मंकीपॉक्स को लेकर भारत को कितना खतरा क्या है सरकार की तैयारियां जानें सब
मंकीपॉक्स को लेकर भारत को कितना खतरा क्या है सरकार की तैयारियां जानें सब
भारत में मंकीपॉक्स के अब तक चार केसों की पुष्टि हो चुकी है. इनमें से 3 केरल में और एक दिल्ली में मिला है. केंद्र सरकार पहले से ही मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट है और राज्यों के साथ मिलकर एहतियाती उपाय किए गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है, लेकिन इसके बावजूद इसके कोविड जैसा खतरनाक रूप लेने की संभावना नहीं है.
हाइलाइट्सविश्व स्वास्थ्य संगठन ने शनिवार को मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कियामंकीपॉक्स के दुनिया में अब तक 75 देशों में 16 हजार से ज्यादा केस मिल चुके हैंकेरल में एक के बाद एक केस मिलने पर राज्य सरकार ने मंकीपॉक्स को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं
नई दिल्लीः कोरोना के बाद मंकीपॉक्स ने दुनिया में नई दहशत पैदा कर दी है. अब तक 75 देशों में 16 हजार से ज्यादा मरीजों की पुष्टि हो चुकी है. भारत में भी चार केस मिले हैं. इनमें दिल्ली में मिले मरीज की तो कोई विदेश यात्रा की हिस्ट्री भी नहीं है. इसे लेकर चिंतित सरकार ने कई जरूरी निर्देश जारी किए हैं. मंकीपॉक्स से निपटने के उपाय किए गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में मंकीपॉक्स का प्रकोप खतरनाक रूप लेने की संभावना फिलहाल नहीं है, लेकिन एहतियात में ढिलाई नहीं होनी चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है, लेकिन इसके बावजूद इसके कोविड जैसा खतरनाक रूप लेने की संभावना नहीं है.
पहला केस– भारत में मंकीपॉक्स का पहला केस 12 जुलाई को केरल में मिला था. संयुक्त अरब अमीरात (UAE ) से राजधानी तिरुवनंतपुरम लौटे 35 साल के एक शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण नजर आए थे. वह कोल्लम का रहने वाला है.
दूसरा केस- केरल में मंकीपॉक्स का दूसरा मरीज 18 जुलाई को मिला. दुबई की यात्रा करके लौटे 31 वर्षीय शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण देखे गए. केरल के कन्नूर का रहने वाला शख्स 13 जुलाई को भारत लौटा था, लेकिन मंकीपॉक्स के लक्षण बाद में नजर आए.
तीसरा केस- केरल में 35 वर्षीय शख्स में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई. वह यूएई से मल्लपुरम लौटा था. बुखार में बाद 13 जुलाई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 15 जुलाई से लक्षण नजर आने लगे थे।
चौथा केस- नई दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में रहने वाले 34 साल के शख्स में रविवार को मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई. वह कभी विदेश नहीं गया था. हालांकि अपने पुरुष दोस्तों के साथ पिछले महीने हिमाचल छुट्टियां मनाने गया था. उसके तुरंत बाद उसे बुखार आया. एक हफ्ते तक बुखार नहीं उतरा और त्वचा पर फोड़े जैसे बनने लगे तो वह अस्पताल गया, जहां मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई.
मंकीपॉक्स के मामलों पर केंद्र सरकार लगातार नजर रखे हुए हैं. उसने केस मिलने से पहले भी राज्यों को एडवाइजरी जारी करके एहतियात बरतने को कहा था. केरल में मामले सामने आने के बाद केंद्र ने एक उच्चस्तरीय टीम को वहां भेजा था. गुरुवार को केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मंकीपॉक्स को लेकर नए निर्देश जारी किए. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में मंकीपॉक्स को लेकर निगरानी बढ़ाने को कहा. विदेश से आने वाले यात्रियों की एयरपोर्ट पर जांच, संदिग्ध मामलों की पहचान करके पर्याप्त इलाज, संक्रमितों के संपर्क में आने वालों की निगरानी जैसे कई निर्देश दिए. केंद्र ने सभी राज्यों को अस्पताल में डेडीकेटेड सेंटर बनाने को भी कहा. दिल्ली में मंकीपॉक्स का केस मिलने के बाद रविवार को उच्चस्तरीय बैठक करके फिर से विचार किया गया.
केरल में एक के बाद एक केस मिलने पर राज्य सरकार ने मंकीपॉक्स को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए. लक्षण वाले लोगों का पर्याप्त इलाज और उनके संपर्क में आए लोगों की जांच के निर्देश दिए गए. राज्य में हाई अलर्ट कर दिया गया. बाद में केरल सरकार ने विधानसभा में बताया था कि चिंता की कोई बात नहीं है, संक्रमित मरीजों के परिवार को ऑब्जर्वेशन में रखा गया था. उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है. उनमें कोई लक्षण नहीं हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शनिवार को मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी (PHEIC) घोषित कर दिया है. उससे पहले 6 बीमारियों के लिए ये उच्चतम अलर्ट जारी किया गया था. 2009 में स्वाइन फ्लू, 2014 में पोलियो, 2014 में इबोला, 2015 में जीका, 2018 में के. इबोला और 2019 में कोविड. मंकीपॉक्स के दुनिया में अब तक 75 देशों में 16 हजार से ज्यादा केस मिल चुके हैं. हालांकि मौतों की संख्या कम है और सिर्फ 5 लोगों की ही जान गई है.
मंकीपॉक्स के बारे में अभी तक माना जाता है कि ये संक्रमित के शरीर से निकले थूक, खून, वीर्य और घाव से रिसते पानी के संपर्क में आने से फैलता है. अगर बहुत ज्यादा देर तक सांसों के संपर्क में कोई रहे तब भी चपेट में आने की आशंका होती है. इसके शिकार ज्यादातर पुरुष ही हो रहे हैं. वो भी ऐसे पुरुष जो किसी पुरुष के साथ यौन संबंध बनाते हैं. मतलब ये कि संक्रमित के करीबी संपर्क में आने वालों में ही इसके फैलने की संभावना होती है. मंकीपॉक्स की बीमारी आमतौर पर कुछ हफ्तों में खुद ही ठीक हो जाती है. इसके जानलेवा होने की संभावना 0 से 11 फीसदी तक है.
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Tags: India, Virus, WHOFIRST PUBLISHED : July 26, 2022, 08:00 IST