तंत्र सिद्धि के लिए विशेष है मां तारा देवी का यह धाम पांच तारापीठों में है एक
तंत्र सिद्धि के लिए विशेष है मां तारा देवी का यह धाम पांच तारापीठों में है एक
पं. प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि विंध्य पर्वत पर विराजमान मां तारा धाम पांच तारपीठों में है. तंत्र सिद्धि के लिए यह धाम विशेष माना गया है. मां के धाम में तीन तरह से पूजन होता है. सात्विक, राजसिक व तामसिक पूजन करके भक्त सिद्धि की प्राप्ति करते हैं. नवरात्रि के निशा पूजन तंत्र सिद्धि के लिए विशेष माना गया है.
मिर्जापुर : अध्यात्मिक नगरी मिर्जापुर में विंध्य पर्वत पर गंगा के तट पर देश की पांच तार शक्तिपीठों में एक मां तारा विराजमान हैं. मां तारा देवी का उग्र रूप होने की वजह से यह तंत्र सिद्धि के लिए विशेष धाम है. यहां पर तीन तरह से मां की पूजा की जाती है. धाम में तंत्र साधना के लिए विश्व भर से लोग यहां पर आते हैं. मां गंगा के तट पर स्थित मां तारा धाम शिव के सानिध्य में होने की वजह से इसे बेहद खास बनाती है. यहीं वजह है कि देश ही नहीं बल्कि नेपाल व अन्य प्रांतों से साधक यहां पर सिद्धि की प्राप्ति के लिए भक्त आते हैं.
रामगंगा घाट के तट पर स्थित मां तारा धाम में तीन तरह से पूजा होती है. साधकों के लिए प्रिय मां तारा देवी का सात्विक, राजसिक व तामसिक तीन रूपों में पूजन होता है. इसी पूजन से यहां साधक सिद्धि की प्राप्ति करते हैं. मां तारा के हाथ में कैंची व उनके पैरों के नीचे भगवान शिव है. यह धाम इसलिए भी विशेष है कि यहां पर शक्ति और शिव दोनों है. मां तारा की साधना करने से वाक सिद्धि की प्राप्ति के साथ भक्तों का सारी मुराद को पूरी करती है और मनोवांछित फल प्रदान करती है.
मां तारा प्रदान करती हैं वाक सिद्धि
मंदिर के पुजारी पं. प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि मां तारा देवी पांच तारापीठ रामपुर घाट (पश्चिम बंगाल), दूसरा रामगया घाट, तीसरा सहरसा बिहार, चौथा हिमांचल प्रदेश व पांचवा तिब्बत में है. यहां पर मां तारा के दो रूप उग्र व नील तारा दोनों विराजमान है. इनके पैरों के नीचे शिव जी हैं, जो शववाहिनी तारा मां है जो अस्मसान में ही विराजती है. शव के भस्म से मां का श्रृंगार होता है. तंत्र की सिद्धि के लिए यह एक मूल मात्र स्थान है. मां तारा साधक को वाक सिद्धि प्रदान करती है.
नवरात्रि में विश्व भर से आते हैं साधक
पुजारी पं. प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि चार नवरात्रि जिसमें दो गुप्त और दो चैत्र व कुआंर पड़ता है. चैत्र व कुआंर में यहां पर 9 दिन पूजा होती है. गुप्त नवरात्रि में साधक सिद्धि के लिए मां के धाम में पहुंचते हैं. यहां निशा रात्रि पूजन का विशेष महत्व है. नवरात्रि में अष्टमी की रात्रि को निशा रात्रि माना जाता है. सिद्धि पाने के लिए मां तारा की उपासना के लिए निशा रात्रि का विशेष महत्व है. यहां नेपाल व तिब्बत से साधक आते हैं.
Tags: Local18, Mirzapur news, UP newsFIRST PUBLISHED : June 16, 2024, 22:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed