बेहद खास है साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय मिल जाएगी कई भाषाओं की हजारों पुस्तकें
बेहद खास है साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय मिल जाएगी कई भाषाओं की हजारों पुस्तकें
डॉ. मनोज रस्तोगी बताते हैं कि इस शोधालय में मुरादाबाद मंडल की हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और संस्कृत की दस हजार से अधिक पुस्तकें, अखबार, पत्रिकाएं और स्मारिकाएं हैं. उनका प्रयास है कि मुरादाबाद मंडल का सम्पूर्ण साहित्य इस शोधालय में संरक्षित हो सके. इस कार्य में उन्हें किसी भी प्रकार की कोई सरकारी सहायता या अनुदान नहीं मिलता है.
मुरादाबाद. पूरी दुनिया में भारत के जिस शहर को पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है, उस शहर का नाम मुरादाबाद है. इस शहर की घनी आबादी मंडी चौक के मुहल्ला जीलाल के लगभग 150 साल पुराने मकान में मुरादाबाद के प्राचीन और दुर्लभ साहित्य का खजाना संरक्षित है.
यह किसी अनमोल धरोहर से कम नहीं है. इस दुर्लभ साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने का काम 59 वर्षीय डॉ. मनोज रस्तोगी कर रहे हैं.
भारतेन्दु काल के साहित्यकारों तक की कृतियां है उपलब्ध
सोशल मीडिया और अपने आलेखों के माध्यम से देश-विदेश में उजागर भी कर रहे हैं. डॉ. रस्तोगी ने 2021 में निजी प्रयास और सीमित साधनों के बीच अपने आवास में ‘साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय’ की विधिवत स्थापना की है. इस शोधालय में उपलब्ध पुस्तकों में मुरादाबाद के भारतेन्दु युगीन साहित्यकारों लाला शालिग राम वैश्य, पं. ज्वाला प्रसाद मिश्र, पं. बलदेव प्रसाद मिश्र, पं. कन्हैया लाल मिश्र की लगभग 125 साल पूर्व प्रकाशित कृतियां उल्लेखनीय है. इसके अलावा मुरादाबाद के प्रख्यात दिवंगत साहित्यकारों रामावतार त्यागी, दुष्यंत कुमार, डॉ. कुंअर बेचैन, हुल्लड़ मुरादाबादी, माहेश्वर तिवारी, दुर्गादत्त त्रिपाठी समेत वर्तमान साहित्यकारों की कृतियां भी हैं. अनेक साहित्यकारों की पांडुलिपियां भी यहां आपको देखने को मिल जाएगा.
प्राचीन पत्र पत्रिकाएं भी हैं मौजूद
इस शोधालय में मुरादाबाद से प्रकाशित प्राचीन पत्र-पत्रिकाएं, स्मारिकाएं, कॉलेज मैगजीन की भी प्रतियां संरक्षित है. बीसियों साल पूर्व की किसी भी तारीख का अगर आप अखबार देखना चाहते हैं तो वह भी इस शोधालय में आपको मिल जायेगा. संजय गांधी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मोरार जी देसाई की मृत्यु के समाचार जिन अखबारों में छपे हैं,वे भी यहां है.
10 हजार से अधिक पुस्तक है उपलब्ध
मुरादाबाद के हिन्दी साहित्यकारों पर कई अप्रकाशित शोध प्रबंध भी यहां हैं. डॉ. मनोज रस्तोगी बताते हैं कि इस शोधालय में मुरादाबाद मंडल की हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और संस्कृत की दस हजार से अधिक पुस्तकें, अखबार, पत्रिकाएं और स्मारिकाएं हैं. उनका प्रयास है कि मुरादाबाद मंडल का सम्पूर्ण साहित्य इस शोधालय में संरक्षित हो सके. इस कार्य में उन्हें किसी भी प्रकार की कोई सरकारी सहायता या अनुदान नहीं मिलता है. मुरादाबाद के इतिहास, संस्कृति और साहित्य पर शोध करने वाले यहां आते हैं और लाभान्वित होते हैं.
Tags: Hindi Literature, Local18, Moradabad News, UP newsFIRST PUBLISHED : September 7, 2024, 12:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed