. लेकिन, गरीबी के कारण महंगी साइकिल खरीद नहीं पा रही हैं जिससे वो काफी परेशान हैं. सरिता लोहरदगा जिला प्रशासन से मिलकर एक रेसिंग साइकिल की मांग कर चुकी हैं. सरिता ने राज्य सरकार से भी ओलंपिक की तैयारी करने के लिए साइकिल की मांग की ताकि वो ओलंपिक में मेडल जीत देश और राज्य का नाम रोशन कर सके. लेकिन अब तक इन्हें सरकारी स्तर पर साइकिल मुहैया नहीं करवाई गई है.
मजदूर माता-पिता की संतान सरिता गरीबी के आगे मजबूर
सरिता के माता-पिता सनिया उरांव और सातो उरांव मजदूरी के काम करते हैं. विपरीत परिस्थिति के बावजूद सरिता ने जूनियर साइकिलिंग में राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पदको की झड़ी लगा दी, लेकिन आज भी जिले के अधिकारी और न जनप्रतिनिधि उनको पुरस्कृत तो दूर सम्मानित भी नहीं कर पाए. सरिता कुमारी ने एथलेटिक्स से अपनी शुरुआत की थी लेकिन साइकिलिंग की ट्रायल में जाने के बाद उनकी दुनिया ही बदल गई. इसके बाद देखते ही देखते जिला से राज्य और राज्य से देश के लिए खेलने का गौरव प्राप्त किया.
सरिता को प्रशंसा तो मिल रही पर संसाधन के लिए मदद नहीं
सरिता की इन शानदार उपलब्धियों पर देश दुनिया में प्रशंसक तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, लेकिन अपने राज्य और जिला में उसकी कोई पूछ नहीं है. सरिता को न तो कोई सम्मान मिला और न ही कोई संसाधन, जिससे वो इस क्षेत्र में और कामयाब हो कर राज्य और देश का नाम रोशन कर सके. सरिता बताती हैं कि पापा मजदूरी करते हैं, लेकिन अब हाथ में खराबी के कारण वो भी अब घर में बैठे हैं. जिससे घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है.
सरिता ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से की है अपील
सरिता कहती हैं कि उनको वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लेने और बेहतर तैयारी के लिए लगभग 10 से 12 लाख की लागत वाली साइकिल की जरूरत है, जिसके लिए उसके पास पैसे नहीं हैं. उसने राज्य सरकार से अपील की है कि उन्हें मदद दी जाए, जिससे वो इस क्षेत्र में और बेहतर कर सके. सरिता खेलो इंडिया एकेडमी पटियाला से प्रशिक्षण लेकर फिलहाल दिल्ली में इसी एकेडमी में रहकर तैयारी कर रही हैं.
Tags: Jharkhand news, Lohardaga newsFIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 15:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed