नींबू की फसल ने बदल दी किसान की किस्मत कम लागत में होती है हजारों की कमाई

Lemon Farming: किसान राघवेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि वह अपने हाथों से तैयार जैविक मिश्रण को डालकर नींबू की फसल की पैदावार बढ़ा रहे हैं. गर्मियों के मौसम में नींबू की डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे समय पर वह कम लागत में ही हजारों रुपये की कमाई कर रहे हैं.

नींबू की फसल ने बदल दी किसान की किस्मत कम लागत में होती है हजारों की कमाई
फर्रुखाबाद: परंपरागत खेती को छोड़कर किसान इन दिनों सब्जियों की फसल तैयार करने में जुटे हैं. लेकिन, इस समय नींबू की अगेती फसल बेहतर साबित हो सकती है. क्योंकि, गर्मियों के मौसम में नींबू एक नगदी फसल मानी जाती हैं. इसके पौधे बड़े फैलते हैं. इसलिए इसे कम लागत वाली फसल माना जाता है. आमतौर पर यह फसल साल में तीन बार तैयार होती है. फर्रुखाबाद के भी किसान इस फसल से अच्छी कमाई कर रहे हैं. किसान राघवेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि नींबू की खेती करने के लिए अधिक लागत नहीं आती है. खाली पड़े खेत में जैविक फसलों की खाद बना कर खेत में मिला दें. वहीं, नींबू के पौधों को बड़ा होने पर इसमें खुद तैयार किए गए रसायन के मिश्रण को डाल दें. इससे पौधे में पर्याप्त पोषक तत्व पहुंच जाते हैं. ऐसे करने से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है. इस समय प्रति एक बीघा में मात्र दस हजार रुपये की लागत से किसान 50 से 60 हजार रुपये की कमाई आसानी से कर रहे हैं. नींबू के लिए यह है जलवायु और तापमान नींबू की फसल के लिए अनुकूल तापमान 20°डिग्री सेंटीग्रेड से 25 डिग्री सेंटीग्रेड, तो वहीं वर्षा 75 सेंटीमीटर से 200 सेंटीमीटर तक सही रहती है. वहीं, नींबू की यह फसल दोमट मिट्टी में अच्छी होती है. कैसे होती हैं नींबू की खेती? आमतौर पर नींबू की खेती किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है. एक बीघा में 300 से 400 पौधे तक रोपे जा सकते हैं. वहीं, इसको तैयार करने के लिए किसान अपने खेतों में 5 मीटर प्रति पौधे की दूरी पर एक समतल भूमि पर जैविक उर्वरक डालने के बाद नींबू के पौधे को रोप देते हैं. इस प्रकार यह पौधा 6 महीने में ही फल देने लगता है. इसके साथ ही गर्मियों के मौसम में इसमें भरपूर मात्रा में बंपर नींबू का उत्पादन होता है. जैसे ही इसमें लगे हुए फल के पीले होने लगते हैं. जिसमें रस भी बढ़ जाता है. इनको तोड़कर किसान बाजार में बिक्री कर देते हैं. वहीं, इसके पौधों की रोपाई दिसंबर, फरवरी, जून और सितंबर में उचित मानी जाती है. ऐसे करते हैं मिश्रण को तैयार 15 दिन में तैयार होता घोल, फंगीसाइड और पोषक तत्वों से भरपूर उन्नतशील किसान राघवेंद्र सिंह ने बताया 200 लीटर के ड्रम में 100 लीटर पानी वह रखते हैं. इसमें 10 लीटर मट्ठा, अपनी देशी गाय के एक लीटर गोबर को फिल्टर कर उसका रस व 10 लीटर गोमूत्र डालते हैं. इसके साथ ही 2 किलो बेसन, 5 किलो गुड़ या सीरा, 500 ग्राम नमक, तांबे की धातु का टुकड़ा, लोहे की कील या सरिया का टुकड़ा भी घोल में डाल देते हैं. तीन किलो यूरिया व 5 किलो डीएपी खाद भी डालते हैं. करीब 15 दिन में जैविक घोल तैयार हो जाता है. यह कीटों से बचाव वाला फंगीसाइड व पोषक तत्वों से भरपूर होता है. 16 लीटर की टंकी में 2 लीटर घोल डालकर फसल में छिड़काव करते हैं. . Tags: Farrukhabad news, Local18FIRST PUBLISHED : May 2, 2024, 15:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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